फुटपाथ के मुद्दे हों राजनीतिक दलों के एजेंडा में शामिल : इरफान

पटना। फुटपाथ दुकानदारों के मुद्दे बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों के एजेंडा में शामिल किया जाए। केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ शहरी गरीबों तक पहुंचाया जाए। उक्त बातें ऑल इंडिया हॉकर्स फोरम के महासचिव इरफान अहमद फातमी ने आज जनघोष, जनता के मुद्दे जनता की सरकार कार्यक्रम के तहत फुटपाथ विक्रेता विषय पर बोलते हुए कही।

उन्होंने ने कहा कि ऑल इंडिया हॉकर्स फोरम ने देशभर में शहरी गरीब हॉकर्स की लड़ाई मजबूती से लड़ा है। आज देश में इस पूरे कोरोना काल में हॉकर्स वेंडर्स ने आम लोगों को अपनी जान की परवाह किये बिना सस्ती कीमतों पर घर तक सामान पहुंचाया है। लॉक डाउन में ये सबसे बड़े कोरोना वरियर्स के रूप में सामने आए। लेकिन इनके साथ शासन प्रशासन ने क्या किया। इनके दुकान उजड़े, सड़क पर दौड़ाकर पिटाई की गई। प्रधानमंत्री ने इनके लिए मात्र 10 हजार रुपये का ऋण की व्यवस्था करने की योजना लाई लेकिन देश भर में इसका हालत खराब है। बिहार में अभीतक पूरे हॉकर्स का सर्वे तक राज्य सरकार नहीं करवा सकी है। ऐसे में आम हॉकर्स को कैसे इसका लाभ मिलेगा। सरकार सभी हॉकर्स को 10 हजार रुपये का व्यजमुक्त ऋण उपलब्ध करवाए चाहे वह किसी गांव – कस्बे के हीं क्यों न हो।

उन्होंने कहा कि टाउन वेंडिंग कमेटी को जनतांत्रिक करने की जरूरत है। कार्यक्रम का संचालन दीनबन्धु वत्स ने किया। मौके पर कार्यक्रम में वक्ता पत्रकार विद्या सागर ने कहा कि फुटपाथ विक्रेता लॉक डाउन में सबसे बड़े कोरोना वरियर्स के रूप में सामने आए। जब एक बाप बेटे से नहीं मिल रहा था। पति पत्नी से मिलने में संकोच कर रही थी, लोग घरों से कोरोना के डर से बाहर तक नहीं निकल रहे थे उस दौर में लोगों को हरी सब्जी से लेकर दैनिक उपयोग आने वाली वस्तुओं को यही हॉकर्स भाई पहुंचाने का काम कर रहे थे। लेकिन इनके ऊपर पुलिसिया जुल्म ढाए गए। इन्हें जो मान सम्मान मिलना चाहिए था वो नहीं मिला। आज जब बिहार विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं तो मैं फुटपाथ विक्रेताओं के लिए 10 लाख का मुफ्त में इंसोरेंस करवाने, आयुष्मान भारत योजना से सभी फुटपाथ विक्रेताओं को जोड़ने व इनके बच्चों को शिक्षा के अधिकार कानून के तहत ला कर निजी शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न राजनीतिक दल के नेताओं से अपील करते हैं। कार्यक्रम में अधिवक्ता रविंद्र कुमार, अल्पसंख्यक अधिकार मंच के इकबाल अंसारी व न्यू केयर फाउंडेशन के राजेश पासवान ने भी अपने विचार रखे।