जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष व सीपीआई नेता कन्हैया कुमार बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर प्रदेश के दौरे पर हैं। महागठबंधन में उनकी पार्टी को छह सीटें मिली हैं और इन्हीं छह सीटों के बल पर उन्हें प्रदेश में अपनी पार्टी की रीढ़ खड़ी करने की जिम्मेदारी भी दी गई है। चुनाव से जुड़े मुद्दों पर कन्हैया कुमार ने प्रिंस कुमार, अभिषेक व रॉबिन्स रंजन के साथ खुलकर बात की। पेश है अंश :
Q – अब तक आप तेजस्वी यादव के साथ किसी मंच पर नजर नहीं आए हैं, जबकि वे आपके गठबंधन के जड़ हैं।
A – ऐसा नहीं है। ये सभी बातें केवल मीडिया की उपज है। इलेक्शन को-ऑर्डिनेशन कमिटी हमारी सभाओं की रूपरेखा तैयार करती है। उसमें अगर कहीं हमदोनों की सभाएं साथ में रखी जाएंगी, तो निश्चत तौर पर हम दोनों साथ भी सभाएं करेंगे। साथ में सभा करने में कोई गुरेज नहीं है। साथ ही बता दूं कि कई प्रत्याशी व्यक्तिगत रूप से भी मुझसे चुनाव प्रचार के लिए संपर्क साधे हुए हैं, लेकिन इलेक्शन को-ऑर्डिनेशन कमिटी की जो राय रहेगी मैं उसी पर आगे बढ़ूंगा। हमारा गठबंधन इसलिए बना है ताकि हम प्रदेश से सांप्रदायिक ताकतों को उखाड़ फेंके। इसलिए सभा किसके साथ होगी, किसके साथ नहीं ये सब गैर जरूरी सवाल हैं।
Q – महागठबंधन ने सीपीआई को केवल छह सीटें दी हैं। क्या आप इससे खुश हैं?
A– सीटों का सवाल हमारे बीच नहीं है। सीटों की समानता पर हम चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। समानता जीत में होनी चाहिए, न कि सीट पर। प्रतिष्ठा के लिए राजनीति नहीं की जाती है। प्रदेश का पूरा विकास हो हम बस यही चाहते हैं। चाहे हमें चार सीटें मिले या छह। मायने बस यही रखता है कि अगर हम सरकार में जाए तो हमारा कॉमन मिनिमम प्रोग्राम कायदे से लागू होना चाहिए। अगर आपको महाभारत की कहानी बयां करें तो कौरवों की संख्या तो पांडवों से कई गुणा अधिक थी। सौ कौरवों के लिए पांच पांडव ही भारी पड़े। इसलिए संख्या नहीं नीति महत्वपूर्ण होनी चाहिए।
Q – पार्टी को आगे ले जाने के लिए आपकी क्या प्लानिंग है?
A– मैं पिछले 18 साल से राजनीति से जुड़ा हूं। मैट्रिक पास करने के बाद ही मैंने एआईएसएफ की सदस्यता ली थी। शुरू से हमलोगों ने संघर्ष किया है और पार्टी को आगे बढ़ाया है। स्टडी एंड स्ट्रगल का सिद्धांत लेकर हमलोग आगे बढ़े हैं। लड़ो पढ़ाई करने को और बढ़ो समाज बदलने की नीति हमलोगों की स्थापना काल से ही रही है। आजादी के पहले शुरू हुई हमलोगों की क्रांति आगे भी संघर्ष के बूते ही आगे जाएगी।
Q – मौजूदा विधानसभा चुनाव को आप किस रूप में देखते हैं?
A– ये तो अगले महीने की दस तारीख को पता चलेगा। शुरू में लोगों को लग रहा था कि ये चुनाव एकपक्षीय है, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। बिहार का कोई भी चुनाव एकतरफा हो ही नहीं सकता है। बिहारियों में राजनीति की समझ बहुत अच्छी होती है। एक-एक बिहारी राजनीति की बारीकियों को बखूबी समझता है। आप कहीं भी देख लें ट्रेन में, ताश खेलते हुए हर जगह लोग राजनीति की बातें करते हैं। ऐसा देश के किसी और कोने में देखने को नहीं मिलता है।
Q – बीते 15 वर्षों के विकास के बारे में आपकी क्या राय है।
A– वहीं जो आपकी राय है। अगर प्रदेश में कार्य किए गए हैं, तो निश्चित रूप से उसको स्वीकार करने में हमें कोई झिझक नहीं होनी चाहिए। बिहार में का बा और बिहार में ई बा की बात न एक दम सही और न ही एकदम गलत है। ऐसा नहीं है कि बिहार में कुछ नहीं है और ऐसा भी नहीं है कि बिहार में सबकुछ है। सत्तापक्ष और विपक्ष को इन सभी बातों से ऊपर उठकर प्रदेश की भलाई के लिए राजनीति करनी चाहिए। एक ही व्यक्ति सभी विषयों का विशेषज्ञ नहीं हो सकता है। इसलिए सरकार को भी विशेषज्ञों को बुलाकर प्रदेश के लिए बढ़िया पॉलिसी बनानी चाहिए। आज जो भी मजदूर पलायन कर रहे हैं वो मजबूर हैं। हमारे मजदूर दूसरी जगह जाकर अपना सौ प्रतिशत देते हैं, लेकिन हम उन्हें यहां इंफ्रास्ट्रकचर नहीं देते हैं इसलिए उन्हें पलायन करने की मजबूरी है।
Q –आप बिहार के पॉलिसी मेकिंग का हिस्सा बनना चाहते हैं?
A– क्यों नहीं। अगर सरकार चाहे तो मैं शिक्षा के लिए प्रदेश की पॉलिसी बना सकता हूं। मुझे इसमें खुशी होगी। आज बाहर रहने वाले सभी बिहारियों को आगे आना चाहिए। वो जिस भी चीज में एक्सपर्ट हैं उन्हें अपनी मिट्टी को उसका लाभ देना चाहिए। प्राकृतिक आपदा से बचाव के विशेषज्ञों को अपनी जन्मभूमि में आकर पॉलिसी बनाना चाहिए। तब ही हमारा विकास होगा। केवल एक व्यक्ति पर दोष मढ़ देने भर से कुछ नहीं होने वाला है। हम बाहर जाते हैं तो भारतीय कहलाते हैं, पर अपने ही देश के किसी अन्य हिस्से में जाएं तो अपेक्षित नजरों से बिहारी कहलाते हैं। इसे बदलने के लिए सभी को आगे आना होगा।
Q – तेजस्वी के दस लाख रोजगार देने और मुख्यमंत्री नीतीश के उसपर सवाल खड़ा करने को आप कैसे देखते हैं ?
A– नीतीश कुमार का कहना जायज है कि दस लाख नौकरियों के लिए रुपये कहां से आएंगे। बिहार में राजस्व की बहुत भारी कमी है। अभी कुछ दिनों पहले मेरी चर्चा महाराष्ट्र के एक पॉलिसी मेकर से हो रही थी। उन्होंने बताया कि देशभर का रेवन्यू तीन ट्रिलियन है। जिसमें अकेले एक ट्रिलियन रेवन्यू महाराष्ट्र जेनेरेट करता है। लॉकडाउन के कारण वहां की इकोनॉमी इतनी गड़बड़ हो गई कि सरकार को अपने कर्मियों को वेतन देने के लिए बैंक से कर्ज लेने की नौबत आ पड़ी है। वैसी स्थिति में आप बिहार की कल्पना कर सकते हैं। यहां तो वैसी अर्थव्यवस्था भी नहीं है। फिर भी अगर सरकार चाहे तो युवाओं को नौकरियां दे सकती हैं। कमी केवल नीति और इच्छाशक्ति की है। अगर इतनी है रुपये की कमी है सरकार के पास तो अभी जो चुनावी सभाओं के लिए हेलिकॉप्टर उड़ रहे हैं उसका खर्च कहां से वहन किया जा रहा है।
Q – नौकरियां देने और राजस्व बढ़ाने के लिए आपके पास क्या उपाय हैं?
A– कई सारे महत्वपूर्ण कार्य कर के सरकार रेवन्यू बढ़ा सकती है। जैसे सरकारी खर्चों का जो इस्टीमेट तैयार होता है उसमें निचले स्तर से भ्रष्टाचार की शुरुआत हो जाती है। उदाहरण के लिए मैं बता दूं कि जो टेबल हम-आप बाजार में जाकर एक हजार रुपये में खरीदते हैं। सरकारी विभाग उसी टेबल के लिए पांच हजार रुपये तक खर्च करते हैं। ऐसी चीजों पर रोक जरूरी है।
Q – कन्हैया कुमार बिहार से चुनाव क्यों नहीं लड़ रहे हैं? आप सीएम कैंडिडेट क्यों नहीं है?
A– हर जगह से क्यों मैं ही लड़ूं क्या। हमारी पार्टी के जो कार्यकर्ता हैं उन्हें भी हक है चुनाव लड़ने का। पार्टी नेतृत्व जो तय करेगा मैं बस वहीं करूंगा। मुझसे अधिक पढ़े-लिखे युवा प्रदेश में हैं उन्हें भी आगे आना चाहिए। हमारी पार्टी लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर चलती है। राजतंत्र तो है नहीं कि केवल हम जो कहेंगे वो ही माना जाएगा। और जहां तक सीएम बनने की बात है जो बड़ी पार्टी रहेगी सीएम उसी का होगा न।
Q –लोकसभा चुनाव में आपके खिलाफ तेजस्वी यादव ने बेगूसराय में अपना कैंडिडेट दे दिया। फिर भी आज आप उनके साथ खड़े हैं। जबकि उस वक्त तेजस्वी ने कहा था कि- एक जाति और एक जिले की पार्टी है सीपीआई।
A– चुनाव और राजनीति में समय-समय पर लोग फैसले बदलते रहते हैं। राजनीति में पुरानी बातों को ज्यादा दिनों तक याद नहीं रखा जाता है। उनकी उस वक्त इच्छा रही होगी कि हमारे खिलाफ उम्मीदवार दें, उन्होंने दिया। अब समय बदल चुका है। वो लोकसभा का चुनाव था। उसके समीकरण दूसरे थे। ये विधानसभा का चुनाव है यहां हालात दूसरे हैं। हरिवंश राय बच्चन ने भी कहा कि जो बीत गई सो बात गई, माना कि बहुत प्यारा था।
Q- जेपी नड्डा और योगी आदित्यनाथ की सभाओं को आप किस रूप में देखते हैं?
A- योगी आदित्यनाथ और जेपी नड्डा ने मिलकर उत्तर प्रदेश में गड्ढा खोद दिया है। उनदोनों को अब बिहार में गड्ढा नहीं खोदने देंगे। पहले बिहार में भाजपा नीतीश की स्टेपनी बनी हुई थी और अब भाजपा नीतीश को ही स्टेपनी बनाने पर तूली हुई है।
Q-आपको देशद्रोही कहने वाले लोगों को आप क्या कहेंगे?
A– कहने वालों को क्या कहेंगे, मामला कोर्ट में हैं बहुत करने के बाद तो अभी उसमें चार्जशीट हुआ है। दरअसल लोगों को मुद्दे से भटकाने के लिए इस तरह की बातें की जाती है हम उसपर ध्यान न देकर मुद्दों पर ध्यान देते हैं।
Q-भाकपा के छात्र युवा संगठन टिकट नहीं मिलने के बाद निर्दलीय खड़े हैं?
A-जो लोग निर्दलीय नामांकन किये हैं उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया है। सब ठीक हो गया है। लड़ाई देश व संविधान बचाने की है।