Bailer के अभाव में जेलों में बंद कैदियों की रिहाई के लिए बने सरल प्रक्रिया : सुशील सिंह

औरंगाबाद के सांसद ने लोकसभा में शून्यकाल में उठाया सवाल

औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। औरंगाबाद के सांसद सुशील कुमार सिंह ने जमानत मिलने के बावजूद जमानतदार के अभाव में जेलों में बंद बंदियों की रिहाई को लेकर सवाल उठाया है।

लोकसभा में गुरुवार को शून्यकाल के दौरान सवाल उठाते हुए श्री सिंह ने कहा कि जेल में बंद वैसे गरीब लोग जिनकी सजा पूरी होने के बाद भी उनके पास जमानत के लिए कुछ नही रहता है, वैसे लोगों को जमानत देने की कोई सरल प्रक्रिया होनी चाहिए। कहा कि देश के ऐसे लाखों गरीब लोग है, जिनके पास कोई जमीन नहीं है। वें भूमिहीन और गृहविहीन भी है। उनके पास न कोई दो चक्का या चार चक्का की सवारी है। ऐसे लाखों लोग देश के विभिन्न जिलों में छोटे-मोटे अपराध में कैदी के रूप में बंद है। जिन मुकदमो में 7 साल से कम की भी सजा है और जो धाराएं जमानतीय है, उनमें भी वें जेल में बंद है। बहुत बार उनको न्यायालय से जमानत भी मिल जाता है या उनकी सजा पूरी हो जाती है लेकिन चुकी जमानत के लिए उनके पास कोई लगान की रसीद, घर की रसीद, कोई चार चक्के के सवारी की ऑनरशीप नही होती, वैसे लोगो को जमानत मिलने के बाद भी जेल से छूटने में परेशानी है।

कानूनन ऐसा प्रावधान है कि यह कार्य मुश्किल है। मैं भारत सरकार से यह निवेदन करना चाहता हुं कि देश के वैसे लाखों गरीब लोग जिनके पास कोई जमीन नहीं है, घर नही है, सवारियां नही है, जिसे जमानत के रूप में वह प्रस्तुत कर सके और उनको जेल से छूटने के लिए उनको बेलर चाहिए दूसरा कोई उनका बेलर बनने के लिए तैयार नही होता। दूसरा कोई व्यक्ति उनके लिए अपनी जमीन की रसीद देने को तैयार नही होता। अगर कानून में ऐसा बदलाव करना आवश्यक हो तो करना चाहिए। छोटे-मोटे अपराध जैसे किसी से एक्सीडेंट हो गया, किसी ने कोई छोटी मोटी चोरी, छोटी-मोटी झड़प, आपस में लड़ाई हो गई, 323 या 324 का केस है जो बेलेबुल ऑफेंसेस है जो हीनियस क्राइम की श्रेणी में नही आते, वैसे गरीब लोगों की जमानत के लिए की वें जेल से छूट सके, कानून में बदलाव किया जाना चाहिए और ऐसा प्रवाधान हो कि वें लोग छोटे-मोटे अपराध में जेलों से बाहर निकल सके।