राजगीर में मानवाधिकार संगठनों द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में प्रथम दिन वक्ताओं की राय
पत्रकारों के लिए प्रभावी सुरक्षा तंत्र विकसित करने पर जोर
राजगीर(नालंदा)(स्पेशल ब्यूरो)। राजकीय मानवाधिकार संरक्षक समूहों एवं पत्रकारों की सुरक्षा बेहद जरूरी है और इसके लिए एक प्रभावी तंत्र विकसित करने की आवश्यकता है।
ये बातें वक्ताओं ने इंडियन सोशल एक्शन फोरम, ह्यूमन राइट्स डिफेंडर्स अलर्ट इंडिया एवं नेशनल दलित मूवमेंट फॉर जस्टिस के संयुक्त तत्वावधान में राजगीर में शनिवार को आरंभ हुए दो दिवसीय कार्यशाला के प्रथम दिन उद्घाटन सत्र में कहीं। कार्यशाला में इंडियन सोशल एक्शन फोरम की राष्ट्रीय अध्यक्ष विद्या दिनकर, एचआरडीए के प्रतिनिधि विक्की कुमार, वरिष्ठ पत्रकार पीके मिश्रा, बंदी अधिकार आंदोलन के संयोजक संतोष उपाध्याय, इलेक्शन वॉच के प्रतिनिधि राजीव कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता स्मिता, चिकित्सक डॉ. निर्मल कुशवाहा, दैनिक जागरण के उप संपादक विद्यासागर, डॉ. साहिब जमीन, अधिवक्ता अनुराधा सिंह तथा पत्रकार व संपादक अनवार उल्लाह आदि ने भी विचार रखे।
कार्यशाला के संयोजक इरफान अहमद फातमी ने बताया कि कार्यशाला में मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओं से पीड़ित लोगों को कानूनी सहायता उपलब्ध कराने वाले व्यक्तियों, एजेंसियों, संस्थाओं आदि को कानूनी संरक्षण के लिए प्रभावी तंत्र विकसित करने की बात उभरकर सामने आई। वक्ताओं ने कहा कि पत्रकार और मानवाधिकार रक्षक(एचआरडी), न्याय और मानवाधिकारों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सभी के लिए सभी मानवाधिकारों का सम्मान, रक्षा और पूर्ति करने और ऐसा करने में विफल होने पर उन्हें जवाबदेह ठहराने के लिए राज्यों के लिए एक स्वतंत्र और जीवंत नागरिक समाज आवश्यक है।
पत्रकार मानव अधिकारों के मामले की जांच करते समय और अपनी कहानियों के माध्यम से अधिकारों की रक्षा करते समय एचआरडी के रूप में कार्य करते हैं। इंटरनेशनल पुलिस प्रोजेक्ट के तहत वॉच ऑफ द स्टेट(डब्ल्यूटीएस) पहल ने भी भारत में पत्रकारों पर हमलों का विवरण एकत्र किया है। इसके डेटाबेस से पता चलता है कि मई 2019 से अगस्त 2021 तक भारत में पत्रकारों पर हमले और गंभीर उत्पीड़न की 256 घटनाएं हुईं। यह प्रवृत्ति 2022 में भी जारी रही क्योंकि भारत की प्रेस स्वतंत्रता रैंकिंग पिछले साल 142 से गिरकर 2022 में 150 हो गई। नवीनतम विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में कहा गया है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में प्रेस की स्वतंत्रता संकट में है। इसके आलोक में संघर्ष और गैर-संघर्ष दोनों क्षेत्रों में पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किए गए ढांचे और प्रवर्तन तंत्र को मजबूत करने के लिए संयुक्त राष्ट्र(यूएन) द्वारा कई उपायों को अपनाया गया है। कार्यक्रम में इन उपायों के प्रभावी क्रियान्वयन पर भी विमर्श किया गया।