औरंगाबाद ब्लास्ट की आतंकी गतिविधियों से तार जुड़े होने की संभावना

एटीएस व एफएसएल की टीम मौके पर पहुंची, की जांच

औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। औरंगाबाद शहर के अलीनगर स्थित एक कबाड़ा में मंगलवार की शाम हुए भयंकर विस्फोट में तीन लोगों की मौत मामले की जांच करने आतंकरोधी दस्ता(एटीएस) और फोरेंसिक साइंस लेबोरेट्री(एफएसएल) की टीम बुधवार को यहां आई।

एफएसएल की टीम ने जहां कबाड़ा में विस्फोट स्थल पर गिरे मृतकों के खून, बिखरे मांस के लोथड़े, ब्लास्ट में क्षतिग्रस्त हुई सामग्रियों, मिट्टी के नमूने एवं अन्य चीजों को संग्रहित किया। वही एटीएस की टीम मौके पर खुले रूप में आने के बजाय खुफिया तरीके से मामले की जांच में जुटी। एफएसल पटना की टीम के सहायक निदेशक शाहबाज आलम ने बताया कि टीम ने मौके से जांच के लिए आवश्यक नमूने इक्ट्ठे किए है। इन नमूनों को टीम पटना लेकर जा रही है, जहां लैब में जांच की जाएगी। जांच के बाद ही स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि विस्फोट किस चीज से हुआ, उस वस्तु में कौन सी एक्सप्लोसिव सामग्री थी, विस्फोट कितना ताकतवर था आदि कौन सी चीजे थी।

गौरतलब है कि ब्लास्ट में एक की मौके पर मौत हुई थी, जबकि दूसरे ने इलाज के दौरान औरंगाबाद सदर अस्पताल में दम तोड़ा था। वही तीसरे घायल को बेहतर इलाज के लिए मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल, गया रेफर किया गया था। मेडिकल कॉलेज से भी डॉक्टरो ने घायल तुफजूल शेख को बेहतर इलाज के लिए हायर सेंटर रेफर कर दिया, लेकिन हायर सेंटर ले जाये जाने के दौरान घायल की मौत हो जाने के बाद बंगाल के मुर्शिदाबाद से आये परिजन लाश को अपने साथ ले गये। सूत्रों की माने तो परिजनों ने मृतक की मुर्शिदाबाद में ही कही मिट्टी मंजिल कर दी है। इस मामले में एक मृतक का मुर्शिदाबाद का होना और परिजनों द्वारा शव को बगैर पोस्टमार्टम कराये ले भागना कई तरह के संदेहों को जन्म दे रहा और पूरा मामला ही संदिग्ध लग रहा है।

शायद इसी वजह से ही एटीएस की टीम ने मामले में हाथ डाला है। निरूसंदेह यदि एटीएस की टीम ने मामले में हाथ डाला है तो यह मामला दूर तलक जाएगा। वैसे भी एटीएस की टीम की कार्यशैली आम पुलिस की कार्यशैली से अलग हुआ करती है और एटीएस खुलकर कोई बात तभी कहती है, जब वह किसी निष्कर्ष पर पहुंच जाती है। इस मामले में एटीएस की टीम शहर में कहां-कहां और शहर से दूर किन शहरों में मामले की किस तरीके से जांच में लगी है, क्या और कैसे जांच हो रही है, कौन से अधिकारी जांच कर रहे है, की जानकारी तक देनें से स्थानीय पुलिस अभी परहेज कर रही है। मामले में औरंगाबाद नगर थाना में अभी स्टेशन डायरी में तो घटना दर्ज है लेकिन अभी तक विस्तृत तौर पर प्राथमिकी दर्ज नही है। इसकी वजह यह भी हो सकती है कि मामले में वरीय अधिकारियों के मार्गदर्शन का इंतजार किया जा रहा हो।

मामले के तार आतंकी गतिविधियों से जुड़े होने से इंकार नही किया जा सकता है। मामले में कई संदिग्ध पहलु साफ दिख रहे है। पहला तो मृतक कबाड़ी मालिक तुफजुल शेख का बंगाल के मुर्शिदाबाद का होना, जो अवैध बंगलादेशी घुसपैठियों का गढ़ माना जाता है। दूसरा तुफजूल का औरंगाबाद में 2012 में सिर्फ शरीर लेकर आना और घुम घुम कर कबाड़ा खरीद का काम करते हुए कबाड़ा का बड़ा एम्पायर खड़ा कर लेना भी संदेहो को जन्म दे रहा है। इतना तक कि कबाड़ा का लाइसेंस है कि नही, यह भी अभी स्पष्ट नही है। ऐसे में विस्फोट का यह मामला पूरी तरह संदेह के घेरे में है और सही मायने में मामले की गहराई से जांच होने पर ही पूरी सच्चाई सामने आ सकती है। वही पूरे मामले में एसडीपीओ गौतम शरण ओमी ने कहा कि अभी प्रथमदृष्टया भी कुछ खास कहना मुनासिब नही है। अभी मामले की जांच चल रही है। जांच के बाद ही स्पष्ट तौर पर कुछ कहा जा सकेगा।