पूर्व मंत्री के सांसद के खिलाफ भड़ास निकालने व जिलाध्यक्ष का ऑडियो वायरल होने के बाद अनुसूचित जाति मोर्चा के जिलाध्यक्ष मैदान में कूदे
पूर्व मंत्री को दिया सामंती सोच वाला दलित विरोधी व्यक्ति करार
औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। औरंगाबाद में भाजपा की इन दिनों लगातार छीछालेदर हो रही है। छीछालेदर कोई और बल्कि पार्टी के ही नेता करा रहे है। एक-दूसरे के कारनामों की किसी न किसी रूप से पोल खोल रहे है।
छीछालेदर के केंद्र में सांसद सुशील कुमार सिंह, पूर्व मंत्री रामाधार सिंह और पार्टी के जिलाध्यक्ष मुकेश शर्मा है। छीछालेदर की शुरुआत सांसद द्वारा पूर्व मंत्री रामाधार सिंह के पैतृक गांव सोखेया में “आपके सांसद-आपके द्वार” जनसंवाद के बाद से हुई है। जनसंवाद के बाद पूर्व मंत्री रामाधार सिंह ने सांसद के प्रति जमकर भड़ास निकाली। सांसद को सरकारी जमीनों पर थोक के भाव में अवैध कब्जा करने वाला तक करार दे दिया। जमकर उल्टी सीधी बाते कही। पूर्व मंत्री के भड़ास निकालने पर सांसद तो कुछ बोल नही रहे है लेकिन इसके बाद से कुछ ऐसी चीजे वायरल हो रही है और उनपर अंगुलियां उठ रही है। पूर्व मंत्री के भड़ास निकालने के बाद भाजपा के जिलाध्यक्ष मुकेश शर्मा का एक ऑडियो वायरल हुआ जिसमें नशे में जिलाध्यक्ष ने सांसद, एमएलसी, पूर्व विधायक और पूर्व मंत्री की ऐसी की तैसी कर दी है। इसके बाद लगे हाथ एक झगड़े का ऑडियो वायरल हो गया, जिसमें पूर्व मंत्री के बिगड़े बोल है कि-कितने को अध्यक्ष बनाए और …में हाथ लगाकर फेंक दिएं, सुना जा रहा है।
अब इसके बाद भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के जिलाध्यक्ष मुनिन्द्र कुमार मैदान में उतर आये है। उन्होने प्रेस बयान जारी कर पूर्व मंत्री रामाधार सिंह को सामंती सोच वाला दलित विरोधी व्यक्तित्व करार दिया है। कहा है कि पूर्व मंत्री लगातार पिछड़ा-अतिपिछड़ा, अनुसूचित जाति को अपमानित करने में कोई कसर नही छोड़ते। कहा कि अहंकारी पूर्व मंत्री रामाधार सिंह के कृत्यों से भाजपा के सामान्य कार्यकर्ता आहत महसुस कर रहे है। अपने बड़बोलेपन के चलते उन्होंने बिहार सरकार के मंत्री और औरंगाबाद के प्रभारी जनक चमार को अपमानित करने की ओछी हरकत की है।इसके पूर्व भी कई सार्वजनिक कार्यक्रमो में पूर्व मंत्री औरंगाबाद के प्रभारी मंत्री ब्रजकिशोर बिंद के खिलाफ भी अपमानजनक शब्दो का प्रयोग कर आहत करते रहे है। रामाधार सिंह का स्वभाव है कि वे दूसरो को बढ़ते देख आपा खो देते है। पिछले वर्ष सूर्य महोत्सव एवं देव के पवित्र छठ मेला के उद्घाटन के अवसरों पर उनके अहंकार ने सरकारी आयोजनो की महत्ता को धुल धूसरित किया है। उनकी सोंच रहती है कि औरंगाबाद भाजपा उनके पॉकेट की संस्था बनी रहे या उनकी निजी जागीर बन कर कार्य करे। वे लगातार दो चुनाव इसी अहंकारवश हार कर अपना मानसिक संतुलन खो बैठे है। जब भी उनके सामने से कोई सम्मानित प्रतिनिधि गुजरते है या चर्चा उनके कानों तक जाती है तो हार का जख्म ताजा हो जाता है और शब्दों की कमी या शिक्षा संस्कार के अभाव में वे समाज और दल के विरोध करने में भी गुरेज नही करते।इस बार तो उन्होने अपने अहंकार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वाराणसी आगमन पर आयोजित भव्य काशी-दिव्य काशी जैसे कार्यक्रम में संगठन द्वारा निर्धारित कार्यक्रम को धता बताते हुए उसी समय उसी दिन फेसबुक लाइव एवं प्रेस कॉन्फ्रेंस के आयोजन कर औरंगाबाद की जनता को गुमराह करने का भरसक प्रयास किया।इधर लगातार पार्टी के कार्यक्रमों से उनका कोई सरोकार नही रहता है। जिला कार्यसमिति हो या प्रशिक्षण वर्ग, वे जिला संगठन के समक्ष अपना कार्यक्रम तय कर पार्टी नेतृत्व को भी गाली गलौज और धमकी देने का कार्य कर रहे है। उनके गन्दे विचार और कुवचन के चलते महिलाएं पार्टी से जुड़ने और पार्टी के कार्यक्रम में आने से परहेज करती है। वे पार्टी नेतृत्व से ऐसे अहंकारी नेता पर अनुशासनात्मक कार्रवाई कर कार्यकर्ताओं खासकर अनुसूचित, पिछड़ा वर्ग के कार्यकर्ताओं के मनोबल को आहत होने से बचाने की मांग करते है।