जनता का विश्वास नहीं जीत सकी नामचीन नक्सली विकास यादव की बेटी पूनम और बीवी हेमा
औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। बिहार त्रिस्तरीय पंचायत आम निर्वाचन-2021 के दसवें और अंतिम चरण की शुक्रवार को मतगणना संपन्न होने के साथ ही चुनावी प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है। औरंगाबाद के ग्यारह प्रखंडों के चुनाव परिणाम ने यहां की जनता की लोकतांत्रिक परिपक्वता का अहसास कराया है। जनता ने अहसास कराया है कि उन्हे सही मायने में लोकतंत्र की धारा में आनेवाले नक्सलियों के परिजन तो स्वीकार है लेकिन जिन पर उन्हे संदेह है, वे उन्हे स्वीकार नही है।
पंचायत चुनाव में स्वीकार-अस्वीकार की पहली झलक छठे चरण में गोह प्रखंड के चुनाव परिणाम से दिखी। यहां की जनता ने औरंगाबाद जिला परिषद के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र संख्या-6 से जिला पार्षद पद की उम्मीदवार शोभा कुमारी को सर आंखों पर बिठाया और विजयश्री दिलाई। खास बात यह है कि शोभा भाकपा माओवादी की सेंट्रल कमिटी के बड़े नेता विजय आर्य की बेटी और पूर्व में पत्रकार व जाप के प्रदेश प्रवक्ता सह महासचिव रहे राजद नेता तथा विधानसभा चुनाव में गोह से प्रत्याशी रहे श्याम सुंदर की पत्नी है।
शोभा को जीत दिलाकर गोह की जनता ने संकेत दे दिया कि यदि किसी नक्सली की बेटी खुले दिल से पिता के रास्ते के विपरीत लोकतंत्र के रास्ते पर चलना चाहती है, तो वह उन्हे सहजता से स्वीकार है। यहां की जनता ने शोभा पर इस कारण भी भरोसा किया कि उसके पति श्याम सुंदर क्षेत्र के ज्वलंत मुद्दो को लेकर लगातार संघर्ष कर रहे है और लगातार दो बार विधानसभा का चुनाव लड़ चुके है। इस कारण जनता को इनकी संसदीय लोकतंत्र के प्रति निष्ठा संदिग्ध नही लगी।
वही दसवें चरण में कुटुम्बा प्रखंड के परिणाम ने यह संकेत दिया कि यहां की जनता नक्सली की बेटी और बीवी को अपना नेता स्वीकार करने को तैयार नही है। बता दे कि कुटुम्बा प्रखंड के भरौंधा पंचायत से जेल में बंद नामचीन नक्सली विकास यादव की बेटी पूनम कुमारी तथा इसी प्रखंड में औरंगाबाद जिला परिषद के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र संख्या-25 से विकास की दूसरी पत्नी हेमा कुमारी जिला पार्षद पद की उम्मीदवार थी। चुनाव परिणाम से ज्ञात हुआ कि दोनो ही भरपूर प्रयास के बावजूद जनता का भरोसा नही जीत सके और पराजय का सामना करना पड़ा। यहां जनता द्वारा भरोसा नही किये जाने के पीछे एक वजह भी है।
वजह यह कि विकास ने नक्सली जीवन में अपनी पहली गिरफ्तारी के बाद जमानत पर जेल से बाहर आने के कुछ दिनों बाद लोकतंत्र में विश्वास जताते हुए पप्पू यादव की पार्टी जन अधिकार पार्टी(लोकतांत्रिक) का दामन थामा था। कुछ दिन तक जाप में रहने के बावजूद विकास को राजनीति रास नही आई। उसने एक नये नक्सली संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया(पीएलएफआई) का दामन थाम लिया और संगठन का बिग कमांडर बन बैठा। कमांडर बनते ही उसने पीएलएफआई के संगठन के नेटवर्क को औरंगाबाद के इलाके में खड़ा किया, पर नये संगठन के पहले ही एक्शन के बाद वह अपनी पूरी टीम के साथ पुलिस के हत्थें चढ़ गया और आज भी वह जेल में बंद है।
विकास के जेल में रहने के बावजूद उसकी बेटी पूनम कुमारी भरौंधा पंचायत से मुखिया पद के लिए तो पत्नी हेमा कुमारी कुटुम्बा प्रखंड में क्षेत्र संख्या-25 से जिला पार्षद पद का चुनाव लड़ने मैदान में उतरी। पत्नी के चुनाव प्रचार के दौरान पोस्टर, पंपलेट और फ्लेक्स में हेमा के साथ विकास की भी तस्वीर लगी। हेमा ने पूरे दम खम के साथ इलाके में घुम घुम कर वोट भी मांगा लेकिन जीत नही सकी। वही पूनम के प्रचार अभियान में पोस्टर, पंपलेट पर विकास की तस्वीर नही बल्कि उसके पति और पूर्व छात्र राजद नेता नीतीश कुमार की तस्वीर लगी। नीतीश ने भी पत्नी को मुखिया बनाने के लिए पूरा दम लगाया लेकिन विकास का मुख्यधारा में नही होना ही दोनों के चुनावी अरमानों को ले डूबा।
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