Supreme Court के Order की अनदेखी कर Devhara में Road के बीचोंबीच लगी शहीद Santosh Mishra की प्रतिमा

RJD नेता ने उठाया सवाल, SC के आदेश का हवाला देकर जब बेला में डाॅ. अंबेडकर की मूर्ति लगाने पर लगी रोक तो देवहरा में कैसे हो गया निर्माण

औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। राजद के वरीय नेता श्याम सुंदर ने दाउदनगर अनुमंडल प्रशासन पर दो तरह का कानून चलानेे का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ सामाजिक न्याय की ताकतों से एकजुट होने की अपील की है।

उन्होने कहा कि यहां कानून का राज बेमानी है। आम और खास के लिये अलग-अलग कानून है। कहा कि यहां के अधिकारियों के साथ ही भाजपा नेताओं की नजर में देवहरा निवासी शहीद संतोष मिश्रा खास होते हैं जबकि संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर आम। तभी तो देवहरा में सड़क के बीचोंबीच नेशनल हाइवे पर भाजपा नेताओं ने 26 मार्च को शहीद संतोष मिश्रा की प्रतिमा का अनावरण कर दिया।

राजद नेता ने कहा कि शहादत के वक्त तत्कालीन भाजपा विधायक मनोज शर्मा ने प्रतिमा निर्माण के लिए अपनी ऐच्छिक निधि से तीन लाख रुपये दिए थे लेकिन पथ निर्माण विभाग की आपत्ति के बाद इस राशि को वापस ले लिया गया था। तब से लगातार चबुतरा निर्माण होता रहा। गोह थाना की ओर से चौकीदार की तैनाती हुई। फिर भी निर्माण कार्य नहीं रूका। 26 मार्च को भाजपा नेताओं ने बिना किसी प्रशासनिक आदेश के मूर्ति का अनावरण कर दिया। कहा कि आश्चर्य तो यह कि पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी भाजपा नेताओं की इस हरकत से अंजान बने रहे। दिन के उजाले में हो रहे निर्माण कार्य पर किसी भी जिम्मेवार अधिकारी की नजर नहीं गई। या फिर अधिकारियों ने नेशनल हाइवे पर तत्कालीन विधायक मनोज शर्मा के कोष से हो रहे निर्माण कार्य पर मौन रहना ही मुनासिब समझा।

वही दूसरी ओर, उपहारा थाना से चंद दूरी पर बेला स्थित संविधान निर्माता बाबा साहेब डाॅ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा जिसका निर्माण वर्ष 1984 में तत्कालीन विधायक रामशरण यादव ने करवाया था, वह प्रतिमा जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। जनवरी, 2017 में इस टूटी-फूटी मूर्ति का सौदर्यीकरण करा रहे ग्रामीणों पर तत्कालीन अनुमंडल पदाधिकारी राकेश कुमार की उपस्थिति में गोह के अंचल अधिकारी सुनील कुमार ने 65 लोगों पर मुकदमा दर्ज कर दिया था। तब से बेला गांव में बाबा साहेब की प्रतिमा लगातार अपमानित हो रही है। मुकदमे के डर से ग्रामीण सौदर्यीकरण कार्य नहीं कर पा रहे हैं और न ही टूटी-फूटी मूर्ति के प्रति अधिकारियों की कोई दिलचस्पी है। इस बाबत कई बार ग्रामीण अधिकारियों से फरियाद भी कर चुके हैं। कहा कि ग्रामीणों का पक्ष लेने के कारण उन पर भी मुकदमा दर्ज किया गया था। उस वक्त के अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा था कि सड़क के बीचोंबीच मूर्ति लगाना सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है। उन्होने कहा कि सवाल यह है कि पुरानी मूर्ति का सौदर्यीकरण अगर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है तो फिर देवहरा में शहीद संतोष मिश्रा की मूर्ति लगाना सुप्रीम कोर्ट का आदेश कैसे हो गया? या फिर यह मान लिया जाए कि अधिकारियों की नजर में संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के सम्मान का कोई मतलब नहीं रहा।

इसके साफ मायने है कि जिले में दो तरह का कानून चल रहा है। आश्चर्य की बात है कि कानून की हिफाजत की जिम्मेदारी कानून रौंदने वाले अधिकारियों के हाथों में है। सूबे में मनमाना कानून चल रहा है। शहादत के नाम पर मूर्ति की सियासत से ओछी राजनीति करने के बजाय नेताओं को शहीद संतोष मिश्रा की शहादत पर देवहरा में माडर्न स्कूल खोलना चाहिए, नेशनल हाइवे के किनारे ट्रामा सेंटर खोलना चाहिये। कहा कि उपहारा के बेला स्थित बाबा साहेब की प्रतिमा के साथ ही देवहरा में शहीद संतोष मिश्रा की प्रतिमा को दूसरे जगह शिफ्ट नहीं किया गया तो किसी बड़ी घटना से इंकार नहीं किया जा सकता।