औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज़ 18 )। कोरोना काल की छाया में पहला शारदीय नवरात्र का त्योहार शनिवार से आरंभ हो गया है। कोरोना की छाया के कारण पर्व की धूम नही और नवरात्र का रंग फीका लग रहा है। फीकेपन के बावजूद सादगी के साथ पर्व की शुरूआत हो गयी है। शहर से लेकर गांव तक कही भी बड़े पंडाल नही बन रहे है। कुछ स्थानों पर देवी दुर्गा की छोटी प्रतिमाओं की स्थापना कर महज परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है। नवरात्र के प्रथम दिन ऐसे स्थानों पर विधि विधान के साथ कलश की स्थापना की गई। इसके अलावा जिन घरों में नवरात्र पाठ का अनुष्ठान रखा गया है, वहां भी कलश स्थापना की गयी। कलश स्थापना के लिए पवित्र नदियों, तालाब और कुएं से जल लाएं गये। इस जल को कलश में भरकर कलश स्थापना का धार्मिक कर्मकांड संपन्न कराया गया। नवरात्र के पहले दिन भक्तों ने श्रद्धा के साथ मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की आराधना की। गौरतलब है कि पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें शैलपुत्री पुकारा जाता है। मां दुर्गा का यह स्वरूप बेहद शांत, सौम्य और प्रभावशाली है। घटस्थापना के साथ ही मां शैलपुत्री की विधि-विधान से पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा में सभी नदियों, तीर्थों और दिशाओं का आह्वान किया जाता है। इस बार शारदीय नवरात्र में तीन विशेष संयोग बन रहे हैं। पहला संयोग करीब 58 साल बाद बन रहा है। शनि और बृहस्पति अपनी-अपनी राशि मकर और धनु में संचार करेंगे। दूसरे संयोग में सत्रह अक्तूबर को सूर्य की संक्रांति पड़ रही है। इस दिन सूर्य तुला राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य की संक्रांति पड़ने से इस दिन किए गए पूजन-दान का फल हजार गुना अधिक हो जाता है। तीसरा और प्रमुख संयोग पूरे नवरात्र में सात दिन विशेष संयोग पडेंगे। इन योगों में शुभ कार्य करने से कार्य सिद्धि होती है और विशेष लाभ मिलता है। वही इस बार मां दुर्गा का आगमन घोड़े पर हुआ है। विद्वान ब्राहम्णों के अनुसार नवरात्र के अनुष्ठान के दौरान नियम, संयम, खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। मां दुर्गा का पूजन कर सोलह श्रृंगार अर्पण करना चाहिए। शारदीय नवरात्र के पहले मंदिरों को एक बार फिर से श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है। नवरात्र के पहले दिन मंदिरों में भक्त मां दुर्गा के दर्शन करने पहुंच रहे हैं। कोरोना की छाया के बावजूद मंदिरों में श्रद्धालु कोरोना से निडर दिख रहे है। मास्क से लेकर सोशल-फिजिकल डिस्टेंसिंग का अनुपालन सही तरीके से नही हो पा रहा है।