औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। औरंगाबाद प्रखंड के बेला पंचायत के जरमाखाप गांव के लोगो ने आपसी चंदा और श्रमदान से पुल का निर्माण कर समाज के समक्ष अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।
गांव के सुरेंद्र पासवान, रूपन रजक, संजय कुमार, नागेंद्र पासवान, संजय रजक, मनोज मेहता एवं जयराम चंद्रवंशी बताते है कि आजादी के बाद से अब तक जरमाखाप गांव बिल्कुल उपेक्षित रहा है। इस गांव में नहर के किनारे बने एक सुपर पैसेज द्वारा लोग आया जाया करते थे। गांव में मात्र साइकिल और मोटरसाइकिल ही जाया करती थी। यहां के ग्रामीणों ने दर्जनों बार एमपी, एमएलए एवं अन्य नेताओं से संपर्क किया लेकिन किसी ने इनकी पुल की समस्या को गंभीरता से नहीं लिया। इतना तक कि आक्रोश में यहां के ग्रामीणों ने लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में वोट बहिष्कार का भी नारा बुलंद किया। पुल नहीं तो वोट नहीं के नारे लगाये। इसके बाद तत्कालीन बड़े अधिकारियों ने ग्रामीणों को समझा-बुझाकर वोट दिलवाने का काम किया और आश्वासन दिया निश्चित रूप से पुल का निर्माण करवा दिया जाएगा लेकिन ऐसा नही हो सका। ग्रामीण अपने बहू और बेटियों को दरवाजे तक तीन और चार चक्के की गाड़ी से नहीं पहुंचने के कारण उपेक्षित महसूस करते रहे। अंततः थक हार कर ग्रामीणों ने खुद के पैसे से पुल का निर्माण कराने का निर्णय लिया। इसके लिए आपस में चंदा और श्रमदान किया। अब जरमाखाप गांव के पूरब से निकलने वाली अदरी नहर पर पुल बनकर तैयार है।
चंदे की राशि और श्रमदान से पुल निर्माण के बाद ग्रामीण अब लगन के साथ एप्रोच रोड बनाने में जुटे है। पुल निर्माण का काम जारी रहने के दौरान ग्रामीणों ने समाचार पत्रों में इस खबर को प्रकाशित नहीं करने का भी आग्रह किया था ताकि कहीं सिंचाई विभाग की नजर इस पुल पर नहीं लग जाए और पुल का बाकी काम सिंचाई विभाग के द्वारा न कर दिया जाए। ग्रामीण कहते है कि पुल निर्माण के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र हेतु उनके द्वारा सिंचाई विभाग को आवेदन एवं आग्रह किया गया था परंतु विभाग ने अनापत्ति नही दी। पुल निर्माण पूर्ण होने पर ग्रामीणों में काफी खुशी है। उन्हे खुषी इस बात की है कि अब उनके दरवाजे तक तीन और चार चक्के की गाड़ी पहुंच जायेगी। वही इस मामले पर पतिक्रिया देते हुए राजद नेता डॉ. रमेश यादव ने कहा कि जरमाखाप के ग्रामीणों द्वारा किया गयायह कार्य से जनप्रतिनिधियों को करारा तमाचा है।