अनुमति नही मिलने से एनपीजीसी में तालाबंदी करने से चुक गये नबीनगर के विधायक

प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा रोके जाने पर की सभा, राज्य सरकार पर निकाली भड़ास

औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। एनटीपीसी की सहायक कंपनी एनपीजीसी की औरंगाबाद के नबीनगर स्थित बिजली परियोजना में स्थानीय लोगो को रोजगार देने समेत अन्य मांगों को लेकर क्षेत्रीय विधायक विजय कुमार सिंह उर्फ डबल्यू सिंह के तालाबंदी आंदोलन की औरंगाबाद जिला प्रशासन ने आज हवा निकाल दी।

हालांकि इसके बाद विधायक बेहद गुस्से में है और इसे लेकर उन्होने बिहार सरकार और औरंगाबाद जिला प्रशासन पर जमकर भड़ास निकाली है। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत मंगलवार को नबीनगर के विधायक अपनेे नेतृत्व में मार्च लेकर एनपीजीसी बिजली परियोजना के मेन गेट की ओर प्रदर्षन और तालाबंदी करने के इरादे से बढ़े लेकिन परियोजना के गेट पर पहुंचने के पहले ही औरंगाबाद के एसडीओ डाॅ. प्रदीप कुमार और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने उन्हे और उनके समर्थको को रोक दिया। मौके पर मौजूद प्रशासनिक अधिकारियों ने विधायक से ससम्मान कहा कि आपने प्रदर्शन की अनुमति मांगी थी लेकिन यह अनुमति वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण को लेकर 26 अगस्त तक धारा 144 के तहत लागू निषेधाज्ञा के कारण नही दी जा सकी और इसकी पूर्व सूचना भी उन्हे दी जा चुकी है। इसके बावजूद प्रदर्शन करना नियमों और कानून का उल्लंघन होगा।

इसके बाद विधायक वहां से समर्थकों के साथ वहां से हट गये। इसके बाद कुछ दूरी पर विधायक ने एक सभा की जिसमें उन्होने राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया। गौरतलब है कि इस प्रदर्शन में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के भी भाग लेने को प्रचारित किया गया था और इस आशय के होर्डिंग भी लगाए गये थे। कार्यक्रम की अनुमति रहने पर शायद नेता प्रतिपक्ष यहां आते भी और उनके आने से अपनी पार्टी में विधायक का कद भी उंचा होता पर औरंगाबाद जिला प्रशासन ने आंदोलन के पहले ही लंगड़ी मार दी। शायद इसी वजह से विधायक ने राज्य सरकार पर गुस्सा निकालते हुए कहा कि राज्य सरकार नियम कानून सिर्फ विपक्षी दलों पर ही लागू करती है। राजधानी पटना में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह के सम्मान समारोह तथा औरंगाबाद भारतीय जनता युवा मोर्चा की राज्य कार्यसमिति की बैठक जिसमें उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और अन्य कई भाजपाई मंत्री शामिल होते है, उनपर यह सब नियम कानून लागू नही होता है। यह सब सरकार की दोरंगी नीति है, जिसका वे पुरजोर विरोध करते है। इस दौरान एनपीजीसी बिजली परियोजना के आसपास का पूरा इलाका पुलिस छावनी में तब्दील रहा।