औरंगाबाद में सड़क की राह भटकी, लेबुरा की जगह रोड पहुंच गई नेउरा

औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। अनजान राहगीर जानकारी के अभाव में राह भटक जाते है लेकिन कोई सड़क रास्ता भटक जाएं और अपने गंतव्य के बजाय किसी और गांव तक पहुंच जाए तो इसका दोष किसे देंगे। सीधा जवाब होगा कि यह तो सड़क बनाने वाले विभाग की गलती ही नही महागलती है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सड़क निर्माण में ऐसी गलती की है औरंगाबाद के ग्रामीण कार्य विभाग संख्या-1 ने। मामला कुटुम्बा प्रखंड के घेउरा पंचायत से जुड़ा है। इस पंचायत में सरकारी रिकार्ड में लेबुरा गांव जाने के लिए सड़क तो बनी लेकिन कमाल तो यह हो गया कि राह भटक कर यह रोड लेबुरा के बदले नेउरा पहुंच गयी।

ऐसा काम करने वाले विभाग को दाद तो देनी ही पड़ेगी। साथ ही शाबासी भी देनी पड़ेगी कि क्या कमाल का विभाग है और बड़ा अच्छा कमाल किया है। हद तो यह है कि यह सड़क जिस गांव लेबुरा के नाम पर बनी, वह गांव घेउरा पंचायत में है ही नहीं बल्कि यह गांव इस पंचायत से 10 किलोमीटर दूर महाराजगंज पंचायत में है। गौरतलब है कि इस सड़क की शुरुआत राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 139 पर सिमरा के पास से हुई है। इस स्थान पर लगे सड़क के बोर्ड से यह ज्ञात होता है कि यह सड़क सिमरा-लेबुरा पथ है जो यहां से शुरू होकर लेबुरा को जाती है। अनजान राहगीर जब इस सड़क से लेबुरा जाने के लिए यात्रा शुरू करते है तो वे सड़क के अंतिम छोर यानि लेबुरा के बदले नेउरा पहुँच जाते है तब जाकर उन्हें यह एहसास होता है कि उन्होंने तो गलत राह पकड़ लिया। हलाकि यहां गलती सीधे तौर पर सड़क बनानेवाले विभाग की है। मानाकि सिमरा से लेबुरा जानेवाली सड़क किसी कारण या साजिश के तहत ही नेउरा के लिए बन गई तो भी विभाग यहाँ पर लगे बोर्ड पर सिमरा-नेउरा पथ लिख देता तो अजनबियों को राह नहीं भटकना पड़ता लेकिन विभाग ने अपनी गलती को छुपाने के लिए सड़क का नाम सिमरा-लेबुरा पथ ही रहने दिया। यही वजह है कि लगनौती मौसम में इस इलाके में लेबुरा को जानेवाली बारात इतना तक कि दूल्हे भी लेबुरा के बदले नेउरा पहुंच जाते है। वहां पहुंचने पर जब उन्हें यह पता चलता है कि जाना था रांची मगर करांची पहुँच गए फिर उन्हें खीझ तो आती है और वे सड़क बनानेवाले विभाग को कोसते भी है पर विभाग को इससे कोई लेना देना नहीं है।

विभाग का रवैया तो ऐसा लगता है कि दुनिया जाय भाड़ में मुझे क्या पड़ी। हद तो यह है कि विभाग ने इस बात को ही नहीं अपना काम बनता भाड़ में जाय जनता वाली बात भी चरितार्थ कर ही दी है। विभाग ने पीएमजीएसवाई के तहत किसी ठेकेदार को टेंडर दिया। ठेकेदार ने कही किसी प्रभावशाली के दबाव में आकर सड़क को सिमरा से लेबुरा के बदले नेउरा तक बना दिया और नाम सिमरा-लेबुरा पथ ही रहने दिया ताकि सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज इस नाम के अनुसार उसे काम का भुगतान हो जाए। ठेकेदार को काम की राशि का भुगतान तो हो गया लेकिन सड़क अपनी राह से भटक गई। कायदे से किसी भी सड़क के निर्माण के बाद ठेकेदार को राशि का भुगतान विभाग द्वारा तभी किया जाता है जब विभाग के अभियंता सड़क की मापी कर मापी पुस्तिका में सड़क के सही और गुणवत्तापूर्ण निर्माण की रिपोर्ट देते है. यहाँ साफ लगता है कि विभाग के अभियंताओं ने भी लाल और हरे- हरे नोटों के चकाचैंध में आँखों को चुंधिया कर गलत रिपोर्ट दे दी. नतीजा सारा काम पूरा हो गया. सरकारी फाइल में सड़क बन गई भले ही धरातल पर जनता जनार्दन परेशान है। वास्तविकता यह है कि यह सड़क अब खैरा नहर तटबंध से होते हुए नेउरा गांव तक जाती है। जबकि इसे लेबुरा जाना चाहिए था, लेकिन यह नेउरा पहुंच गई, जहां पहले से ही सड़क है। लेबुरा पथ का कोई उपयोग नहीं है। कभी-कभार ग्रामीण इस सड़क का उपयोग करते हैं। यानी जनता का पैसा बेवजह बर्बाद कर दिया गया। जबकि इसी पंचायत में दो ऐसे गांव हैं, जहां सड़क नहीं और ग्रामीण सड़क के लिए सरकारी दफ्तर और नेताओं के दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन सड़क नसीब नहीं हुई। घेउरा पंचायत में दो गांव सड़क के लिए तरस रहे है। हालांकि कुटुम्बा प्रखंड में इस तरह के कारनामो को ग्रामीण कार्य विभाग ने खूब अंजाम दिया हैं। विभाग के लिए यह धरती उपजाऊ है। इसी इलाके में एक और सड़क को अगवा किया गया था। अगवा की गई सड़क लभरी खुर्द नाम से बनी पर लभरी पहुंचने के बजाय लभरी गांव पहुंच गई थी। जबकि लभरी में पहले से सड़क सुविधा थी। लभरी खुर्द को आज तक सड़क नसीब नहीं हुई। रसूखदारों ने दूसरे गांव की सड़क को अपने गांव में करा लिया था। शिकायत मिलने पर विभाग ने जांच कर कार्रवाई का आश्वासन दिया था, लेकिन आज तक जांच नहीं हुई। वही विभाग के कार्यपालक अभियंतायोगेश्वर कुमार सिंह पहलेवाले मामले के साथ ही इस मामले में अब भी यही कह रहे है कि मामले की जांच कराएंगे। जो भी दोषी होंगे कार्रवाई करेंगे। वहीं जिन दो गांवों में सड़क नहीं है। वहां सड़क का निर्माण कराया जाएगा। एक गांव का सड़क पास है। जबकि दूसरे का सर्वे कराएंगे।