औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। अति नक्सल प्रभावित देव में वर्षों बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक उद्यम चंद का सपना अब साकार हो रहा है। जिस वक्त उन्होने यह सपना देखा था, उस वक्त विश्व प्रसिद्ध सौर तीर्थ स्थल होने के बावजूद धार्मिक पर्यटन नाम की कोई चीज नही थी। बाहर के लोग इस इलाके में जरूरत पड़ने पर भी डरते हुए आते थे क्योकि इलाके की फिजां में बारूद की गंध थी।
बमों के धमाकों की गुंज सुनाई देती थी। बंदूकों की गोलियों की तड़तड़ाहट थी। सड़कों का अभाव था। सुगम यातायात के साधन नही थे। सरकारी योजनाओं की लोगों तक पहुंच नही थी। जन कल्याणकारी योजनाओं के नाम पर लूट थी। सरकारी स्कूल नक्सलियों के निशाने पर थे।डर से शिक्षक स्कूलों में पढ़ाने नही जाते थे। शिक्षा का अभाव था। ज्ञान के प्रकाश की जगह सर्वत्र अंधेरा ही अंधेरा था। कही कोई उम्मीद की किरण दिखाई नही देती थी। उस वक्त लोगों में उम्मीद के बुझते दीएं को जगाने संघ के प्रचारक के रूप में उद्यम चंद ने देव में कदम रखा था। यहां आते ही वें तमाम समस्याओं से रूबरू हुए। उन्होने लोगों को जगाना शुरू किया। लोग जागे भी पर संसाधनों की कमी आड़े आती रही। उनके गुजर जाने से कुछ वर्षों के लिए रिक्तता आई लेकिन जन जागरूकता के आगे यह रिक्ततता धीरे-धीरे भरती चली गई। अब इलाके में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और जिला पुलिस की गतिविधियों से नक्सल समस्या खत्म होने को है। केंद्र और राज्य सरकार की योजना से इलाके में गांव-गांव तक सड़कों की पहुंच भी हो गई है।
सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं की भी पहुंच लगातार बढ़ रही है। सरकारी स्कूलों में पढ़ाने शिक्षक पहुंच रहे है। इलाके में निजी स्कूल भी खुल आए है। देव के लोगों ने संघ प्रचारक उद्यम चंद की स्मृति में सार्वजनिक पुस्तकालय भी खोल रखा है। पिछले क़ुछ सालों तक यह पुस्तकालय भी नाम का ही रह गया था।
इसी बीच दो साल पहले देव के सामाजिक कार्यकर्ता लक्ष्मण गुप्ता ने पुस्तकालय की कमान संभाली। पुस्तकालय की स्थिति तो उनके प्रयास से दुरूस्त हो गई लेकिन उन्हे उद्यम चंद के पूरे नही हो सके शिक्षा के सपने को पर लगाना था। लिहाजा उन्होंने अपने साथ सामाजिक प्रवृति के कुछ उर्जावान लोगों को जोड़ा। उत्साही लोगो की एक टीम खड़ी हो गई। टीम ने इलाके में शैक्षणिक स्थिति का अध्ययन किया। अध्ययन के दौरान पाया कि स्कूलों में बच्चें किताबी ज्ञान तो अर्जित कर ले रहे है लेकिन वे कॉम्पीटिटीव नही बन पा रहे है।
इसके समाधान यानि बच्चों में प्रतियोगिता की भावना लाने और स्टूडेंट्स को सिविल सर्विसेज की परीक्षा कंपलीट करने के लायक बनाने के लिए लक्ष्मण गुप्ता ने टैलेंट सर्च परीक्षा की शुरुआत की। इस परीक्षा के दो साल पूरे हो चुके है। इन दो सालों में इलाके के ढ़ेर सारे स्टूडेंट्स ने यह साबित कर दिखाया है कि वें भी शहरी बच्चों के समान कॉम्पीटीटिव परीक्षाओं के लायक हो गए।
इस वर्ष की परीक्षा के पारितोषिक वितरण समारोह के दौरान ग्रामीण बच्चों का उत्साह देखने लायक था। पारितोषिक के रुप में बच्चें लैपटॉप, साइकिल, एजुकेशनल किट, प्रशस्ति पत्र, मोमेंटो एवं अन्य सम्मान पाकर बेहद खुश दिखे।
प्रतिभा सम्मान समारोह में औरंगाबाद के सदर एसडीपीओ मो. अमानुल्ला खां, शिक्षा विभाग के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी(स्थापना) दयाशंकर सिंह, डीपीओ , देव के बीडीओ, अंचल अधिकारी, स्थानीय जन प्रतिनिधियों, गणमान्य नागरिकों एवं सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने शामिल होकर स्टूडेंट्स का हौसला बढ़ाया। उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी।
वही कार्यक्रम के आयोजक समाजसेवी लक्ष्मण गुप्ता ने कहा कि उद्यम चंद जी ने जो सपना देखा था, वह सपना अब मेरा भी सपना है। इलाके को शिक्षा ही नही हर क्षेत्र में आगे ले जाना है। प्रतिभा खोज परीक्षा का परिणाम जल्द ही सामने आएंगे। यहां के बच्चें भी आरएएस, आइपीएस और बड़े अधिकारी बनकर दिखाएंगे। जिस दिन यह होगा, उस दिन वें खुद को सौभाग्यशाली मानेंगे। तब वें यह बात गर्व के साथ कहने की स्थिति में होंगे कि मेरे प्रयास ने रंग लाया। यही वजह है कि इस दिशा में उनका प्रयास निरंतर जारी है और आगे भी जारी रहेगा। उन्हे पूरी उम्मीद है कि वह शुभ दिन भी जल्द ही आएंगा।