औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। मुख्यमंत्री पेयजल आपूर्ति निष्चय योजना के तहत गांवों में स्थापित ग्रामीण पेयजल योजनाओं के पानी की बर्बादी और भू-गर्भ जल का अनावष्यक दोहन योजना को क्रियान्वित करने वाली वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समितियों पर भारी पड़ सकता है। ऐसा करने पर इन समितियों के खिलाफ संबंधित थानों में प्राथमिकी भी दर्ज कराई जा सकती है। पानी की आपूर्ति पर निगरानी की राज्य सरकार ने मुकम्मल व्यवस्था की है। इसके तहत सभी ग्रामीण पेयजल योजनाओं में आइओटी डिवाइस अधिष्ठापित किए गए हैं। इस डिवाइस से प्राप्त आंकडों की निरंतर समीक्षा की जा रही है और समीक्षा में पाया गया है कि कई वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समितियों द्वारा निर्धारित समय अवधि से अधिक समय तक मोटर चलाकर भूगर्भ जल का अपव्यय किया गया है और पूरे जिले में एक लाख लीटर पानी की बर्बादी हुई है। पानी बर्बाद करनेवाले औरंगाबाद जिले के 60 वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समितियों को शोकाॅज किया गया है।
यह जानकारी देते हुए औरंगाबाद के वरीय उप समाहर्ता सह प्रभारी जिला जनसंपर्क पदाधिकारी कृष्णा कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री पेयजल आपूर्ति निष्चय योजना सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है। इसके तहत बोरिंग कर पाईप लाईन श्रृंखला के माध्यम से ग्रामीण परिवारों को पेयजल उपलब्ध कराया जाता है। पेयजल आपूर्ति के साथ साथ धारणीय विकास के दृष्टिकोण से बोरिंग के माध्यम से भूगर्भ जल का मितव्ययी उपयोग करना भी जरूरी है। इसके लिए विभागीय निर्देशानुसार सभी वार्ड के क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति को निर्देषित किया गया है कि संबंधित वार्ड में बोरिंग के माध्यम से जलापूर्ति सुबह में 2 घंटा एवं शाम में 2 घंटा मोटर चलाकर की जाए। इस प्रक्रिया की निगरानी हेतु सभी ग्रामीण पेयजल योजनाओं में आइओटी डिवाइस अधिष्ठापित किए गए हैं। इन डिवाइस से प्राप्त आंकडों की निरंतर समीक्षा की जा रही है। समीक्षा में पाया गया है कि जिलें में कई वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समितियों द्वारा निर्धारित समय अवधि से अधिक समय तक मोटर चलाकर भूगर्भ जल का अपव्यय कर लगभग 1,00,000 (एक लाख) लीटर से अधिक का दुरुपयोग किया गया है, जो प्राकृतिक संसाधन के अनावष्यक दोहन का द्योतक है। ऐसी कुल 60 समितियों से स्पष्टीकरण की मांग की गयी है। स्पष्टीकरण प्राप्त होने के बाद भादवि की सुसंगत धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।
पानी बर्बाद करनेवाली वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समितियों में नबीनगर के बैरिया पंचायत के वार्ड संख्या-4 एवं 10, ठेंगो के वार्ड -4 एवं 12, बरियावां के वार्ड-11, मंझियावां के वार्ड-5, बारूण के दुधार के वार्ड-6, बारुण के वार्ड-6, पिपरा के वार्ड-8, बर्डी खुर्द के वार्ड-6 एवं 8, कुटुम्बा के परता के वार्ड-6, डुमरा के वार्ड-4, दधपा के वार्ड-9, कर्मा वसंतपुर के वार्ड-13, वर्मा के वार्ड-13, देव के बसडीहा के वार्ड-1, हसौली के वार्ड-7, पूर्वी केताकी के वार्ड-3, बनुआ के वार्ड-3, पवई के वार्ड-4, पष्चिमी केताकी के वार्ड-4, बेढ़नी के वार्ड-7, मदनपुर के पिपरौरा के वार्ड-7, घटराईन के वार्ड-8, औरंगाबाद के पोखराहां के वार्ड-11, मंझार के वार्ड-12, बेला के वार्ड-14, पोईवां के वार्ड-3, इब्राहिमपुर के वार्ड-8, गोह के वर्मा खुर्द के वार्ड-3 एवं 11, डिहुरी के वार्ड-3, मीरपुर के वार्ड-4, तेयाप के वार्ड-7 एवं 1, चापुक के वार्ड-5, उपहारा के वार्ड-5, बक्सर के वार्ड-12, झिकटिया के वार्ड-15, मलहद के वार्ड-2, हसपुरा के डुमरा के वार्ड-8, डिंडिर के वार्ड-14, कोईलवां के वार्ड-10, ईटवां के वार्ड-4,घुसरी के वार्ड-11, रफीगंज के गोरडीहा के वार्ड-3 एवं 8, कोटवारा के वार्ड-4, बलिगांव के वार्ड-9, बलार के वार्ड-2 एवं 6 तथा दाउदनगर प्रखंड के तरारी पंचायत के वार्ड संख्या-8, गोरडीहा के वार्ड-2 एवं सिन्दुआर पंचायत के वार्ड संख्या-4 की वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति शामिल है।