रोहतास(लाइव इंडिया न्यूज18 ब्यूरो)। सासाराम के डीएम के वेतन से कोर्ट ने एक लाख रुपये वेतन कटौती का आदेश दिया है। दरअसल कोर्ट में बार-बार समय मांगना अभियोजन पक्ष को महंगा पड़ गया। मामले में नाराजगी जताते हुए अपर जिला जज-1 मनोज कुमार की अदालत ने अभियोजन पक्ष पर स्थगन व्यय के रूप में एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया है।
जुर्माने की राशि डीएम के वेतन से कटौती करने का कोर्ट ने आदेश जारी किया है। कोर्ट ने इस संबंध में ट्रेजरी को पत्र जारी करने का आदेश दिया है।
सत्र वाद संख्या 340/1993 के आरोपित के विरुद्ध कोर्ट ने पूर्व में गैर जमानती वारंट और कुर्की का आदेश जारी किया था। आदेश का अनुपालन नहीं करने पर कोर्ट ने कई बार पत्राचार किया गया। बाद में कोर्ट ने अपहरण और दुराचार के मामले में तामिला रिपोर्ट स्पष्ट नहीं देने पर 5000 रुपए का जुर्माना लगाया था। बावजूद इसके अभियोजन पक्ष द्वारा अदालत के पूर्व के आदेश के विरुद्ध उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था। लोक अभियोजक और अपर लोक अभियोजक द्वारा दिये गए प्रार्थना पत्र में समय की मांग की गई थी।
इस पर कोर्ट का कहना था कि पूर्व में कई बार मौका दिया गया, लेकिन उच्च न्यायालय पटना द्वारा किसी प्रकार का कोई स्थगन आदेश आज तक प्राप्त नहीं हुआ है। अभियोजन द्वारा न्यायालय के आदेश के अनुपालन में न तो जुर्माना जमा किया है और न ही अनुपस्थित अभियुक्त को न्यायालय में प्रस्तुत किया और न ही कांड दैनिकी की प्रति न्यायालय के आदेशानुसार दाखिल की गई है।
साथ ही एसपी व करगहर थानाध्यक्ष द्वारा जवाब भी दाखिल नहीं किया गया है। ऐसे में स्पष्ट है कि अभियोजन पक्ष द्वारा निर्देश को पूरा करने में न्यायालय का सहयोग नहीं किया जा रहा है।
जिस कारण वाद की कार्यवाही सम्यक रूप से विधि सम्मत ढंग से नहीं हो रही है।
कोर्ट का कहना था कि 13 जनवरी 2023 को जुर्माने के साथ एसपी व करगहर थानाध्यक्ष को कारण पृच्छा जारी की गई थी। परंतु न तो किसी प्रकार का कोई जवाब दाखिल किया गया और न ही उनके द्वारा स्पष्ट रिपोर्ट के संदर्भ में कोई रिपोर्ट दाखिल की गई। 90 दिन से ज्यादा का समय बीत गया है। विभिन्न आधारों पर अभियोजन पक्ष द्वारा समय लिया गया है। पूर्व में कई बार समय की मांग की गई है, जिसे अब देना न्यायोचित नहीं है।
30 वर्ष पुराने वाद में उच्च न्यायालय पटना द्वारा प्राथमिकता के आधार पर निष्पादित करने का निर्देश है। अनुपस्थित अभियुक्त के संदर्भ में स्पष्ट रिपोर्ट नहीं आने के कारण आज भी कार्यवाही नहीं की गई। ऐसे में अभियोजन पर जुर्माना लगाया जाता है, जिसे डीएम के वेतन से कटौती कर जिला विधिक सेवा प्राधिकार में जमा करना होगा। कोर्ट ने मामले से डीजीपी, डीआईजी व एसपी को भी अवगत कराने का आदेश दिया है।