औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। शहर के श्रीकृष्णनगर में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा सह लक्ष्मी नारायण यज्ञ के पांचवें दिन श्री श्री 1008 श्री स्वामी रामप्रपन्नाचार्य जी महाराज ने भागवत कथा के प्रसंगों को सुनाकर लोगो को हमेशा सत्य के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।
उन्होने नई पीढ़ी के संस्कारों से दूर होने पर कटाक्ष किया। कहा कि गुड माॅर्निंग और गुड इवनिंग का अर्थ सुप्रभात और शुभ संध्या है। यह अभिवादन नही है बल्कि यह शुभ की कामना है। अभिवादन के लिए प्रणाम और नमस्कार ही सुसंस्कृत तरीका है। उन्होने कहा कि आज व्यक्ति पशु-पक्षियों से भी निकृष्ट हो गया है। हमारी संस्कृति पशु और पक्षियों से भी प्रेम करती है।
लोग दुःख निवारण शिविरों में जा रहे हैं, लेकिन शांति नहीं मिल रही। अगर शांति चाहते हो तो सत्संग के शिविरों में जाएं। कल्याण चाहते हो तो हरिदर्शन जरूरी है। आत्मा और शरीर का कष्ट दूर करना है तो सत्संग में जाओ, कचहरी में नहीं। सुखी व पवित्र जीवन चाहते हो तो गौपूजा करो। गाय घर में पालोगे तो शुद्ध दूध और घी मिलेगा। सात्विक जीवन होगा। ऐसी करनी करो कि अंत समय में हरि नाम का उच्चारण निकले। माता-पिता की सेवा से बढ़कर कोई तीर्थ नहीं है।