अम्बा(औरंगाबाद)(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। कुटुम्बा स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में लुई ब्रेल की जयंती मनाई गई।
इस मौके पर समावेशी शिक्षा संभाग प्रभारी दीपक कुमार, विद्यालय के संचालक सह मध्य विद्यालय कुटुंबा की प्रधानाध्यापक खुर्शीदा बानो, द्यालय की वार्डन निशा सिंह और संसाधन शिक्षिका कल्पना शर्मा ने संयुक्त रुप से दीप प्रज्ज्वलित कर और लुई ब्रेल के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया। कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि हर साल 4 जनवरी को विश्व ब्रेल दिवस के तौर पर लुई ब्रेल की जयंती मनाई जाती है। ब्रेल लिपि के आविष्कारक लुई ब्रेल का जन्म 4 जनवरी 1809 को फ्रांस के एक छोटे से ग्राम कुप्रे में हुआ था। ब्रेल लिपि एक ऐसी भाषा है जिसका उपयोग दृष्टिबाधित लोग पढ़ने और लिखने के लिए करते हैं। लुई ब्रेल बचपन से अंधे नहीं थे। उनके पिता साइमन रेले ब्रेल शाही घोड़े के लिए काठी और जीन बनाने का कार्य किया करते थे। पारिवारिक आवश्यकताओं के अनुरूप पर्याप्त आर्थिक संसाधन नहीं होने के कारण साइमन को अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ती थी। इसलिए जब बालक लुई मात्र 3 वर्ष के हुए तो उनके पिता ने उसे भी अपने साथ घोड़ों के लिए काठी और जिन बनाने के कार्य में लगा दिया। अपने स्वभाव के अनुरूप 3 वर्षीय बालक अपने आसपास उपलब्ध वस्तुओं से खेलने मे अपना समय बिताया करता था। एक दिन काठी की लकड़ी को काटते समय इस्तेमाल की जाने वाली चाकू अचानक उछल कर इस नन्हे बालक की आंख में जा लगी और बालक की आंख से खून की धारा बह निकली। साधारण जड़ी लगाकर उसकी आंख पर पट्टी कर दी गई धीरे-धीरे वह नन्हा बालक 8 वर्ष का पूरे होने तक पूरी तरह दृष्टिहीन हो गया। रंग बिरंगे संसार के स्थान पर उस बालक के लिए सब कुछ गहन अंधकार में डूब गया। अपने पिता के चमड़े के उद्योग में उत्सुकता रखने वाले लुई ने अपनी आंखें एक दुर्घटना में खो दी। यह दुर्घटना उनके पिता की कार्यशाला में घटी।
आंखों की रोशनी चली जाने के बाद भी लुईस ने हिम्मत नहीं हारी। वह ऐसी चीज बनाना चाहते थे, जो उनके जैसे दृष्टिहीन लोगों की मदद कर सके। इसलिए उन्होंने अपने नाम से एक राइटिंग स्टाइल बनाई जिसमे सिक्स डॉट कोड थे, वहीं स्क्रिप्ट आगे चलकर ब्रेल के नाम से जानी गई। लुई ब्रेल की मृत्यु 6 जनवरी 1852 को टीबी की बीमारी से हुई थी। कार्यक्रम में संसाधन शिक्षक विजय सिंह ने भी लुइस ब्रेल के बारे में जानकारी दी। इस मौके पर संसाधन शिक्षक आनंद कुमार, श्याम बाबू, संतोष कुमार, दीपक कुमार, फिजियोथेरेपिस्ट जितेंद्र सिंह, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय के सभी कर्मी आदि उपस्थित थे।