नई दिल्ली। नौसेना कमांडरों का सम्मेलन चार दिनों के सार्थक विचार-विमर्श के बाद गुरुवार को खत्म हो गया। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, थल सेनाध्यक्ष और वायु सेना प्रमुख ने कमांडरों के साथ बातचीत करके भारत की समुद्री रणनीति तय की। सम्मेलन में क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य को देखते हुए तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बढ़ाने के तरीकों सहित कई मुद्दों पर चर्चा की गई। नौसेना के कमांडरों ने सैन्य और रणनीतिक स्तर पर महत्वपूर्ण समुद्री मामलों पर चर्चा करके अत्यधिक महत्व के मुद्दों पर विचार-विमर्श किया ताकि भारतीय नौसेना के भविष्य की नीति को आकार दिया जा सके।
नौसेना प्रमुख ने इन मुद्दों पर दिया जोर
सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने नौसेना कमांडरों को युद्ध की तैयारी, क्षमता वृद्धि, समुद्री बल के रूप में विश्वसनीयता, सुरक्षा, रखरखाव, ऑप लॉजिस्टिक्स दर्शन, बुनियादी ढांचे के विकास और मानव संसाधन प्रबंधन से संबंधित विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर संबोधित किया। उन्होंने मौजूदा सुरक्षा स्थिति और आईओआर के विवादित माहौल में भारतीय नौसेना के बढ़ते जनादेश की ओर भी ध्यान आकर्षित किया। कमांडरों ने संचालन, अधिग्रहण, बुनियादी ढांचे, रखरखाव, रसद, मानव संसाधन प्रबंधन और प्रशिक्षण जैसे सभी पहलुओं, उपलब्ध संसाधन से बेहतर परिणाम देने और परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करने के तरीकों पर विचार-विमर्श किया।
नौसेना प्रमुख ने कमांडरों के साथ मिलकर की समीक्षा
रक्षा मंत्री ने 18 अक्टूबर को सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मामलों पर नौसेना कमांडरों को संबोधित करके उनके साथ बातचीत भी की थी। सम्मेलन में नौसेना प्रमुख ने कमांडरों के साथ पिछले कुछ महीनों में भारतीय नौसेना की प्रमुख अभियानगत, सामग्री संबंधी, रसद संबंधी, मानव संसाधन विकास, प्रशिक्षण और प्रशासनिक गतिविधियों की समीक्षा भी की। इसके अलावा नौसेना की भविष्य में होने वाली महत्वपूर्ण गतिविधियों और योजनाओं पर विचार-विमर्श किया गया। सम्मेलन में प्रमुख परिचालन, सामग्री, रसद, मानव संसाधन विकास, प्रशिक्षण और प्रशासनिक गतिविधियों की समीक्षा करने के लिए भारतीय नौसेना के सभी ऑपरेशनल और एरिया कमांडर शामिल हुए।
क्या था सम्मेलन का मकसद
नौसेना ने युद्ध के लिए तैयारियों पर ध्यान केंद्रित किया है। भारत के बढ़ते समुद्री हितों के अनुरूप पिछले कुछ वर्षों में नौसेना ने अपने मिशन कार्य बढ़ाए हैं। हिन्द महासागर क्षेत्र (आईओआर) में मिशन आधारित तैनाती पर भारतीय नौसेना के जहाज किसी भी विकासशील स्थिति के लिए त्वरित प्रतिक्रिया के लिए तैयार हैं। सम्मेलन का मकसद नौसेना की युद्ध क्षमता बढ़ाने और संचालन को अधिक प्रभावी और कुशल बनाने के तरीकों की तलाश करना था। इसीलिए सम्मेलन में हथियारों की विस्तृत समीक्षा, भारतीय नौसेना के प्लेटफार्मों की तैयारी, चल रही नौसेना परियोजनाओं के माध्यम से स्वदेशीकरण को बढ़ाने के तरीकों पर ध्यान केन्द्रित किया गया।
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