पटना(लाइव इंडिया न्यूज18 ब्यूरो)। कोरोना से पति की मौत हो गई। इलाज के लिए महिला भागलपुर से लेकर पटना तक दौड़ लगाई। पति को बचाने में उसे कामयाबी नहीं मिली। लेकिन इस दौरान महिला के साथ जाे कुछ हुआ वो मानवाता को शर्मशार कर देगी। इलाज के दौरान भागलपुर से लेकर पटना तक महिला के साथ कंपाउंडर से लेकर डॉक्टर ने जाे कुछ किया वो शर्मनाक है।
होली के मौके पर पति संग नोएडा से भागलपुर आयी महिला को क्या पता था कि इस बार का रंग उसके माथे के सिंदूर को ही मिटा देगा। महिला ने करीब एक माह तक तीन अस्पतालों में पति को भर्ती कराते हुए पैसे से लेकर इज्जत तक गंवायी, लेकिन डॉक्टर-कंपाउंडर और अस्पतालों की अव्यवस्था से उसके पति की मौत हो गई। एक माह के दौरान कई बार अस्पतालों के डॉक्टरों से लेकर कंपाउंडर तक ने महिला से गंदी हरकतें कीं। पति को बचाने के लिए पत्नी सबकुछ सहती रही। जब पति की मौत हुई तो महिला ने सबको बेनकाब करने की ठान ली।
ग्लोकल हॉस्पिटल में पति के सामने ही कंपाउंडर ने दुपट्टा खींचा, कमर में हाथ डाला
मधुबनी जिले के निवासी एक व्यक्ति नोएडा में सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे। वे अपनी पत्नी संग होली में आयोजित गेट टू गेदर फेमिली कार्यक्रम में शरीक होने के लिए भागलपुर निवासी अपने एक रिश्तेदार के घर आए थे। इस दौरान सॉफ्टवेयर इंजीनियर कोरोना संक्रमित हो गया। दो से तीन बार रैपिड एंटिजन टेस्ट किट से जांच करायी गयी तो निगेटिव निकले। फिर आरटीपीसीआर जांच के लिए सैंपल दिया गया, जिसकी रिपोर्ट 10 दिन बाद मिली। पति की तबीयत खराब हुई तो 16 अप्रैल को ग्लोकल हॉस्पिटल में भर्ती कराया। पति की एचआरसीटी रिपोर्ट में 60 प्रतिशत फेफड़ा संक्रमित पाया गया। इस दौरान डॉक्टर व नर्स न तो पति को देखने जाते थे और न ही किसी को अंदर ही रहने देते थे।
महिला ने आरोप लगाया गया कि ग्लोकल हॉस्पिटल में उनके पति दो से तीन घंटे से मल किये बेड पर लेटे पड़े रहे। इसकी जानकारी जब स्टाफ को दी तो कोई आगे नहीं आया। यहां पर तैनात पुरुष कंपाउंडर ज्योति कुमार सहायता करने की बात कही और पति के सामने ही छेड़खानी की नीयत से दुपट्टा खींच लिया। यहां तक कि मेरे कमर में हाथ तक डाल दिया। मेरे छह फीट दो इंच के पति बेबस देखते रहे।
पटना के डॉक्टर करते थे गंदे-गंदे इशारे, मेरे बदन को रगड़ते हुए निकलते थे
26 अप्रैल को पति को मायागंज अस्पताल से रेफर कराने के बाद पटना ले गई। कहीं जगह नहीं मिली तो उसी दिन उन्हें चार घंटे तक मल भरे बेड पर राजेश्वर हॉस्पिटल पटना में लिटाये रखा गया। बहुत कहने के बाद पति को बेड तो मिला, लेकिन ऑक्सीजन का संकट हो गया। बार-बार जानबूझकर पाइपलाइन को बंद कर दिया जाता था, ताकि मरीज मजबूर होकर ऑक्सीजन खरीदने पर मजबूर हो जाये। पति की सेवा कर, खरीदे गये ऑक्सीजन को चढ़वा व दवा के बूते पति को बहुत हद तक रिकवर कर लिया था, लेकिन आठ मई की अलसुबह ऑक्सीजन आपूर्ति जानबूझकर बंद कर दी गई। कई घंटे तक पति ऑक्सीजन के बिना तड़पते रहे। सिलेंडर का ऑक्सीजन भी खत्म हो गया। आखिरकार पति ने आठ मई की अलसुबह दो बजे दम तोड़ दिया। महिला ने आरोप लगाया कि राजेश्वर हॉस्पिटल का चिकित्सक डॉ. अखिलेश उन्हें गंदे-गंदे इशारे करता था। जब चलता था तो मेरे बदन को रगड़ते हुए निकलता था। पति का इलाज कराना था तो मजबूर थी। कोई और समय व स्थान होता तो डॉक्टर को चप्पल निकाल कर मारती।
मामला सामने आने पर जागा प्रशासन, चेक कर रहा अस्पताल का सीसीटीवी
ग्लोकल हॉस्पिटल के मैनेजर अमित कुमार ने बताया कि आरोपी वार्ड अटेंडेंट ज्योति कुमार के खिलाफ निलंबन पत्र निकाला जा चुका है। अस्पताल का सीसीटीवी फुटेज खंगाला जा रहा है। अस्पताल प्रशासन ने एक कमेटी का गठन कर दिया है जो इस मामले की जांच कर रही है। अगर जांच में आरोप सही पाया गया तो महिला से आवेदन लेकर दोषी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराकर उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जायेगी।