औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। मध्य प्रदेश के पंडोखर सरकार गुरु शरण शर्मा के कृपा पात्र शिष्य और बागेश्वर सरकार धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री उर्फ बागेश्वर सरकार के धार्मिक-आध्यात्मिक अध्ययन के दौरान सहपाठी रहे औरंगाबाद के बारूण प्रखंड के कंचनपुर पंचायत के नसीब बिगहा निवासी निरंजन शास्त्री अपने पैतृक गांव में श्रीराम यज्ञ करा रहे है।
यज्ञ में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। श्रद्धालु एवं भक्त यज्ञशाला की परिक्रमा कर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे है। यज्ञ के आयोजन से नसीब बिगहा का वातावरण धर्ममय-अध्यात्ममय बना हुआ है। गांव में धर्म-अध्यात्म की गंगा बह रही है और भक्त उसमें डुबकी लगा रहे है। शाम में नियमित रूप से रामकथा का पाठ हो रहा है और कथा सुनने के लिए इलाके के लोगो की भीड़ उमड़ रही है। यज्ञ की समाप्ति 20 अप्रैल को पूर्णाहुति और महाभंडारा के साथ होगी।
यज्ञाचार्य निरंजन शास्त्री ने बताया कि उनके गुरु पंडोखर सरकार गुरू शरण शर्मा ने उन्हे अपने पैतृक गांव में रामेश्वर धाम की स्थापना करने का आदेश दिया है। गुरु के आदेश पर ही धाम की स्थापना के उदेश्य से वें यहां यज्ञ करा रहे है। पंजेखर सरकार के संरक्षण में इस धाम से भी धर्म जागरण और जन कल्याण का कार्य संपन्न होगा। इसकी विस्तृत कार्ययोजना बनकर तैयार है और इस पर धीरे धीरे अमल हो रहा है। धाम के लिए भूमि की व्यवस्था हो गयी है। शेष कार्य भी आगे बढ़ेंगे। उन्होंने बताया कि वें गुरूकुल में बागेश्वर सरकार धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के सहपाठी रहे है। शास्त्री जी की कुंडलिनी जागृत हो गयी जबकि वह कुंडलिनी जागरण की प्रक्रिया में है। इसके लिए निरंतर प्रयास और अभ्यास जारी है। कहा कि उनके दादा जी को यक्षिणी सिद्धि हासिल थी लेकिन उनके पिताजी आध्यात्मिक रूप से इतने सक्षम नही थे कि उनकी सिद्धियों को ग्रहण कर संरक्षित कर सके। इस कारण दादा जी के निधन के बाद उनके पिता इस सिद्धि को ग्रहण नही कर सके।
पिता जी के निधन के बाद दादाजी की यक्षिणी की सिद्धियां मुझे इस सिद्धि को ग्रहण करने योग्य समझकर पूरे परिवार को परेशान करने लगी। इस परेशानी का निदान नही होने और कोई रास्ता नही सुझने पर उन्होने पंडोखर सरकार की शरण ली। पंडोखर सरकार ने मुझे अपना कृपा पात्र शिष्य बनाया और धर्म अध्यात्म की शिक्षा ग्रहण करने गुरुकुल में भेजा। उसी गुरूकुल में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जो आज के बागेश्वर सरकार है, मेरे सहपाठी रहे है। उन्होने बताया कि परिवार को यक्षिणी की परेशानी से निजात दिलाने के लिए उन्हे गुरू पंडोखर सरकार के आदेश पर उन्होने कामरूप कामाख्या जाकर मां कामाख्या की साधना की। उनकी साधना से उन्हे आध्यात्मिक सिद्धियां मिली और दादाजी को प्रदत यक्षिणी सिद्धि भी उन्हे प्राप्त हो गयी। अभी गुरू की कृपा, मां कामाख्या के आर्शीवाद और यक्षिणी सिद्धि के सहारे जन कल्याण का कार्य कर रहे है। अभी कुंडलिनी जागरण में लगे है और यह पूरा हो जाने के बाद वें भी बागेश्वर सरकार की भांति सबकुछ करने में सक्षम हो जाएंगे।