औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। भ्रष्टाचार प्रतिरोध मोर्चा ने वामपंथी दलों पर वोटबाज और चुनावबाज होने का आरोप लगाया है।
http://‘‘सखी सैंया बहुत ही कमात है-महंगाई डाइन खाए जात है, 1 किलो ना अब 250 ग्राम से काम चलात हैं’’
मोर्चा के बिहार-झारखंड सांगठनिक राज्य कमिटी के सचिव आलोक कुमार ने प्रेस बयान जारी कर कहा कि दोनो राज्यों के सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थानीय पुलिस के संरक्षण में वन संपदा-खनिज की लूट, प्रतिक्रियावादी असामाजिक तत्वों के विकास, सार्वजनिक वितरण प्रणाली में कालाबाजारी, अपहरण, हत्या, बलात्कार, जबरन शादी, वाम जनवादी- धर्मनिरपेक्ष-लोकतांत्रिक शक्तियों पर हमला, फर्जी मुकदमा, शोषण के खिलाफ आवाज उठाने वाले सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं को जेहादी, टुकड़े-टुकड़े गैंग, एंटी नेशनल, नक्सल का आरोप लगाकर बदनाम करने व बेजा गिरफ्तारी के सवाल पर व्यापक गोलबंदी के लिए मोर्चा जन अभियान चलाना चाहता है।
शीघ्र ही यह अभियान आरंभ होगा लेकिन इन सवालों पर राजनीतिक दल, जनप्रतिनिधि एवं तथाकथित वाम जनवादी पार्टियों ने चुप्पी साधकर अपनी पहचान और प्रासंगिकता खो दी है। ये केवल चुनावी पार्टियां बन कर रह गयी है। इनकी हैसियत यह हो गई है कि कई क्षेत्रों में लगातार प्रतिनिधित्व करने वाली भाकपा, माकपा, भाकपा(माले) का जनाधार समाप्त हो चुका है। इनमें सिर्फ चुनाव लड़ने का हिम्मत शेष रह गया है। इस मामले में मोर्चा प्रतिक्रियावादी एवं असामाजिक तत्वों को जवाब उन्ही की भाषा में देगा। इसके लिए मोर्चा वाम जनवादी, लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष शक्तियों से एक मंच पर आने का आह्वान करता है। मोर्चा 10 नवम्बर के बाद समीक्षा बैठक आहूत करेगा, जिसमे आंदोलन की रूप रेखा तय की जाएगी। साथ ही विभिन्न सामाजिक एवं राजनैतिक संगठनों के नेताओं से चर्चा भी होगी।