औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। नाम-रंजीत सिंह, पता-ग्राम-सईरा, पंचायत-भेंटनियां, प्रखंड-रफीगंज, जिला-औरंगाबाद, पेशा-सरकारी शिक्षक, पोस्टिंग-मिडिल स्कूल-जाखिम, काम-बच्चों को पढ़ाना पर अभी नही, अभी का काम-पंचायत चुनाव में प्रचार करना और वोट मांगना, यह काम क्यों-क्योकि पत्नी रामपरी देवी है, रफीगंज के भेंटनियां पंचायत से मुखिया पद की उम्मीदवार, ऐसें में बच्चों को पढ़ाना है बेकार और मैडम को मुखिया बनाने के लिए है दिल बेकरार।
आखिर यह बेकरारी क्यो, क्योकि गुरुजी मुखिया की चलती को करीब से देख चुके है, उन्हे जानकारी है कि एक मुखिया की हनक क्या होती है। मुखिया क्या कर सकता है और क्या नही कर सकता। चाह जाएं तो उल्टा-पुल्टा कर कम नंबर वालें को भी सरकारी टीचर बना सकता है। मुखिया बनते ही साइकिल से सफर करनेवाला न केवल स्कोर्पियों से सफर करने लगता है बल्कि मुखियागिरि की राजसत्ता की मलाई चाभ कर कंगाल से मालामाल तक हो जाता है। ऐसें में किसी का दिल मुखिया बनने के लिए बेकरार हो जाएं, तो इसमें गलत क्या है। यही वजह है कि पंचायत चुनाव आते ही गुरुजी का दिल अपने गृह पंचायत का मुखिया बनने के लिए बेकरार हो उठा पर सरकारी शिक्षक की नौकरी और मुखिया पद की सीट का सामान्य महिला के लिए आरक्षित होना, इसके आड़े आ गया। गुरुजी ने इसका भी तोड़ निकाल लिया। खुद के बदले अपनी पत्नी रामपरी देवी को मुखिया पद का उम्मीदवार बना दिया। मैडम की मुखिया उम्मीदवारी तय करते ही गुरुजी पंचायत चुनाव आने के कई माह पहले से ही सक्रिय हो गये। पर्व त्योहार के अवसर पर गुरुजी पत्नी के साथ खुद की भी तस्वीर लगाते हुए पंचायतवासियों को लुभाने के लिए पर्व-त्योहारों की शुभकामनाएं देने लगे(देखिएं तस्वीर)।
इस दौरान गुरुजी सुबह-शाम अपने पंचायत में घुम-घुमकर पत्नी को मुखिया बनाने की सेटिंग भी करते रहे। स्कूल भी जाते रहे, बच्चों को भी पढ़ाते रहे। सबकुछ ठीकठाक चलता रहा। इस बीच राज्य निर्वाचन आयोग ने बिहार पंचायत आम निर्वाचन-2021 के चरणवार दस चरणों के चुनाव कार्यक्रम की भी घोषणा कर दी। चौथें चरण में रफीगंज प्रखंड की भी बारी आ गई और गुरुजी ने भेंटनियां पंचायत से मुखिया पद के लिए पत्नी रामपरी देवी का नामांकन भी करा दिया। नामांकन के बाद प्रचार-प्रसार तेज हो गया और धीरे-धीरे वोटरों के लिए फैसला लेने की घड़ी यानी मतदान की तारीख 20 अक्टूबर भी नजदीक आने लगी। मतदान की तारीख नजदीक आते ही गुरुजी और तेजी से चुनाव प्रचार में जुट गये।
सरकारी सेवक के चुनाव प्रचार करने की शिकायत मीडिया तक भी पहुंची। शिकायत की पड़ताल के लिए मीडिया की टीम जब भेंटनियां पंचायत के गांवों तक गई तो गुरुजी तो क्या उनकी कोई चुनाव प्रचार टीम प्रचार करती नही मिली। शायद गुरुजी को मीडिया की टीम के पंचायत में आने की भनक लग चुकी थी। लिहाजा गुरुजी ने एक दिन के लिए चुनाव प्रचार को ही टाल दिया। इसके बावजूद मीडिया की नजर से गुरुजी की कारस्तानी बच नही सकी और कुछ ऐसे तथ्य हाथ लग गये जो चीख-चीख कर कह रहे है कि गुरुजी एक सरकारी सेवक के लिए निर्धारित आचरण और मापदंडों के विपरीत चुनाव प्रचार में सक्रियता से लगे है। गुरुजी के चुनाव प्रचार में भेंटनियां गांव में लगी दो तस्वीरें कैमरे में कैद हुई। इनमें एक में तो पत्नी के साथ गुरुजी की भी तस्वीर लगी है और तस्वीर में वे सपत्नीक वोटरों को पर्व-त्योहारों की शुभकामनाएं दे रहे है। हालांकि यह तस्वीर नामांकन के पहले की है लेकिन इसमें गुरुजी की तस्वीर का होना न केवल सरकारी सेवक के निर्धारित आचरण का उल्लंघन है बल्कि यह इस बात का भी प्रमाण है कि गुरुजी काफी दिनों से राजनीतिक रुप से सक्रिय है(देखिएं तस्वीर)।
चुनाव प्रचार के पहले के पोस्टर की तस्वीर और ताजी तस्वीर दोनों में ही दो मोबाइल नंबर-9934883830 और 7988207074 दर्ज है। इनमें पहला नंबर 9934883830 ट्रू काॅलर से रंजीत सईरा बता रहा है, जो गुरुजी और उनके गांव का ही नाम है। वही दूसरा नंबर 7988207074 ट्रू काॅलर से धरमु कुमार का बता रहा है, जो संभवतः गुरुजी के पारिवारिक सदस्य हो सकते है। यहां पर पहले नंबर के ट्रू काॅलर से गुरुजी के नाम से ट्रू होने का भी सीधा संकेत है कि गुरुजी चुनाव में प्रत्यक्ष तौर पर भूमिका निभा रहे है। जाहिर सी बात है कि जब वोटरो तक गुरुजी का नंबर पहुंचेगा तो वोटर और गुरुजी के बीच चुनावी राजनीति की ही बाते होगी। यह तथ्य भी गुरुजी की राजनीतिक सक्रियता को ही प्रमाणित कर रहा है और जरुरत पड़ने पर चाहे तो सरकारी महकमें के अधिकारी सीडीआर निकालकर इसे पूर्णतः प्रमाणित भी कर ले सकते है। इतना ही नही पंचायत के कई गांवों के लोगो और वोटरों ने भी नाम नही छापने की शर्त पर कहा कि गुरुजी गांव-गांव घुमकर चुनाव प्रचार कर रहे है और पत्नी के लिए वोट मांग रहे है।
इस मामलें में गुरुजी से उनका पक्ष जानने के लिए जब मोबाइल नंबर 9934883830 पर बात की गई तो काॅल को खुद गुरुजी ने ही रिसीव किया। असली मुद्दे पर पहुंचने के पहले जब गुरुजी से इधर-उधर और पत्नी की चुनावी स्थिति पर घुमा फिरा बात की गई तो गुरुजी ने पहले तो स्वीकार कर ही लिया कि वे चुनाव प्रचार में लगे है और चुनावी स्थिति भी मजबूत है। यहां तक तो गुरुजी को लगा कि ये तो मेरे ही पक्षधर है और मेरे ही पक्ष की बात कर रहे है पर जैसे ही मुद्दें पर आकर गुरुजी की दुखती रग पर हाथ रखते हुए यह कहा गया कि सरकारी सेवक को चुनाव प्रचार से दूर रहना है और एक चुनावी पोस्टर में आपकी तस्वीर भी पत्नी के साथ लगी है। यहां दुखती रग पर हाथ रखे जाते ही गुरुजी बिलबिला उठे और उन्होने कहा कि वे कोई प्रचार वरचार नही कर रहे है। पोस्टर उनकी पत्नी ने बनवाया है और तस्वीर भी उसी ने लगवाई है। इसमें मेरी कहां गलती है। खैर गुरुजी सबकुछ स्वीकार करने के बाद भी पलटी मार गए पर सच्चाई सामने आ चुकी है। हालांकि बातचीत के बाद गुरुजी ने मौके से अपनी तस्वीर वाली पोस्टरें हटवा दी है लेकिन वे तस्वीरें हमारे कैमरें में कैद और सुरक्षित है।
अब इस मामलें में कार्रवाई करना शासन-प्रशासन, चुनाव प्रशासन और शिक्षा महकमें के जिम्में है। ऐसे में देखना यह है कि मामला उजागर होने के बाद गुरुजी पर क्या कार्रवाई होती है। इस मामले में औरंगाबाद के उप निर्वाचन अधिकारी जावेद एकबाल ने पूछे जाने पर कहा कि सरकारी सेवक द्वारा किसी भी चुनाव में किसी उम्मीदवार के पक्ष या विपक्ष में चुनाव प्रचार करना आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है। साथ ही यह कार्य सरकारी सेवक के आचरण के लिए निर्धारित मापदंड के भी प्रतिकूल है। इस मामलें में आचार संहिता के उल्लंघन की प्राथमिकी दर्ज होगी और सरकारी सेवक जिस विभाग से संबंधित होंगे, उस विभाग द्वारा भी विभागीय कार्रवाई की जाएगी। उन्होने कहा कि ऐसा करनेवाला सरकारी कर्मी शिक्षक है तो उनके स्तर से शिक्षा विभाग को भी कार्रवाई के लिए लिखा जाएगा। विभाग ऐसे शिक्षक को सस्पेंड करने के साथ ही अन्य विभागीय कार्रवाई कर सकता है।