औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। एनटीपीसी लिमिटेड के पूर्ण स्वामित्व वाली औरंगाबाद का नबीनगर स्थित नबीनगर सुपर थर्मल पावर स्टेशन(एनएसटीपीएस) बिहार में सबसे सस्ते और कम लागत पर गुणवत्तापूर्ण बिजली का उत्पादन कर रहा है।
परिवहन लागत अधिक हाेने के बावजूद कम उत्पादन लागत पर हो रहा गुणवत्तापूर्ण बिजली उत्पादन–
एनएसटीपीएस के मुख्य महाप्रबंधक चदन कुमार सामंता ने बुधवार को यहां प्रेसवार्ता में कहा कि कोयले के शॉर्टेज और विभिन्न कोल यूनिट्स से से कोयला मंगाये जाने से परिवहन लागत बढ़ने के बावजूद एनटीपीसी नबीनगर में बिहार में सर्वाधिक कम लागत पर सबसे सस्ती और गुणवत्तापूर्ण बिजली का उत्पादन किया जा रहा है।
दक्षिण के राज्यों से आधी व बिहार में सर्वाधिक सस्ते 2.41 रूपये प्रति यूनिट की लागत से हो रहा बिजली उत्पादन–
उन्होने कहा कि हमारी परियोजना की प्रति यूनिट बिजली उत्पादन दर मात्र 2.41 रूपये(दो रूपये एकतालीस पैसे) है, जो दक्षिण के राज्यों की बिजली उत्पादन इकाईयों की लागत से आधे से भी कम है। उन्होने कहा कि कांटी, कहलगांव और बाढ़ से कही ज्यादा और सर्वाधिक 80 प्रतिशत बिजली हमारी परियोजना बिहार को दे रही है। हमारी यूनिट इस साल फुल लोड पर चल रही है। सुपर क्रिटिकल परियोजना होने के कारण यहां बिजली उत्पादन पर कोयले का खर्चा कम है। इस वजह से हमारी प्रति यूनिट बिजली उत्पादन लागत कम है। कहा कि यूनिट में बिजली की गुणवत्ता का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। इसके तहत परियोजना में वोल्टेज सप्लाई रिएक्टर लगा है, जो पूरी तरह सर्विस में है। यह रिएक्टर वोल्टेज को मेनटेन करता है। इस कारण हम गुणवत्तापूर्ण बिजली दे पा रहे है।
6-7 दिन लगातार बिजली उत्पादन के लिए कोयले का स्टॉक रिजर्व–
मुख्य महाप्रबंधक ने कहा कि पिछले साल कोयले की आपूर्ति में कमी के कारण 6 लाख टन कोयले का इंडोनेशिया से आयात किया गया था, जो खत्म हो गया है। इस बार पूरे साल परियोजना को चलाने के लिए 5 लाख टन कोयले के स्टॉक की जरूरत है, जिसके विरूद्ध 1.5 लाख टन कोयला उपलब्ध है। कहा कि परियोजना में प्रतिदिन 28 हजार टन कोयले की खपत हो रही है और माह में कभी 30 दिन तो कभी 25 दिन की खपत करने भर कोयला उपलब्ध हो रहा है। उन्होने कहा कि फिलहाल परियोजना में 6-7 दिन लगातार बिजली उत्पादन के लिए कोयले का रिजर्व स्टॉक उपलब्ध है और इसमें निरंतरता बनी रहने से बिजली उत्पादन में कही कोई परेशानी नही है।
तीन साल के औसत लाभ की दो फीसदी राशि सीएसआर पर की जा रही खर्च–
कहा कि एनटीपीसी तीन साल के लाभ के औसत की दो फीसदी राशि कारपोरेट सामाजिक उतरदायित्व निर्वहन(सीएसआर) पर खर्च करती है। इसके बावजूद एनटीपीसी द्वारा निर्धारित प्रावधान से अधिक राशि सीएसआर पर खर्च की जा रही है।
नबीनगर परियोजना द्वारा इस साल सीएसआर पर खर्च किया जा रहा 3.6 करोड़–
नबीनगर परियोजना द्वारा इस साल 3.6 करोड़ की राशि सीएसआर पर खर्च की जा रही है। इसकी 70 प्रतिशत राशि प्लांट एरिया में और 30 प्रतिशत राशि आउट स्टेशन में खर्च की जाती है। सीएसआर के तहत बालिका सशक्तिकरण अभियान में इस साल परियोजना के इलाके के 40 स्कूली छात्राओं को प्रशिक्षण दिया गया है। इनमें से चार चयनित छात्राओं का नामांकन परियोजना के अधीनस्थ स्कूल में कराया गया है और 12वीं तक की पढ़ाई पर होने वाले सारे खर्चों का निर्वहन एनटीपीसी द्वारा किया जाएगा।
पूर्णतः प्रदूषण मुक्त प्लांट बनाने के लिए हो रहा एफजीडी पर काम–
कहा कि प्लांट को पूरी तरह प्रदूषण मुक्त परियोजना बनाने के लिए यहां एफजीडी सिस्टम पर काम चल रहा है और अगले वर्ष सितम्बर के पहले तक यह काम पूरा हो जाएगा।
प्रेसवार्ता में ये अधिकारी भी रहे मौजूद–
प्रेसवार्ता में परियोजना के अधिकारी आरएम अग्रवाल, अनील कुमार पपनेजा, सुमिता मारिया लकड़ा, आभा त्रिपाठी पांडेय एवं अन्य अधिकारी मौजूद रहे।