औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। औरंगाबाद के ओबरा प्रखंड के कुरमाईन गांव में श्री श्री रूद्र महायज्ञ में धर्म-अध्यात्म की गंगा बह रही है। हजारों श्रद्धालु यज्ञ मंडप की परिक्रमा कर धन्य हो रहे है। साथ ही यज्ञाचार्य मां कामाख्या के साधक राकेश जी महाराज के श्रीमुख से धर्मानुरागी भक्त जन महिला-पुरूष भागवत कथा का रसपान कर रहे है। राकेश बाबा की भागवत कथा की प्रस्तुति का निराला अंदाज भक्तों को मंत्रमुग्ध कर रहा है। भक्त जन भावविभोर होकर पंडाल में घंटों बैठकर भागवत कथा का पूरे मनोयोग और अंतरात्मा की गहराईयों से भागवत कथा का श्रवण कर रहे है। भागवत कथा सह श्री श्री रूद्र महायज्ञ शुक्रवार को महाभंडारा और वैदिक आचार्यों की भावभीनी विदाई के साथ संपन्न हो जाएगा।

इस दौरान यज्ञ के समापन की पूर्व संध्या पर भक्तों को भागवत कथा का रसपान कराते हुए राकेश जी महाराज ने कहा कि मैंने आपके सम्मुख भागवत कथा की अपार और अपरम्पार महिमा को सविस्तार बताया है। इसे सार रूप में समझे तो भागवत कथा एक ऐसी कथा है जो मानव जीवन को सार्थक बनाती है और उसे मोक्ष की ओर ले जाती है। यह कथा ज्ञान, भक्ति, वैराग्य, सदाचार और कर्मयोग का सार है, जो मानव को आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाती है। यह अंधकार से प्रकाश, अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाती है, और दैहिक, दैविक, और भौतिक तापों से रक्षा करती है। भागवत कथा भक्ति, ज्ञान, और वैराग्य को जगाती है, और व्यक्ति को शान्ति और मोक्ष की ओर ले जाती है। भागवत कथा अंधकार से प्रकाश अर्थात अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाती है। भागवत कथा और सत्संग की शक्ति से मनुष्य का स्वभाव समाज में प्रशंसनीय हो जाता है। कथा के श्रवण से व्यक्ति भव सागर से पार होकर मोक्ष की प्राप्ति करता है।भागवत कथा सुनने से आध्यात्मिक विकास और भगवान के प्रति भक्ति गहरी होती है। भागवत कथा का मूल मंत्र सदाचार है, जो इसे अपना लेता है, समाज उसे सम्मानित करता है। कलियुग में श्रीमद् भागवत कथा सुनने मात्र से ही मनुष्य का कल्याण हो जाता है। भागवत कथा सुनने और सुनाने वाले दोनों की मनःस्थिति पर निर्भर करता है कि उन्हें कथा का कितना लाभ मिलेगा। यदि मनःस्थिति शुद्ध और निस्वार्थ होती है, तो कथा का पूर्ण लाभ मिलता है, और व्यक्ति को शान्ति और मोक्ष की ओर ले जाता है।