लापता दो बसों और यात्रियों की तलाश के लिए भारतीय NDRF टीम पहुंची नेपाल

काठमांडू। पिछले सप्ताह से नेपाल के त्रिशूली नदी में लापता दो बसों और उनमें सवार यात्रियों की तलाश के लिए नेपाली अधिकारियों के अनुरोध पर भारत के National disaster Responce Force (NDRF) की एक टीम नेपाल आई है. NDRF के कुणाल तिवारी समेत 12 लोगों की टीम आज घटना की जानकारी ली. भारतीय टीम ने रविवार सुबह से तलाश शुरू कर दी है.

नेपाल के त्रिशूली नदी में खोजबीन अभियान में जुटे भारत के एनडीआरएफ के जवान।  सौजन्य- एनडीआरएफ
नेपाल के त्रिशूली नदी में खोजबीन अभियान में जुटे भारत के एनडीआरएफ के जवान। सौजन्य- एनडीआरएफ

12 जुलाई की सुबह चितवन-काठमांडू सड़क खंड पर दो बसें भूस्खलन की चपेट में आ गये थे । भूस्खलन के साथ ही ये दोनों बसें त्रिशूली नदी में गिर गये थे. दोनों बस में कम से कम 9 भारतीय नागरिकों समेत 65 यात्री सवार थे. तीन नेपाली यात्रियों ने तैरकर अपनी जान बचाई थी. बाँकी 62 यात्री बाढ मे बहे गये थे.

घटनास्थल चितवन के नारायणगढ बाजार से करीब 23 किलोमिटर दुर हैं. यात्रियों और बस की तलाश के लिए नेपाल आर्मी समेत 500 सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है. तलाशी के दौरान नदी तट से और भारतीय क्षेत्र गंडक बैराज आसपास से भी 25 शव बरामद किये गये. लेकिन उनमें से केवल 17 लोगों की पहचान हो चुकी है. 37 यात्रियों और दो बसों की स्थिति का अभी तक पता नहीं है.

नेपाल के त्रिशूली नदी से शव निकालते भारत के एनडीआरएफ के जवान।  सौजन्य- एनडीआरएफ
नेपाल के त्रिशूली नदी से शव निकालते भारत के एनडीआरएफ के जवान। सौजन्य- एनडीआरएफ

बीरगंज से काठमांडू जा रही एंजल डीलक्स बस और काठमांडू से गौर जा रही गणपति डीलक्स बस 12 जुलाई को सुबह करीब 3:30 बजे चितवन के सिमलताल क्षेत्र में भूस्खलन के साथ त्रिशूली नदी गिरी थी.

नेपाल सरकार ने हादसा के चार दिन बाद औपचारिक रूप से दो बसों और यात्रियों की तलाश के लिए पड़ोसी देश भारत से मदद का अनुरोध किया था.

भारतीय NDRF की टिम ने आज दोपहर चितवन जिल्ला प्रशासन कार्यालय मे हादसा का विवरण लिया और घटनास्थल पर पहुंचा. तलाशी शुरू करने से पहले भारतीय टीम ने चितवन के जिला प्रशासन कार्यालय में मुख्य जिला अधिकारी के साथ यहां के सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों से छलफल किया था.

छलफल के बाद प्रमुख जिला अधिकारी इंद्रदेव यादव ने बताया कि टीम में शामिल 12 लोगों में से चार गोताखोर हैं. टीम ने सुनौली सीमा से नेपाल में प्रवेश किया और भैरहवा में रुकते हुए शनिवार ( 20 जुलाई) को चितवन पहुंची.

वे पानी के भीतर खोज में उपयोग किए जाने वाले उपकरणों लेकर आए हैं. चितवन के प्रमुख जिला अधिकारी इंद्रदेव यादव ने बताया कि वे तीन अत्याधुनिक सोनार उपकरण भी लाए हैं.

सात दिनों तक नेपाल रहेगी भारतीय टीम

भारतीय NDRF टीम में कुणाल तिवारी, ललित कुमार, रवि शंकर सरोज, सुधीर कुमार सिंह, बहादुर नाथ, संदीप कुमार दुवे, विक्रांत कुमार, अबध किशोर, हेमंत कुमार यादव, मनोज कुमार यादव, सुनील कुमार सिंह यादव और लोकेश कुमार शामिल हैं.

नेपाल के त्रिशूली नदी के पास स्थित घटना स्थल।  सौजन्य- एनडीआरएफ
नेपाल के त्रिशूली नदी के पास स्थित घटना स्थल। सौजन्य- एनडीआरएफ

चितवन के प्रमुख जिला अधिकारी इंद्रदेव यादव ने कहा कि भारतीय टीम सात दिनों तक तलाश में जुटेगी. गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण एवं प्रबंधन प्राधिकरण (National Disaster Risk Reduction and Management Authority – NDRRMA) के अधिकारियों की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, नेपाल ने खोज और बचाव के लिए भारत से मुख्य रूप से तीन तरह की सहायता मांगी थी.

नेपाल के संसाधन बस की स्थिति का पता नहीं लगा सके, इसलिए सरकार ने खोज के लिए एक अंतरराष्ट्रीय बचाव दल को बुलाया. गृह मंत्रालय ने विदेश मंत्रालय के माध्यम से एक भारतीय बचाव दल बुलाया था.

NDRRMA के कार्यकारी प्रमुख अनिल पोखरेल के मुताबिक तलाश में अधिक परिष्कृत उपकरण, कुशल जनशक्ति और उन शवों की तलाश मे भारत की मदद मागा था.

लापता यात्रियों के रिश्तेदारों ने खोज और बचाव प्रयासों की प्रभावशीलता पर सवाल उठाए हैं क्योंकि उन के अनुसार घटना के सात दिन बाद भी खोज में महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई है. साथ ही इस घटना ने ऐसे आपदा मामलों में खोज और बचाव में नेपाली एजेंसियों की विफलता को भी उजागर कर दिया है.

खोज एवं बचाव में लगे सशस्त्र पुलिस फोर्स (Armed Police Force – APF) के केंद्रीय प्रवक्ता कुमार न्यूपाने के मुताबिक विभिन्न बाधाओं के कारण चल रही तलाश सफल नहीं हो सकी. उन्होंने कहा, “तेज बहाव वाले पानी में बचाव और खोज अभियान जोखिम भरा और बहुत कठिन होता है, इसलिए हम अपेक्षित परिणाम नहीं दे सके.”

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