इपिक नंबर के साथ बूथों की रिपोर्ट देने के फरमान से खुल जाएगी पार्टी के हर छोटे-बड़े नेता की पोल
औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज18 ब्यूरो)।औरंगाबाद के सभी छः विधानसभा सीटों पर भाजपा समेत एनडीए के सभी घटक दलों की करारी हार की समीक्षा करने को लेकर बीजेपी की गुरुवार को आहुत समीक्षा बैठक के पूर्व मंत्री व औरंगाबाद से पार्टी प्रत्याशी रहे रामाधार सिंह के समर्थकों के हंगामें की भेंट चढ़ जाने के बाद पार्टी ने संगठन में फुल ऑपरेशन का मन बना लिया है। इसका संकेत पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. संजय जायसवाल बैठक में ही दे चुके है।
हंगामें के बाद उन्होने साफ कर दिया है कि अब समीक्षा का दायरा और बढ़ेगा। उन्होने फरमान जारी कर दिया है कि अब यहां के सभी सांसद, विधानसभा प्रत्याशी, विधान पार्षद, पार्टी के जिला स्तर के सभी पदाधिकारी, जिलें के सभी विधानसभा संयोजक, सभी मंच-मोर्चा के जिलाध्यक्ष, आईटी सेल के जिला संयोजक, सभी मंच-मोर्चा के जिलें से ताल्लुक रखने वालें प्रदेश पदाधिकारी, सभी प्रकोष्ठों के जिला संयोजक, सभी प्रकोष्ठों के जिलें से ताल्लुक रखने वालें के प्रदेश पदाधिकारी, जिलें से ताल्लुक रखने वालें भाजपा के प्रदेश पदाधिकारी, जिलें से ताल्लुक रखने वालें भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य, सभी मंडल अध्यक्ष एवं बूथ अध्यक्ष तक इपिक नंबर के साथ यह रिपोर्ट दे कि खुद अपने बूथ पर आपने अपने दल या गठबंधन के घटक दल को कितना वोट दिलाया। सभी यह रिपोर्ट जिलाध्यक्ष को उपलब्ध कराये ताकि अगले माह वें इसकी समीक्षा कर सकें।
प्रदेश अध्यक्ष के इस फरमान से भाजपा के हर छोटे-बड़े नेता के हाथ-पांव फूलने लगे है। वें इस सोंच में दुबले हो रहे है कि यदि सच में इस तरह की रिपोर्ट देनी पड़ गई तो, उनकी कारगुजारियों की असलियत तो सामने आ ही जायंेगी। संगठन के सामने न केवल वें बौने साबित हो जायेंगे बल्कि उनकी सारी हेकड़ी गुम होने के साथ ही पोल-पट्टी भी खुल जायेंगी।
वैसे भी पार्टी के हर समर्पित कार्यकर्ता यह जानतें हैं कि विधानसभा चुनाव में पूरे जिलें में खासकर औरंगाबाद में पार्टी उम्मीदवार को हराने के लिए क्या-क्या गुल खिलाये गये है। ऐसें में प्रदेश अध्यक्ष के इस फरमान से जहां पार्टी के प्रति समर्पित और वफादार कार्यकर्ताओं का समूह बेहद खुश है। वही संगठन में पदों पर रहते हुए चुनाव में उल्टा-सीधा करने वाले इस फरमान से मायूस और अंदर ही अंदर नाराज है।
ऐसें लोगों की यह दिली ख्वाहिश है कि इस तरह की रिपोर्ट लेने-देने की नौबत ही नही आये और समीक्षा का मामला ही टल जायें। इस तरह की वें जुगत भिड़ानें में भी लगे है और जो परिस्थितियां बन रही है, उससे तो यही लग रहा है कि किसी न किसी बहाने यह समीक्षा टल जायेगी। वही अपनी हार से खार खाये पूर्व मंत्री रामाधार सिंह की यह चाहत है कि इस तरह की समीक्षा जरुर हो ताकि दल के भीतरघाती नेताओं के चेहरों से नकाब उतर सके।
इस मामले में राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि समीक्षा के मामले में यहां न राधे के नौ मन तेल होई आउर ना समीक्षा होई वाली बात ही लागू होगी। उनका कहना है कि भला कौन कार्यकर्ता अपने ही बूथ पर पार्टी को मिले वोट की असलियत जगजाहिर कर अपनी भद्द पिटवाना पसंद करेगा। यदि ऐसा होता है तो पार्टी के जिला संगठन के आधें लोगों के दागदार दामन सामने आ जायेंगे। ऐसे लोगों पर कार्रवाई करने पर जिलें में संगठन ही नाम मात्र का बच जायेगा। ऐसें में यह तय है कि इस लेबल पर समीक्षा नही हो सकेगी। ऐसा फरमान प्रदेश अध्यक्ष ने नेता-कार्यकर्ताओं को सुधरने के लिए जारी किया है ताकि वें अपने आचरण में सुधार ला सके और पार्टी का जिला संगठन सही तथा सुचारु रुप से चल सके।