बिहार में पंचायत चुनाव में इस बूथ पर रात के 9 बजे तक करानी पड़ी वोटिंग, जानिए क्यो?

लोकतंत्र के महापर्व पंचायत चुनाव में जरमाखाप में रचा गया इतिहास

लालटेन की रौशनी में रात के 9 बजे तक हुई वोटिंग

औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। बिहार पंचायत आम निर्वाचन-2021 के प्रथम चरण में शुक्रवार को औरंगाबाद जिले के सदर प्रखंड में बेला पंचायत के जरमाखाप स्थित बूथ पर इतिहास की रचना हो गई।

देश के लोकतांत्रिक इतिहास में शायद यह पहला मौका है जब मतदान की निर्धारित अवधि शाम के पांच बजे के बीतने के बावजूद लालटेन की रौशनी में रात के करीब 9 बजे तक वोटिंग हुई।

गौरतलब है कि जरमाखाप गांव के राजकीय मध्य विद्यालय मतदान केंद्र पर एक तो सुबह में वोटिंग आरंभ होने में विलम्ब हुआ। इसके कुछ समय बाद इवीएम मशीन में खराबी आने से मतदान एक से अधिक घंटे और बाधित हुआ। उस पर तुर्रा यह कि मतदान कराने वाले मतदानकर्मियों की भी गति धीमी रही।

इन कारणों से वोटिंग में लगातार विलम्ब होता गया और वोटरो की कतार बढ़ती गई। साथ ही छः सौ से अधिक वोट होने पर अतिरिक्त़ मतदान केंद्र या सहायक बूथ बनाये जाने की भी प्रशासनिक स्तर पर अनदेखी हुई। लिहाजा मतदान में जो विलम्ब हुआ, वह बढ़ता ही गया।

इस दौरान कुछ वोटर तो विलम्ब होने से अपने घरों को लौट गए। ऐसे वोटर दोपहर बाद फिर से अचानक बूथ पर आने शुरू हो गये और बूथ पर वोटरो का सैलाब सा उमड़ पड़ा। मतदान के समाप्त होने की निर्धारित अवधि शाम के पांच बजने के पहले बूथ पर मतदाताओं की और भी लम्बी कतार लग गई।

आखिर ऐस़ा हो भी क्यो न क्योकि पंचायत चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों ने ही वोटरो के घर घर जाकर खुद के लिए वोट पाने के गरज में उन्हे घरों से निकाल कर पांच बजे तक बूथ पर लाइन में लगवा दिया।

यही पर चुनाव आयोग की तकनीकी गाइड़लाइन ने भी वोटरो का साथ दिया। बता दे कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी भी तरह के चुनाव के मामले में यह प्रावधान है कि मतदान समाप्त होने की अवधि के चंद मिनट पहले तक भी यदि कोई वोटर वोट देने के लिए कतार में लग जाता है, तो ऐसी स्थिति में अवधि के बाद भी वोटर को मत देने का तबतक मौका दिया जाएगा जबतक कि लाइन में लगा एक एक वोटर अपने मताधिकार का इस्तेमाल न कर ले।

इसी प्रावधान का लाभ जरमाखाप में भी वोटरो को मिला। लाइन में लगे वोटरो को शाम के 7 बज़े तक मतदान करने का मौका दिया गया। इस बीच अंधेरा होना शुरू होने पर मतदान कर्मी वोटिंग बंद कराने लगे। इसे लेकर लाइन में लगे वोटर प्रावधानों का हवाला देते हुए हर हाल में वोट देने पर अड़ गए और हल्ला गुल्ला और शोर शराबा करने लगे।

मामले की जानकारी औरंगाबाद के जिलाधिकारी सह जिला निर्वाचन पदाधिकारी सौरभ जोरवाल तक पहुंची। जानकारी के बाद आखिरकार शोर शराबा कर रहे वोटरो को सात बजे के बाद भी वोट कराने का मतदानकर्मियों को आदेश दिया।

तब जाकर लालटेन की रौशनी में पुनः वोटिंग शुरू हुई और कतार में लगे अंतिम वोटर तक को मतदान का मौका दिये जाने में रात के करीब नौ बजे तक मतदान संपन्न हुआ। इस तरह चुनावी लोकतंत्र में पंचायत चुनाव में औरंगाबाद में रात के 9 बजे तक मतदान का रिकॉर्ड तो बन ही गया और इतिहास भी रचा गया। ऐसे में जय हो लोकतंत्र की और जय हो लोकतांत्रिक परम्पराओं की।