24 सितम्बर को सरपंच की पगड़ी देने का को फैसला करेंगे मतदाता
औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। औरंगाबाद सदर प्रखंड के जम्होर ग्राम कचहरी के लिए सरपंच पद के उम्मीदवार तारा सिंह उर्फ तारा बाबू वोटरो की आंखों का तारा बनने की राह पर अग्रसर है। वोटरो की आंखों का तारा बनने यानी अपनी चुनावी जीत सुनिश्चित करने के लिए वे बड़ी ही सादगी से प्रचार कर रहे है।
जनसंपर्क के दौरान वे वोटरो से साफ तौर पर कहते है कि पोस्टर, पंपलेट और हैंडबिल के माध्यम से प्रचार की जरूरत उन उम्मीदवारों को है, जिन्हे खुद की पहचान बताने और स्वयं ही अपना गुणगान करना यानी अपने मुंह मियां मिठ्ठू बनना है। मैं तो जम्होर के हर तबके, हर समाज और हर जाति-वर्ग के लोगो के साथ हमेशा उठता बैठता रहा हूं। जीवन में चुनाव भले ही पहली बार लड़ रहा हूं पर राजनीति में नया नही हूं। पिछले 30-40 सालों से राजनीतिक दल के कार्यकर्ता और पार्टी पदाधिकारी के रूप में कई बार के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में सक्रिय भागीदारी निभाता रहा हूं।
मैं अपने व्यक्तिगत प्रभाव से लोकसभा-विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों को वोट दिलवाता रहा हूं और वे जीतते भी रहे है। जम्होर की जनता से वोट लेकर चुनाव जीतने वाले क्षेत्र के सांसद और विधायक ने आशा के अनुरूप इस इलाके में काम भी किया है और इसमे खुले तौर से तो नही लेकिन परोक्ष रूप से ही मैने अहम् भमिका निभाई है।
इस बार मेरी बारी है और मैं जम्होर ग्राम कचहरी के लिए सरपंच पद का उम्मीदवार हूं। जब मेरे आग्रह पर यहां की जनता लोकसभा-विधानसभा चुनाव में सही उम्मीदवार को वोट दे सकती है, तो मुझे क्यो नही। मुझे भी इस चुनाव में जनता का भरपूर स्नेह और समर्थन मिल रहा है, जिसके आधार पर वे दावें के साथ कह सकते है कि मेरी चुनावी जीत पक्की है।
तारा बाबू यह भी कहते है कि ग्राम कचहरी के सरपंच की कुर्सी न्याय की कुर्सी है और ज्यादातर उम्मीदवारों को यह भी समझ नही है कि इस पद की गरिमा और मर्यादा क्या है। मैं चुनाव जीत कर इस गरिमामय पद पर आसीन होने पर पंच परमेश्वर की भांति न्याय करंगा। साथ ही संबंधित वार्ड के पंच के साथ उस वार्ड का मामला आने पर उसी वार्ड में कचहरी लगेगी और फैसला भी जल्दी से और ऑन दी स्पॉट होगा।
तारा बाबू की ऐसी बातों को वोटर मंत्रमुग्ध से होकर सुन रहे है। वे उनकी बातों के कायल भी हो रहे है और उन्हे ऐसा लग भी रह रहा है कि तारा बाबू के रूप में जम्होर ग्राम कचहरी के सरपंच पद के लिए पहली बार कोई ऐसा उम्मीदवार चुनाव मैदान में आया है, जिसके पास न केवल अनुभव और अच्छा विज़न है बल्कि जनता के लिए बेहतर करने की सोंच भी है।
वैसे भी जम्होर में तारा बाबू की छवि, न्याय प्रिय और जन प्रिय सामाजिक कार्यकर्ता की रही है। सामान्य दिनों में भी तारा बाबू पूरे इलाके में जहां भी खड़े हो जाते है तो आसपास के लोग उनके इर्द गिर्द आ जाते है और ससम्मान अभिवादन कर उनसे अपनी बातों को रखने के सकने के साथ ही उनसे अपनी व्यक्तिगत समस्या भी साझा किया करते है। ऐसे मामलो में तारा बाबू लोगो को न केवल सही सलाह देते है बल्कि रास्ता भी दिखाते है।
फिलहाल पचास की उम्र पार कर चुके तारा बाबू वोटरो के निरंतर संपर्क में है और वोटरो पर उनके अनुभव का जादू सिर चढ़कर बोलता सा भी लग रहा है। ऐसे में चुनावी जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा इसका पता तो चुनाव परिणाम ही बताएंगा लेकिन चुनाव परिणाम के अपने ही पक्ष में आने के प्रति आश्वस्त तारा बाबू सादगी और शालीनता के साथ जनसंपर्क करते हुए वोटरो के दरवाजे पर दस्तक दे रहे है।