नई दिल्ली (विद्या भूषण शर्मा)। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में बालू खनन पर लगी रोक को हटाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने बिहार सरकार के खनन विभाग को निर्देश देते हुए कहा कि बालू खनन पर रोक से राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है।
बता दें कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने बालू खनन को लेकर बिहार सरकार के उस फैसले पर रोक लगा दिया था जिसमें सरकार ने राज्य में बालू खनन का आदेश दिया था। एनजीटी ने राज्य सरकार के आदेश को एनजीटी के गाइडलाइन के खिलाफ माना था। बालू खनन पर रोक होने से राजस्व का नुकसान हो रहा था इसी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को बालू खनन की अनुमति दे दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि बालू खनन पर प्रतिबंध से सरकारी खजाने को नुकसान हो रहा है। बालू खनन के मुद्दे से निपटते समय पर्यावरण की सुरक्षा मानकों को सुरक्षित करने के लिए यह आदेश बहुत जरूरी था। जिस तरह अवैध खनन हो रहा था और लोगों के बीच संघर्ष देखा जा रहा था इससे कई लोगों की जाने भी गयी है। इन इसी बिन्दुओं पर विचार के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आज बड़ा फैसला लिया है।
गौरतलब है कि ग्रीन ट्रिब्यूनल की आपत्ति के बाद राज्य में बालू घाटों की निविदा प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई थी। बालू खनन के लिए टेंडर की प्रक्रिया 8 जिलों में चल रही थी लेकिन ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद सरकार ने फिलहाल इस पर अंतिम रोक लगा दी थी। निविदा प्रक्रिया पर रोक से जुड़ा आदेश खान एवं भूतत्व विभाग ने जारी किया था।
विभाग में ग्रीन ट्रिब्यूनल की तरफ से 25 अक्टूबर को पारित किए गए आदेश के आधार पर रोक लगाई थी। बता दें कि राज्य में बालू की कमी को देखते हुए सरकार ने पिछले दिनों मंत्रिमंडल की बैठक के जरिए बालू घाटों की नीलामी प्रक्रिया शुरू करने से संबंधित प्रस्ताव पास किया था। आदेश दिया गया था कि जिनके पास से पहले से पर्यावरण स्वीकृति प्रमाण पत्र हैं वह इन जिलों में बालू घाटों की निविदा प्रक्रिया में भाग ले सकते हैं। सरकार ने निविदा का काम खनन विभाग को सौंपा था। सरकार के इस फैसले के बाद पटना के अलावे भोजपुर, सारण, औरंगाबाद, रोहतास, गया, जमुई और लखीसराय में निविदा की प्रक्रिया शुरू की गई थी लेकिन ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस निविदा प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए थे।
विभाग के प्रधान सचिव हरजोत कौर के मुताबिक के 16 जिलों में बंदोबस्ती का प्रस्ताव राज्य मंत्रिमंडल ने 1 अक्टूबर को मंजूर किया था। 8 जिलों में 50 फ़ीसदी अतिरिक्त शुल्क के साथ बंदोबस्ती होनी थी लेकिन कोर्ट का फैसला आने के बाद अब इस पर आगे बंदोबस्ती की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
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