संक्रमण से बचने के लिए कोरोना प्रोटोकॉल का पालन व वैक्सीन ही सबसे कारगर हथियार

– दोनों डोज लेने के दो सप्ताह बाद शरीर में वायरस से लड़ने की क्षमता होती है विकसित
– जिले के सभी पीएचसी पर लाभार्थियों को दी गई वैक्सीन की दूसरी डोज

बक्सर | देश के कई राज्यों में कोरोना के नये वैरिएंट डेल्टा प्लस का प्रसार हो रहा है। ऐसे में जिले के लोगों को सुरक्षित करने के उद्देश्य से राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग वैक्सीनेशन अभियान को और भी गति देने के लिये तत्पर है। ताकि, सूबे में तीसरी लहर की संभावना से पहले ही लोगों को सुरक्षित कर लिया जाये। हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) का भी मानना है कि संक्रमण से बचने के लिए कोरोना प्रोटोकॉल का पालन और वैक्सीन ही सबसे कारगर हथियार है। इस क्रम में चरणवार स्वास्थ्य कर्मी और फ्रंटलाइन वर्कर के बाद 18 वर्ष व उससे अधिक उम्र के लोगों के लिये टीकाकरण अभियान चलाये जा रहे हैं। सोमवार को 18 वर्ष से अधिक उम्र के लाभुकों के लिये कुल 38 सत्र स्थलों का संचालन किया गया, जहां पर लोगों को टीके की पहली डोज दी गई। वहीं, वैक्सीन की दूसरी डोज के लिये सभी प्राथमिक केंद्रों पर भी सत्र स्थलाें का संचालन किया गया।

संक्रमण से पूर्ण बचाव के लिए वैक्सीन की दोनों डोज लगवाना आवश्यक :
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. राज किशोर सिंह ने बताया, संक्रमण से पूर्ण बचाव के लिए वैक्सीन की दोनों डोज लगवाना आवश्यक है। इसके बाद ही शरीर में रोग से लड़ने की क्षमता पैदा होती है। टीकाकरण होने के बाद भी मास्क लगाना, नियमित अंतराल पर हाथ धोना और उचित दूरी रखना आवश्यक है। अभी जिले में दो वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन दी जा रही है। कोविशील्ड की पहली खुराक लेने के बाद दूसरी खुराक 12 सप्ताह बाद दी जाती है। कोवैक्सीन की पहली डोज के बाद चार सप्ताह के अंतराल पर दूसरी खुराक दी जाती है। दोनों डोज लेने के दो सप्ताह बाद शरीर में वायरस से लड़ने की क्षमता विकसित होने लगती है।

शतप्रतिशत आबादी का टीकाकरण करना बेहद जरूरी :
वैक्सीन किसी भी बीमारी या संक्रमण से लड़ने में मदद करती है। कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए शतप्रतिशत आबादी का टीकाकरण करना बेहद जरूरी है। प्रतिरक्षित व्यक्ति खुद भी संक्रमण से सुरक्षित रहता है और दूसरे को भी सुरक्षा प्रदान करता है। वैक्सीन लगने के बाद शरीर में बीमारी से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बन जाती है। जब शरीर में संक्रमण होता है तो यह एंटीबाडी शरीर को सुरक्षा प्रदान करती और बीमारी से बचाती है। अक्सर वैक्सीन लगने के बाद हल्का बुखार, बदन दर्द होता है, इसका यह मतलब नहीं होता है कि वैक्सीन नुकसान कर रही है, बल्कि इससे यह समझ आता है कि वैक्सीन शरीर में पहुंचकर अपना काम कर रही है।