औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। स्टील ऑथोरिटी ऑफ इंडिया लि.(सेल) के झारखंड के बोकारो स्थित प्लांट की ब्लास्ट फर्नेस स्लैग(फ्लाई ऐश) को बल्क मात्रा में किसी एक कंपनी को आपूर्ति करने की नीति से बिहार समेत आसपास के आधा दर्जन राज्यों में सीमेंट एवं फ्लाई ऐश ब्रिक्स उद्योगों के समक्ष कच्चा माल का संकट उत्पन्न होने लगा है।
गौरतलब है कि स्टील प्लांट का ब्लास्ट फर्नेस स्लैग(फ्लाई ऐश) एक सह उत्पाद है, जिसकी बाजार में कीमत लगभग एक हजार रुपयें प्रति टन है। फ्लाई ऐश की सीमेंट प्लांटों और छोटे-छोटे ब्रिक्स उद्योगों में भारी मांग है और यह उनके लिए कच्चा माल है। वही बोकारो स्टील प्लांट ने वर्तमान में एक सीमेंट उद्योग के साथ 460 रुपयें प्रति टन के दर से ब्लास्ट फर्नेस स्लैग बेचने का एक लंबी अवधि का अनुबंध कर रखा है और उसी कंपनी को माल उसे बेचा जा रहा है। इससे स्टील प्लांट को वर्तमान बाजार मूल्य के मुकाबले भारी राजस्व का नुकसान लगातार हो रहा है। इस स्थिति में बोकारो स्टील प्लांट से किसी एक ही कंपनी को फ्लाई ऐश की आपूर्ति होने से बिहार, झारखंड, उतर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छतीसगढ़ और उड़ीसा की विभिन्न कंपनियों की सीमेंट उत्पादन इकाईयों के अलावा फ्लाई ऐश से ब्रिक्स बनाने वाले छोटे ईंट उद्योगों के समक्ष कच्चें माल का संकट गहराने लगा है। जानकार सूत्रों के अनुसार स्टील प्लांटो के ब्लास्ट फर्नेस स्लैग की सीमेंट उद्योगों में मांग लगातार बनी रहती है।
बिहार और अन्य राज्यों के सीमेंट प्लांट बोकारो स्टील प्लांट से एक हजार रुपयें प्रति टन की दर से स्लैग खरीदने के लिए तैयार है तथा इसका अनुरोध भी वें लगातार कर रहे है लेकिन उनकी मांगों व अनुरोध को दरकिनार कर बोकारो स्टील प्लांट द्वारा लगातार कम दर पर एक ही सीमेंट प्लांट को स्लैग उपलब्ध कराया जा रहा है। इससे प्लांट के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहा है। जानकारी सूत्रों की माने तो बोकारो स्टील प्लांट में अधिकारियों की मिलीभगत से यह खेल एक लंबे समय से चला आ रहा है, जिसकी सुधी अभी तक किसी ने नहीं ली है। इसके परिणामस्वरूप भारत सरकार के इस महत्वपूर्ण उपक्रम सेल को आर्थिक स्तर पर इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। सूत्र बताते है कि यदि भारत सरकार का इस्पात मंत्रालय इस मामले को संज्ञान में ले तो इस मद में सेल को हो रहे घाटे की काफी हद तक भरपाई हो सकती है।