औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। विधानसभा चुनाव में गोह से प्रत्याशी रहे राजद नेता श्याम सुंदर ने कहा है कि देश जातीय और धार्मिक कट्टरपंथियों का नहीं, बल्कि बाबा साहेब डा.भीमराव अंबेडकर लिखित संवैधानिक व लोकतांत्रिक मूल्यों पर टिका है।
सूबे में पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के बयान पर हंगामा करने वाले लोग जातीय और धार्मिक उन्मादी हैं। ऐसे लोगों पर सरकार अविलंब विधि सम्मत कार्रवाई करे। सरकार जीतनराम मांझी के जीभ काटने पर इनाम की घोषणा करने वाले भाजपा नेता को अविलंब गिरफ्तार करे, वरना बिहार को हिंसक होते देर नहीं लगेगा। क्या ब्राह्मणों के डर से इस देश में सच बोलने का हक किसी को नहीं है? जातीय श्रेष्ठता देश को तरह चाट रहा है और समाज को खोखला कर रहा है।
आखिर मंदिरों पर सिर्फ ब्राह्मणों का ही कब्जा क्यों? विद्वानों के जिम्मे क्यों नहीं? मंदिर सनातन संस्कृति के विद्वानों के कब्जे में कब आएगा? बिहार सरकार मंदिर में पुजारियों के लिये प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित करवाये। भाजपा जातीय और धार्मिक उन्मादियों का सरदार है। ब्राह्मण जाति का मतलब पंडित नहीं होता और हर पंडित, ब्राह्मण नहीं होता। पांडित्य का मतलब विद्वान होता है। आज देश जानना चाहता है कि सूबे में कितने ब्राह्मण विद्वान हुए हैं? जब देश में संविधान लिखने की बारी आती है, तब बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर याद आते हैं। सामाजिक न्याय की रक्षा की बात होती है तब अमर शहीद जगदेव प्रसाद और जन नायक कर्पूरी ठाकुर याद आते हैं।