पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर डीजे ने पारा विधिक स्वयंसेवकों को दिये पौधें

औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। विश्व पर्यावरण दिवस की पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार, औरंगाबाद द्वारा वन विभाग के सहयोग से वृहद एवं सघन वृक्षारोपन अभियान शुरू करने जा रहा है। इसके तहत प्राधिकार सभी पारा विधिक स्वयंसेवकों के माध्यम से उनके गृह अंचल, प्रखंड तथा अन्यत्र स्थलों पर वृक्षारोपन करायेगा।

वन विभाग द्वारा इसके लिए प्राधिकार को काफी मात्रा में फलदार एवं हवादार पौधों को उपलब्ध कराया गया है, जिसका वितरण पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर जिला जज मनोज कुमार तिवारी ने प्राधिकार के प्रांगन में पारा विधिक स्वयंसेवकों के बीच किया। इस मौके पर प्राधिकार के अध्यक्ष सह डीजे ने कहा कि आप सभी 10-10 पौधे खुद लगायें एवं अपने आसपास के लोगों को भी पौधे लगाने के लिए प्रोत्साहित करें। साथ ही उसके पूर्ण अस्तित्व में आने तक देखभाल भी करें, जिससे लगाये गये पौधे विकराल स्वरूप धारण कर पर्यावरण संरक्षण का वाहक बन सके। कार्यक्रम में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह प्राधिकार के सचिव प्रणव शंकर ने कहा कि प्राधिकार द्वारा प्रत्येक वर्ष वृक्षारोपन कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, जिसमें सभी न्यायिक पदाधिकारी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। पहली बार सघन वृक्षारोपण कार्यक्रम के लिए इस बार सभी पारा विधिक स्वयंसेवकों को भी यह दायित्व सौपा गया है।

कहा कि पर्यावरण दिवस पर वृक्षारोपन का मुख्य कार्यक्रम जिला एवं सत्र न्यायाधीश के आवासीय परिसर में किया जायेगा, जिसमें सभी न्यायिक पदाधिकारी के साथ-साथ न्यायिक पदाधिकारी के परिवारों द्वारा भी जिला जज के निर्देश पर वृक्षारोपन कार्यक्रम में सक्रिय भूमिका निभाया जायेगा। जिला जज ने पारा विधिक स्वयंसेवकों को पौधा सौपते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण प्रत्येक व्यक्ति का दायित्व होना चाहिए। पर्यावरण और जीवन का अटूट संबंध है और पर्यावरण दिवस मनाकर पर्यावरण के संरक्षण, संवर्द्धन और विकास का संकल्प लेने की आवश्य्कता है। यह क्रम लगातार किया जाना चाहिए। हमारे पूर्वजों ने वृक्ष लगाये हैं। इसके कारण हमारे आसपास हरियाली दिखाई दे रहा है और हमें छाया प्रदान कर रहा है। इस कर्तव्य को पूरा करने का दायित्व प्रत्येक व्यक्ति के उपर हैं और प्रत्येक व्यक्ति पर्यावरण के संरक्षण का दायित्व सही से निभाये तो शायद हमें कोरोना महामारी जैसे अन्य दूसरी बीमारियों से सामना नहीं करना पड़ेेगा। साल-दर साल वर्षा का कम होना, भूजल स्तर कम होना और इसके विपरीत गर्मी के तपन का बढ़ते जाना आदि चींजें सीधे-सीधे पर्यावरण से जुड़ा है।