औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। भाकपा माले की औरंगाबाद जिला कमिटी ने पार्टी के राज्यव्यापी आह्वान पर रविवार को विरोध दिवस मनाया। इस मौके पर दर्जनों कार्यकर्ताओं ने पार्टी की राज्य कमिटी के सदस्य सह जिला सचिव मुनारिक राम के नेतृत्व में विरोध मार्च निकाला।
विरोध मार्च गांधी मैदान से निकलकर मुख्य बाजार होते रमेश चैक पहुचकर समाप्त हुआ, जहां नुक्कड़ सभा की गई। नुक्कड़ सभा को संबोधित करते हुए पार्टी के जिला सचिव ने कहा कि विधानसभा के बजट सत्र के अंतिम दिन भाजपा कोटे से अध्यक्ष बने विजय कुमार सिंहा ने माले विधायकों को मार्शल आउट के जरिए एक बार फिर लोकतंत्र को शर्मसार किया है। संवैधानिक संस्थाओं के भाजपाकरण के अभियान में विधानसभाध्यक्ष पूरी मुस्तैदी से से लगे है। वे लोकतांत्रिक संस्थाओं का भाजपाकरण करने में लगे हैं। बजट सत्र के दौरान हमारी पार्टी ने हर स्तर पर विरोध किया और हर कदम पर उनके गैर संवैधानिक आचरण का पर्दाफाश किया। 31 मार्च को पार्टी विधायक दल ने राज्य में लगातार गिरती कानून व्यवस्था, मॉब लिंचिंग, भाजपा-अरएसएस द्वारा साम्प्रदायिक उन्माद भड़काने की साजिशों, दलितों, अतिपिछड़ों, पिछड़ों व महिलाओं पर बर्बर सामंती व पितृसत्तात्मक हमले, अल्पसंख्यकों के खिलाफ घृणित प्रचार, राज्य में लूट व हत्या की बढ़ती घटनाओं आदि विषयों पर कार्यस्थगन प्रस्ताव दिया था। हाल के दिनों में ऐसी घटनाओं का बाढ़ सी आ गई है। खुद मुख्यमंत्री पर हमले हुए और सत्ताधारी जदयू के ही नेता की हत्या तक की घटनाएं हुई। कहा कि नीतीश कुमार क्रिमिनलाइजेशन, करप्शन, और कम्यूनलिज्म पर जीरो टॉलरेंस का दावा करते नहीं अघाते लेकिन आज पूरा बिहार पुलिस व सामंती अपराधियों के आतंक से कराह रहा है।
इन गंभीर विषयों पर भाजपाई विधानसभाध्यक्ष ने माले विधायक दल के कार्यस्थगन प्रस्ताव पर गंभीरता दिखलाने के बजाय उल्टे विधायकों को ही अपमानित किया तथा उन्हें जबरदस्ती उठा कर बाहर फेंकवा दिया। पिछले बजट सत्र के दौरान भी विपक्ष के विधायकों की बर्बर पिटाई की गई थी, जिस घटना ने पूरी दुनिया में बिहार व लोकतंत्र को शर्मसार किया था। इस घटना को लेकर गठित कमेटी की रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर आने के पहले एक अखबार में प्रकाशित हो गयी जिसमें विधायकों को ही दोषी करार दिया गया है। जाहिर सी बात है कि वर्तमान विधानसभाध्यक्ष के नेतृत्व में भाजपा विपक्ष पर विभिन्न तरीकों से हमलावर होना चाहती है और लोकतांत्रिक मर्यादाओं का गला घोंट रही है। माले विधायकों के पहले एएमआईएम के विधायक को भी मार्शल आउट किया गया। राज्य की इन ज्वलंत सवालों पर सरकार बहस से लगातार भाग रही है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुप्पी साध रखी है। नीतीश कुमार की इस चुप्पी और विधानसभाध्यक्ष के नेतृत्व में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमजोर कर तानाशाही थोपने की इन कार्रवाइयों के खिलाफ ही आज सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने चिलचिलाती धूप में भी गर्मजोशी के साथ विरोध मार्च किया। विरोध मार्च में पार्टी के जिलाध्यक्ष योगेंद्र राम, नौजवान सभा के जिलाध्यक्ष गुड़ु चंद्रवंशी, कमलदेव पासवान, करमु पासवान, नारायण राम, रिंकू देवी, गुड्ड़ू चंद्रवंशी, कलावती देवी, बबलू कुमार,योगेंद्र कुमार, अवधेश मेहता एवं कैलाश पासवान आदि शामिल रहे।