ओबरा के बीडीओ ने एक ही योजना को दूसरा नाम दे किया लाखों का गबन, विधायक ने उठाया सवाल, विधानसभा में हुआ बवाल

औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। ओबरा के प्रखंड विकास पदाधिकारी द्वारा दो वित्तीय वर्षों में एक ही योजना पर दो बार राशि की निकासी कर लाखों का गबन करने के मामला शुक्रवार को बिहार विधानसभा के चालू शीतकालीन सत्र में गुंजा।

सदन में शून्यकाल में ओबरा के विधायक ऋषि कुमार ने विधानसभा के कार्य संचालन नियमावली के नियम 25(क) के तहत शून्यकाल में यह सूचना देते हुए कहा कि ओबरा के प्रखंड विकास पदाधिकारी द्वारा प्रखंड परिसर में एक ही योजना के निर्माण कार्य में दो वितीय वर्ष(2019- 2020 एवं 2020-2021) में विभिन्न मदों से राशि निकालकर लोक धन का गबन किया गया है। बीडीओ के विरुद्ध सरकार जांच कर कार्रवाई करें।

गौरतलब है कि विधायक ने पूर्व में 12 जुलाई को औरंगाबाद के उप विकास आयुक्त को पत्र के माध्यम से इस मामले की शिकायत की थी। शिकायत में विधायक ने ओबरा प्रखंड कार्यालय परिसर में अनुदान राशि से कराएं गये कार्य की जांच कराने की मांग की थी। पत्र में उन्होने कहा था कि ओबरा प्रखंड परिसर में जो भिन्न-भिन्न प्रकार के कार्य कराए गए है, उसमें बहुत ही ज्यादा अनियमतता बरती गयी है।

इस कार्य में प्रखंड विकास पदाधिकारी की मिलीभगत से एक ही कार्य को दूसरी योजना का नाम देकर पुनः उसी कार्य को किया गया है। सरकार के विकास कार्य (कोष) राशि का गबन किया गया है।

प्रखंड विकास पदाधिकारी ने अपने पद की गरिमा का ख्याल न रखते हुए, पद का दुरूपयोग करते हुए कार्य का निर्वहन नहीं किया है। पत्र में विधायक ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में प्रखंड परिसर में पीसीसी कार्य(राशि-14 लाख 99 हजार 66), वितीय वर्ष 2019-20 में प्रखंड परिसर में टाउन हॉल की मरम्मति कार्य(राशि-9 लाख 65 हजार 700), वित्तीय वर्ष 2020-21 में प्रखंड विकास पदाधिकारी आवास की चहारदीवारी(राशि-3 लाख 63 हजार 800), प्रखंड विकास पदाधिकारी के आवास के सामने पीसीसी(राशि- 6 लाख 72 हजार 500), प्रखंड परिसर अंचल के सामने आवास, आधार सेवा कार्यालय की मरम्मति कार्य(राशि-9 लाख 94 हजार 94), प्रखंड परिसर के आवास से टाउनहाल तक पीसीसी कार्य(राशि-9 लाख 99 हजार), प्रखंड सभागार, अंचल गार्ड शेड का मरम्मति कार्य(राशि-9 लाख 95 हजार) की योजनाओं की तटस्थ होकर राज्यहित, जनहित एवं विकास हित को ध्यान में रखते हुए जांच कराने की मांग की थी।

विधायक की शिकायत के आलोक में बीडीओ का महज वेतन रोका गया और योजनाओं की जांच नही कराई गई। इसी के बाद विधायक ने सदन में शून्यकाल में सरकार को यह सूचना दी है। अब देखना यह होगा कि इस मामले में सरकार के स्तर से क्या कार्रवाई होती है।