डेहरी(रोहतास)(पुष्पा)। डेहरी के कुश मंदिर सह कुशवाहा सभा भवन के प्रांगण में रविवार को शहीद जगदेव प्रसाद का शहादत दिवस मनाया गया।
कार्यक्रम के आरंभ के पूर्व स्व. जगदेव प्रसाद के विचारों को मानने वाले लोग कुशवाहा सभा भवन में एकत्रित हुए। इसके बाद पूर्व के वर्षों की भांति हाथों में फूल माला लेकर पदयात्रा करते हुए स्थानीय जगदेव चौक पहुंचे तथा उनकी आदमकद मूर्ति पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया। इसके बाद कुशवाहा सभा भवन में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। विचार गोष्ठी की अध्यक्षता कुशवाहा भवन के अध्यक्ष कौशलेंद्र कुशवाहा ने की। उन्होंने कार्यक्रम में कहा कि बिहार लेनिन की उपाधि पाने वाले शहीद जगदेव प्रसाद अंतिम सांस तक सामंतवाद, पाखंडवाद की कब्र खोदते रहे। 25 अगस्त 1967 को दिए गए अपने ओजस्वी भाषण में उन्होने कहा था कि सौ में नब्बे शोषित है, नब्बे भाग हमारा है। दस का शासन नब्बे पर नहीं चलेगा, नहीं चलेगा। वे एक जन्मजात क्रांतिकारी थे। उन्होंने सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में अपना बहुमूल्य योगदान दिया। वे भय,भुख, भ्रष्टाचार, छुआ छुत और पाखंडवाद को मिटाकर एक नए समाज का निर्माण करना चाहते थे, जिसमे समानता का अधिकार हो। शोषित समाज के आत्म सम्मान की लड़ाई लड़ते हुए वे 5 सितंबर 1974 को कुर्था की धरती पर शहीद हो गए। उनकी शहादत बेकार नहीं जाएगी। आज हमें जरूरत है उनके बताए मार्गो पर चलने और उनके विचारों को आत्मसात करने की। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
वही पूर्व सांसद व उजियारपुर के विधायक आलोक मेहता ने शहीद जगदेव प्रसाद के विचारों से अवगत कराते हुए उन पर चलने का आह्वान किया। कुशवाहा सभा परिवार के सभी सदस्यों के कार्यों की सराहना करते हुए इसके विकास में हरसंभव मदद करने का आश्वासन दिया। सभा को मुख्य रूप से सचिव पूर्णमासी सिंह, उपाध्यक्ष अजय कुमार, कोषाध्यक्ष सुनील कुमार, संतोष कुमार, वीरेंद्र कुशवाहा, मधु मंजरी, राजेश यादव, निर्मल कुशवाहा, अमरेंद्र सिंह, प्रो. सुबोध, उदय कुशवाहा, बिन्देश्वरी सिंह, विरेन्द्र कुमार, शिव कुमार सिंह, ईं. लक्ष्मण सिंह, लाल बिहारी सिंह, किरण कुशवाहा एवं प्रमोद महतो आदि लोगों ने संबोधित किया। इस दौरान रामप्रसाद सिंह, मनिष कुमार, संतोष कुमार, सुनिल कुमार, हरीओम, नरेन्द्र मौर्य, सीडी सिंह, देवमुनी सिंह, विद्याधर विद्यार्थी, डॉ. जयनाथ वर्मा, रामध्यान सिंह, ईश्वर दयाल सिंह, अशोक सिंह, नरेंद्र प्रसाद, रामजी सिंह एवं रामेश्वर सिंह आदि मौजूद रहे।