जब राजनीति फिसलती है तो साहित्य उसे थाम लेता हैः अवधेश
पटना (लाइव इंडिया न्यूज18 ब्यूरो)। वरिष्ठ पत्रकार कवि व राष्ट्रीय सहारा के स्थानीय संपादक रमाकान्त चंदन की कविता संग्रह ‘गोयठा थापती लड़की’ का विमोचन गुरुवार को बिहार विधान परिषद् के सभागार में किया गया। विधान परिषद् के सभापति अवधेश नारायण ने उक्त पुस्तक के संदर्भ में कहा कि यह चंदन की सुगंध है जो कि बिहार के, हिंदुस्तान के‚ ग्रामीण परिवेश को‚ आÌथक परिवेश को‚ राजनीतिक परिवेश को एवं साहित्यिक परिवेश को दर्शाता है। पुस्तक का शीर्षक देखकर ही समझ में आ जाता है कि कविताओं में क्या होगा। उन्होंने साहित्य के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि राष्ट्रकवि दिनकर जी ने कभी जवाहर लाल नेहरू को कहा था कि राजनीति जब–जब फिसलती है‚ साहित्य थाम लेता है। यह आज भी प्रासंगिक है।
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांड़ेय ने कहा कि बिहार में कोरोना संक्रमण के मामले आज नगण्य हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि कोरोना खतरा पूरी तरह टल गया है। यह समस्या दुबारा उत्पन्न न हो इसके लिए सावधानी बरतना बेहद ही जरूरी है। उन्होंने कहा कि साथी का जीवन में बड़ा महत्व है। जीवन में बहुत ही सौभाग्य से एक अच्छा और सच्चा साथी मिलता है। वरिष्ठ पत्रकार तथा राष्ट्रीय सहारा के स्थानीय संपादक चंदन जी की रचनाओं में साथी की चर्चा जिस रूप में मिलती है‚ वह जीवन की सार्थकता को बढ़ा देता है।
उपमुख्यमंत्री रेणु देवी ने कहा कि चंदन जी की इस कविता संग्रह में महिलाओं की कथा – व्यथा को जिस तरह वर्णन किया गया है‚ वह पाठक के सीधे मर्म से जुड़ता है। इनकी कविताओं में महिलाओं के विवश भरे दर्द की जीवंत प्रस्तुति की गई है।
चंदन की कविताएं दरअसल पड़ताल की कविताएं हैः उपेंद्र राय
हिंदी में कवि पत्रकारों की समृद्ध परंपरा रही है। सबकी खबर लेने और सबको खबर देने का भाव लिए पत्रकार अपनी संवेदना में जन्मजात कवि होता है। वह अपने दैनन्दिन कार्य में प्रतिदिन भाव और भाषा के धरातल पर संघर्ष करता है। वैसे भी सृजन घनीभूत अंधकार में होता है और उसकी पीड़ा कवि बेहतर समझता है। यह विचार बिहार विधान परिषद सभागार में राष्ट्रीय सहारा के स्थानीय संपादक रमाकांत प्रसाद ‘चंदन’ के कविता संग्रह ‘गोयठा थापती लड़की’ के लोकार्पण समारोह में सहारा न्यूज नेटवर्क के सीईओ एवं एडिटर इन चीफ उपेंद्र राय ने रखे। उन्होंने कहा कि चंदन की कविताएं दरअसल पड़ताल की कविताएं हैं। इस पड़ताल में जीवन की त्रासदी भी है और इस त्रासदी के बीच उबरने का एक संकल्प भी।
उन्होंने कहा कि यह जागी आंखों से देखी गई स्थितियों का एक अदम्य संसार है। कवि का इस पीड़ा से सामना तो होता है पर उम्मीदों के संसार के साथ चंदन जीवन की तमाम विवशताओं के बीच जिंदगी की तलाश जारी रखते हैं। कविता कमजोर आवाज की प्रतीति नहीं बल्कि सशक्त जीवन को पाने की स्थितियों का मूल्यांकन करती है। कविता ‘काल स्वर’ में कवि तमाम रक्तरंजित आंदोलनों का पोस्टमार्टम करते हुए यह संदेश देता है कि ‘भाप से किसी की प्यास नहीं बुझती’। कवि के भीतर नवनिर्माण की धारा प्रबल रूप से विद्यमान है। सकारात्मक चिंतन उसका आधार है। जहां दुआओं में संसार बसता है। मां के निश्छल प्रेम में यह कवि असमर्थता के गीत तो गाता है पर सामर्थ्य के भाव को सिंचित भी करता है।
पुस्तक का लोकार्पण बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह, उप मुख्यमंत्री रेणु देवी, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, विधान पार्षद राजेंद्र गुप्ता, कांग्रेस विधायक शकिल अहमद खान, कवि पत्रकार निवेदिता झा व वरिष्ठ कवि आलोक धन्वा ने किया।
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