औरंगाबाद में किशोर-किशोरियों को लग रहा इश्क का बुखार, बच्चों की जिद्द के आगे मां-बाप भी लाचार

औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। अत्याधुनिक युग मे मोबाईल का प्रयोग जीवन के लिए जितना सरल हैं वहीं इसके दुष्परिणाम भी सामने आने लगे हैं। जब से प्राइवेट स्कूलों द्वारा मोबाईल पर ऑन लाइन शिक्षा देने का प्रचलन चलाया गया है, तब से माता-पिता अपने बच्चों के हाथों में मोबाईल देकर उसे शिक्षित बनाना चाहते हैं, पर बच्चे शिक्षित हो या न हों वे ऑनलाइन गेम खेलने, फेसबुक चलाने एवं गलत वीडियो देखने मे महारत हासिल जरूर कर रहें हैं।

इतना ही नही बल्कि मोबाईल पर रील्स, स्टोरी जैसे वीडियोज बनाकर व उसे देखकर गलत दिशा में जा रहे हैं। यही कारण है कि आज किशोर-किशोरियों में प्रेम करने की ललक जग रही है। ऐसा ही एक मामला औरंगाबाद शहर से सामने आया है, जहां दो मोहल्ले के नाबालिग लड़का-लड़की आपस मे कई महीनों प्रेम कर रहे हैं। दोनो की उम्र लगभग 14-15 साल है। दोनो के परिजनो ने अपने-अपने बच्चों को लाख समझाया, परंतु नतीजा कुछ भी नही निकला। यहां तक कि लड़की के पिता ने अपनी बच्ची के घर से निकलने पर भी रोक लगा दी। इसके बाद रविवार की देर रात को लड़का चुपके से छत के सहारे लड़की के घर आ गया। जब लड़की के माता-पिता ने उससे पूछा कि इतनी रात को मेरे घर मे कैसे आ गये। तब लड़के ने बेबाकी से कहा कि मै आपकी बेटी से प्यार करता हूं और हमदोनो शादी करना चाहते हैं। लड़की के पिता ने रात में ही मामले की सूचना औरंगाबाद नगर थाना की पुलिस को दी। इसके बाद पुलिस आयी और लड़का-लड़की दोनो से पूछताछ की। दोनो ने आपस मे प्रेम करने की बात स्वीकार की। दोनो की उम्र और प्रेम की ललक देख थोड़ी देर के लिए पुलिस भी बेबस हो गई और दोनो को अपने-अपने घर जाने की बात कह कर बैरंग वापस लौटा दिया।

हालांकि पुलिस को करना यह चाहिए था कि दोनों बच्चों व परिजनों के बीच काउंसलिंग कर जीवन बर्बाद होने से बचाया जाता पर पुलिस ने दोनों को उनके घरो को भेजकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। दोनो के परिजनों ने बताया कि हमलोग अपने बच्चों के जिद्द के आगे लाचार हैं। दंडित करने के बाद दोनों कोई गलत कदम न उठा लें, इस बात का डर सता रहा है। गौरतलब है कि दो माह पहले ही नासमझी में किये गए प्रेम के कारण रफीगंज के एक गांव की 5 सहेलियों ने जहरीला पदार्थ खाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी। ऐसे में दिन प्रतिदिन ऐसी बढ़ती घटनाओं को पर लगाम लगाने के लिए जिला प्रशासन, संबंधित विभाग व जिले भर में संचालित शैक्षणिक संस्थानों में छात्र-छत्राओं के बीच समय-समय पर काउंसलिंग की जानी चाहिए ताकि कोई भी होनेवाली बड़ी या अप्रिय घटना पर रोक लग सके और छात्र-छत्राओं का भविष्य उज्जवल हो सके। अगर समय रहते ऐसे मामलों पर जिला प्रशासन व अभिभावकों द्वारा लगाम नही लगाया गया तो किसी भी अप्रिय घटना से इनकार नही किया जा सकता है। इस मामले में विशेषज्ञ कहते है कि इस तरह की घटनाओं के लिए टेक्नोलॉजी को दोष देना गलत होगा। औरंगाबाद के रिटायर्ड प्रोफेसर टीएन सिन्हा ने कहा कि जैसे परमाणु का इस्तेमाल विध्वंस और सृजन दोनों में होता है। परमाणु के दुरूपयोग से हिरोसीमा और नागासाकी जैसी घटना दुनिया में घट गई। वही परमाणु से सृजनात्मक कार्य के रूप में बिजली का उत्पादन हो रहा है। इसी तरीके से मोबाइल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने के लिए बच्चो को प्रेरित करना होगा। इसकी जिम्मेवारी माता-पिता, परिवार, शिक्षक समुदाय, शासन-प्रशासन को ही नहीं बल्कि हर सख्स को उठाना होगा तभी जाकर इस तरह की घटनाओं पर विराम लग सकता है।