अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस : वुमन इन लीडरशीप एचिविंग ए फ्यूचर इन ए कोविड-19 वर्ल्ड विषय पर कार्यशाला का आयोजन

  • डीएम, एसपी ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की शुरुआत
  • आईसीडीएस द्वारा निकाली गई जागरूकता रैली.
  • कोरोना संक्रमण के दौर में सेविकाओं ने किया बेहतर कार्य

मधुबनी (गोपाल कुमार)। प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। महिला विकास निगम, समाज कल्याण विभाग और बिहार सरकार महिलाओं के समग्र विकास के लिए विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के साथ बेहतर सामाजिक वातावरण निर्माण की दिशा में प्रयासरत है। कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए नगर भवन मधुबनी में वुमन इन लीडरशिप एचिविंग ए फ्यूचर इन ए कोविड-19 विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत जिलाधिकारी अमित कुमार एवं एसपी डॉ. सत्यप्रकाश ने दीप प्रज्जवलित कर की । इस मौके पर आईसीडीएस की आंगनबाड़ी सेविकाओं के द्वारा रैली निकाली गई। रैली को एडीएम अवधेश राम ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। रैली में सैकड़ों आंगनबाड़ी सेविका, महिला सुपरवाइजर एवं छात्राओं ने भाग लिया। रैली नगर भवन से स्टेशन रोड से होकर नगर भवन पहुंची। रैली में शामिल महिलाएं “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” नामक पोस्टर हाथ में रखी थी एवं नारा लगा रही थी।

जिलाधिकारी अमित कुमार ने जिले की समस्त महिलाओं को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं देते हुए बताया समाज के नव निर्माण एवं सर्वांगीण विकास में आधी आबादी की भागीदारी एवं भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कोरोना संक्रमण के दौर में आंगनबाड़ी सेविकाओं ने बेहतर कार्य किया। सेविकाओं ने कोरोना काल में न सिर्फ घर की जिम्मेदारी संभाली, बल्कि खुद और परिवार के सदस्यों को संक्रमण से बचाते हुए सफलतापूर्वक समाज के सभी वर्गों के लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने का फर्ज अदा की। उन्होंने बताया कोविड-19 महामारी काल को सेविकाओं ने चुनौती की तरह लिया।

डीएम ने अधिकारियों व कर्मचारी को दिलायी शपथ

डीएम ने “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” अभियान के अवसर पर उपस्थित आंगनबाड़ी सेविकाओं छात्राओं एवं अधिकारियों- कर्मचारियों को शपथ दिलाई। सभी ने परिवार तथा दोस्तों में बेटियों का जन्म उत्सव मनाने, बेटियों और बेटों को एक समान ता रखने, बेटियों को लेकर गर्व करने, स्कूल में लड़कियों के दाखिले और अधिकारिता को सुरक्षित करने, लड़कियों के स्वतंत्र होने तथा अपने पसंद की आजीविका अजीबका के चुनाव के लिए प्रोत्साहित करने,जेंडर आधारित भूमिकाएं एवं रूढ़िवादिता का समांतर सामना करने, के लिए पुरुषों और बालकों को वचनबद्ध लिंग चयन जांच की किसी भी घटना की सूचना देने, महिलाओं और बालिकाओं के लिए अपने आसपास के क्षेत्र को सुरक्षित तथा हिंसा मुक्त करने, सादगी पूर्ण विवाह को बढ़ावा देने, विरासत और संपत्ति में महिलाओं के समान अधिकार का समूह समर्थन करना आदि की का शपथ ली।

क्या है बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान

आईसीडीएस डीपीओ डॉ. रश्मि वर्मा ने बताया ने बताया “बेटी बचाओ बेटी पढाओ” एक अभियान है जो महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ,स्वास्थ्य मंत्रालय और परिवार कल्याण मंत्रालय एवं मानव संसाधन विकास की एक मिलीजुली मिला-जूली सरकारी योजना है। जिसका उद्देश्य भारत में लड़कियों के लिए जागरूकता पैदा करना और कल्याणकारी सेवाओं में सुधार करना है। बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ,स्वास्थ्य मंत्रालय और परिवार कल्याण मंत्रालय एवं मानव संसाधन विकास द्वारा चलायी जा रही सरकारी योजना है जिसका उद्देश्य समाज में लड़कियों के प्रति सोच में बदलाव लाना है और उन्हें शिक्षा का अधिकार, बालिकाओं के गिरते लिंगानुपात और अन्य कल्याणकारी योजना के जरिये समानता प्रदान करना है।

उन्होंने बताया गिरता लिंगानुपात ,लड़कियों का कम या बिल्कुल भी पढ़ा लिखा ना होना ,जीवन में असामनता का अधिकार एक जटिल समस्या बनी हुई है। भारत सरकार ने इसकी ओर और धयान देते हुए “बेटी बचाओ बेटी पढाओ” अभियान की शुरुआत वात की है। जिसका उद्देश्य बेटियों के प्रति सकारत्मक सोच को बढ़ावा देना और उनके अधिकार की रक्षा करना है।

क्या है कार्यक्रम के उद्देश्य

हर लड़की को शिक्षा का सामान अधिकार और शिक्षा के लिए उसको प्रेरित करना। बालिकाओं काओ के गिरते लिंगानुपात के लिए जरूरी रुरी कदम उठाना। बालिकाओं को शोषण से बचाना व उन्हें सही/गलत के बारे में जानकारी देना ।

भारत में लड़कियों के लिए जागरूकता पैदा करना और कल्याणकारी सेवाओं में सुधार करना। शिक्षा के साथ बालिकाओं को अन्य क्षेत्रों में आगे बढ़ाने एवं उनकी भागीदारी को सुनिश्चित करना भी मुख्य इस सरकारी योजना का लक्ष्य है। कन्या भ्रूण हत्या रोकना। स्थानीय समुदाय / महिलाओं / युवाओं के समूहों के साथ भागीदारी में पंचायती राज संस्थानों / शहरी स्थानीय निकायों / श्रमिकों को सामाजिक परिवर्तन के लिए प्रशिक्षित करना। बालिकाओं के लिए एक सुरक्षात्मक वातावरण को बढ़ावा देना और समीक्षा करना। चयनित जिलों में हर स्कूल में लड़कियों के लिए शौचालय प्रदान करना। मौके पर जिला पोषण समन्वयक स्मित प्रतीक सिन्हा, पीएमएमवीवाई समन्यक अंजनी कुमार झा,यूनिसेफ एसएमसी,प्रमोद कुमार झा, सईदा बानो भी मौजूद थी।

(Liveindianews18 को आप  फ़ेसबुकट्विटरइंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं। आप हमें Google News पर भी फॉलो कर सकते हैं।)