कार्तिक छठ के महापर्व पर कोरोना का ग्रहण, विश्व प्रसिद्ध सौर तीर्थस्थल देव में नही लगेगा छठ मेला

औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। औरंगाबाद के विश्व प्रसिद्ध सौर तीर्थ स्थल देव में लोक आस्था के महापर्व कार्तिक छठ व्रत पर लगने वाले चार दिवसीय भव्य कार्तिक छठ मेला पर कोरोना का ग्रहण लग गया है। इस वर्ष यहां न ही मेला लगेगा और न ही श्रद्धालु एवं छठ व्रती ऐतिहासिक पवित्र सूर्यकुंड में उद्याचल और अस्ताचल सूर्य को अघ्र्य अर्पित कर सकेंगे। दरअसल कोविड-19 को लेकर लॉकडाउन में किसी भी धार्मिक स्थल पर मेला अथवा भीड़ लगाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसी प्रतिबंध के कारण ही देव में कार्तिक छठ मेला पर रोक लगाई गई है। साथ ही जिले में पुनपुन दोमुहान, देवकुंड समेत और जहां-जहां छठ व्रत का मेला लगता है, वहां भी मेला लगने एवं एक जगह एकत्रित होकर धार्मिक अनुष्ठान करने पर रोक लगी है। गौरतलब है कि कोरोना काल में चैत्र माह में भी देव समेत जिले के अन्य छठ घाटों पर छठ मेला नहीं लगा था। साथ ही देव सूर्यकुंड के अलावा जिले के अन्य छठ घाटों पर श्रद्धालु अघ्र्य भी नहीं दे पाए थे। यही स्थिति कार्तिक छठ मेला में भी बनी रहेगी।

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घरों के छत पर ही भगवान सूर्य को देना होगा अघ्र्य-

इस बार चार दिवसीय कार्तिक छठ व्रत 18 नवंबर से शुरू होने वाला है। इस दिन व्रती अंतः करण की शुद्धि के लिए नहाय खाय के बाद कद्दू-भात के व्यंजन को प्रसाद के रुप में बंधु-बांधवों के साथ ग्रहण करेंगे। वही अगले दिन यानी छठ व्रत के अनुष्ठान के दूसरे दिन 19 नवम्बर को खरना के बाद व्रतियों का 36 घंटें का निर्जला उपवास आरंभ होगा। इसके बाद से व्रती निर्जला उपवास पर रहते हुए तीसरे दिन 20 नवम्बर को अस्ताचल सूर्य को पहला अघ्र्य तथा चैथे दिन उद्याचल सूर्य को दूसरा अघ्र्य अर्पित करेंगे। इसके बाद व्रतियों द्वारा पारण करने के साथ ही लोक आस्था के महापर्व चार दिवसीय कार्तिक छठ व्रत का अनुष्ठान पूर्ण हो जाएगा। गौरतलब है कि हर वर्ष कार्तिक एवं चैत माह में लोक आस्था के महापर्व चार दिवसीय छठ व्रत का अनुष्ठान करने की परम्परा सदियों से चली आ रही है। यह पर्व का खासकर हिंदी भाषी प्रदेशों-बिहार, झारखंड, उतर प्रदेश, उतराखंड, मध्य प्रदेश और छतीसगढ़ में बेहद महत्वपूर्ण है। बेहद खास होने के कारण ही इस पर्व का अनुष्ठान देश के चार महानगरों के साथ ही गैर हिंदी भाषी प्रदेशों में भी किया जाने लगा है। यह ऐसा लोक पर्व है कि देश के दूसरे हिस्सों की बात तो दूर परदेस में रहने पर भी छठ व्रत का अनुष्ठान का संकल्प लेने के बाद लोग व्रत करने अपने गांव-गिरांव आया करते है। छठ में लोगों के घर वापस आने के लिए भारतीय रेल द्वारा स्पेशल ट्रेनों तक का प्रबंध हर साल किया जाता रहा है। इस बार भी लोगों में छठ व्रत करने का संकल्प मन में हिलोरें मार रहा है लेकिन इसके आगे की राह में कोरोना संक्रमण की वैश्विक महामारी रोड़ा बन कर खड़ी हो गयी है। ऐसे में श्रद्धालु एवं व्रती मन मसोस कर घर में ही छठ करने की तैयारी में लगे हैं। वर्तमान परिस्थति में वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण को लेकर लागू देशव्यापी कोविड-19 प्रोटोकाॅल के कारण ग्रामीण क्षेत्र में श्रद्धालु अपने घरों में ही व्रत का अनुष्ठान करेंगे और कुआं, तालाब अथवा गांव के जलाशय में 20 नवंबर को डूबते(अस्ताचलगामी सूर्य) एवं 21 नवंबर को उगते सूर्य(उदयीमान सूर्य) को अघ्र्य अर्पित करेंगे। वही शहरी क्षेत्र के श्रद्धालु घरों के छत पर ही भगवान सूर्य को अघ्र्य देंगें।


देव में नही हो की जा रही कार्तिक छठ मेला की प्रशासनिक तैयारी-

कोरोना काल के पहले पिछले साल तक छठ पर्व के आने केएक माह पहले से ही औरंगाबाद जिला प्रशासन द्वारा चार दिवसीय छठ मेला की तैयारी की जाती थी। श्रद्धालुओं एवं छठ व्रतियों की हर सुख-सुविधा का प्रबंध किया जाता था लेकिन इस वर्ष कार्तिक छठ मेला को लेकर सौर तीर्थ स्थल देव में कोई तैयारी नही की जा रही है। कोरोना काल में लागू कोविड-19 प्रोटोकाॅल से इस मामलें में उनके भी हाथ बंधे है। मेला नहीं लगने से अधिकारी भी चैन से हैं।

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क्या कहते है अधिकारी-

सूर्य नगरी देव में कार्तिक छठ मेला नही लगने के बाबत औरंगाबाद के अनुमंडल पदाधिकारी सह देव सूर्य मंदिर न्यास समिति के अध्यक्ष डॉ. प्रदीप कुमार कहते है कि कोविड-19 को लेकर 30 नवंबर तक लॉकडाउन लागू है। ऐसे में किसी भी धार्मिक स्थल पर मेला लगाने के संबंध में केंद्र व राज्य सरकार द्वारा अबतक कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है। ऐसी स्थिति में देव कार्तिक छठ मेला नहीं लग पाएगा। इसका कारण यह है कि भीड़ में कोविड-19 के गाइडलाइन का पालन नहीं होगा और कोरोना का संक्रमण बढ़ने का डर बना रहेगा।