ओबरा(औरंगाबाद)(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। देश के प्रथम राष्ट्रपति डाॅ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती पर गुरुवार को यहां पेंशनर समाज के बैनर तले एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
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कार्यक्रम के आरंभ में पेंशनरों ने राजेंद्र बाबू के चित्र पर माल्यार्पण कर उनके बताये रास्तें पर चलने का संकल्प लिया। कार्यक्रम में वक्ताओं ने राजेंद्र बाबू के व्यक्तित्व-कृतित्व की विस्तार से चर्चा की। कहा कि राजेन्द्र बाबू की वेशभूषा बड़ी सरल थी। उनके चेहरे मोहरे को देखकर पता ही नहीं लगता था कि वे इतने प्रतिभा संपन्न और उच्च व्यक्तित्व वाले सज्जन हैं। देखने में वे सामान्य किसान जैसे लगते थे। वें भारत के प्रथम राष्ट्रपति एवं महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे। वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे। उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया था। राष्ट्रपति होने के अतिरिक्त उन्होंने भारत के पहले मंत्रिमंडल में 1946 एवं 1947 मेें कृषि और खाद्यमंत्री का दायित्व भी निभाया था। सम्मान से उन्हें प्रायः राजेन्द्र बाबू कहकर पुकारा जाता है।
राजेंद्र बाबू की जयंती मनाते पेंशनर
भारत के स्वतंत्र होने के बाद संविधान लागू होने पर उन्होंने देश के पहले राष्ट्रपति का पदभार संभाला। राष्ट्रपति के तौर पर उन्होंने कभी भी अपने संवैधानिक अधिकारों में प्रधानमंत्री को दखलंदाजी का मौका नहीं दिया और हमेशा स्वतंत्र रूप से कार्य करते रहे। राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने कई ऐसे दृष्टांत छोड़े जो बाद में उनके परवर्तियों के लिए उदाहरण बन गए। 12 वर्षों तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने के पश्चात उन्होंने 1962 में अपने अवकाश की घोषणा की। अवकाश लेने के बाद उन्हें भारत सरकार द्वारा सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया। कार्यक्रम में पेंशनर समाज के सचिव सह सेवानिवृत प्रधानाध्यापक त्रिवेणी पांडेय, सेवानिवृत शिक्षक भरत प्रसाद एवं विवेश पांडेय आदि ने विचार रखें।