- 15 से 31 जुलाई तक जिले में दस्त नियंत्रण पखवाड़ा का किया जायेगा आयोजन
- आशा कार्यकमर्ताओं को दिया गया प्रशिक्षण, कोविड काल के कार्यों की भी हुई समीक्षा
बक्सर | जिले में दस्त से होने वाले शिशु मृत्यु के प्रतिशत को शून्य करने के उद्देश्य से 15 से 31 जुलाई तक दस्त नियंत्रण पखवाड़ा का आयोजन किया जाएगा। इसके लिये स्वास्थ्य विभाग ने अपनी ओर से तैयारी पूरी कर ली है। इस क्रम में बुधवार को सदर प्रखंड स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में आशा कार्यकर्ताओं को दस्त नियंत्रण पखवाड़ा के लिये प्रशिक्षण दिया गया। जिसमें आशा कार्यकर्ताओं को बताया गया है कि कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए आवश्यक है कि कार्यक्रम के अंतर्गत की जाने वाली गतिविधियों का सूक्ष्म कार्यान्वयन एवं अनुश्रवण किया जाएगा। सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा के दौरान अंतर्विभागीय समन्वय द्वारा डायरिया की रोकथाम के उपायों, डायरिया होने पर ओआरएस जिंक के प्रयोग, उचित पोषण तथा समुचित इलाज के पहलुओं पर क्रियान्वयन किया जायेगा। इसके लिये स्वास्थ्य विभाग ने समस्त पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे तथा पांच वर्ष की उम्र तक के ऐसे बच्चे जो पखवाड़े के दौरान दस्तरोग से ग्रसित हुये हों, उनको लक्षित किया गया है। इस दौरान आशा कार्यकर्ताओं के कार्यों की समीक्षा भी की गई। जिसमें नियमित टीकाकरण सर्वे, डियूलिस्ट आशावार समीक्षा, परिवार नियोजन कार्यक्रम, कोविड -19 टीकाकरण, एनसीडी कार्यक्रम के उनके कार्यों का अवलोकन किया गया। प्रशिक्षण में आशा कार्यकर्ताओं के अलावा एमओआईसी डॉ. सुधीर कुमार, बीसीएम प्रिंस सिंह, केयर के बीएम अलोक कुमार, प्रखंड प्रसार प्रशिक्षक मनोज चौधरी, सीएमओ श्वेता कुमारी, केयर आईसीटी राकेश कुमार समेत अन्य स्वास्थ्य कर्मचारी मौजूद रहे।
विशेष क्षेत्रों में अभियान पर दिया गया अधिक बल :
प्रशिक्षण के दौरान पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी (एमओआईसी) के द्वारा पखवाड़ा के दौरान कुछ विशेष क्षेत्रों में पर अधिक बल दिया गया। उन्होंने बताया, आशा कार्यकर्ताओं को ऐसे इलाकों पर विशेष ध्यान देना है, जहां उपकेंद्र पर एएनएम न हो अथवा लंबी छुट्टी पर हो, सफाई की कमी वाले स्थानों पर निवास करने वाली जनसंख्या क्षेत्र हो। साथ ही, अति संवेदनशील क्षेत्र- शहरी, झुग्गी-झोपड़ी, कठिन पहुंच वाले क्षेत्र, बाढ़ प्रभावित क्षेत्र, निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के परिवार, ईंट भट्टे वाले क्षेत्र, अनाथालय तथा ऐसा चिह्नित क्षेत्र जहां दो-तीन वर्ष पूर्व तक दस्त के मामले अधिक संख्या में पाये जा चुके हों |इसके अलावा छोटे गांव, टोला, बस्ती, जहां साफ-सफाई, साफ पानी की आपूर्ति एवं व्यवस्था की सुविधाओं की कमी वाले क्षेत्रों में अभियान को सशक्त रूप से चलाना है।
समुदायिक व गांव स्तर पर होगी गतिविधि:
डॉ. सुधीर कुमार ने बताया, आशा कार्यकर्ता द्वारा भ्रमण के लिए माइक्रोप्लान तैयार किया जायेगा। जिसमें पाचं वर्ष से कम उम्र के बच्चों की सूची बनायी जायेगी। माइक्रोप्लान की समीक्षा संबंधित नोडल पदाधिकारी एवं जिला स्टेयरिंग कमिटी द्वारा की जाएगी। पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के घरों में प्रति बच्चा एक-एक ओआरएस पैकेट का वितरण किया जायेगा। ओआरएस का वितरण के दौरान कोविड-19 के सभी प्रोटोकॉल का पालन किया जायेगा। परिवार के सदस्यों को डायरिया से निपटने के उपायों पर काउंसिलिंग भी की जाएगी।
इनका रखें ध्यान:
प्रशिक्षण में यह भी बताया गया कि जिंक का उपयोग दस्त होने के दौरान बच्चों को आवश्यकत रूप से काराया जाये। दस्त बंद हो जाने के उपरांत भी जिंक की खुराक 2 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार 17 दिनों तक जारी रखा जाये
- जिंक और ओआरएस के उपयोग के उपरांत भी दस्त ठीक न होने पर बच्चे को नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र पर ले जायें
- दस्त के दौरान और दस्त के बाद भी आयु के अनुसार स्तनपान, ऊपरी आहार जारी रखा जाये
- उम्र के अनुसार शिशु पोषण संबंधी परामर्श दिया जायेगा
- पीने के लिए साफ एवं सुरक्षित पयेजल का उपयोग करें
- खाना बनाने एवं खाना खाने से पर्वू और बच्चे का मल साफ करने के उपरांत साबुन से हाथ धोयें
- डायरिया होने पर ओआरएस और जिंक का उपयोग करने से बच्चों में तीव्र सुधार होता है
- बच्चे के मल का निस्तारण सुरक्षित स्थान पर जल्द से जल्द कर दिया जाये