नई दिल्ली। रक्षा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जहां घरेलू उत्पादन को मजबूती देने की दिशा में कई कदम उठाए जा रहे हैं। भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने की ओर कदम बढ़ा रहा है और इस बात की तस्दीक करते हैं रक्षा हथियार, सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के निर्यात में वृद्धि होना। इसमें ‘मेक इन इंडिया’ की पहल से स्वदेशी उत्पादों को प्रोत्साहन देना भी है। इसी दिशा में आगे कदम बढ़ाते हुये रक्षा मंत्रालय ने अगले 6 वर्षों के भीतर रक्षा उद्योग से जुड़े 107 सब सिस्टम का विदेशों से आयात बंद करके ‘आत्मनिर्भर’ बनने का फैसला लिया है।
भारतीय उद्योग से की जाएगी खरीदारी
दरअसल अगले 6 वर्षों में इन सभी यूनिटों, उप-प्रणालियों का स्वदेशीकरण किया जाएगा और इसके बाद इनकी खरीद केवल भारतीय उद्योग से ही की जाएगी। सरकार इस बदलाव को ऐसे समय में लाने का लक्ष्य बना रही है जब भारत विदेशी निर्मित हथियारों और उपकरणों के शीर्ष आयातकों में से एक है।
रक्षा मंत्रालय ने रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता की अपनी खोज को जारी रखने के उद्देश्य से एक सूची जारी की है। इसमें रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 107 लाइन रिप्लेसमेंट यूनिट (एलआरयू), उप-प्रणालियों का समय सीमा के साथ स्वदेशीकरण करने की मंजूरी दी गई है, जिसके बाद उनके आयात पर प्रतिबंध होगा। इन्हें आने वाले वर्षों में स्वदेशी बनाया जाएगा और प्रत्येक वस्तु के सामने दर्शाई गई तारीखों के बाद भारतीय उद्योग से खरीदा जा सकता है। सूची में ऐसे उत्पाद भी शामिल हैं जिनका आयात इस साल दिसंबर से शुरू होकर दिसंबर, 2028 तक पूरी तरह बंद हो जाएगा।
भारतीय उद्योग के लिए एक बड़ा अवसर
रक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि आयात बंद होने वाली वस्तुओं में वाल्व, बियरिंग्स, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध सूट, एंटीना और होवरक्राफ्ट शामिल हैं। इन वस्तुओं का स्वदेशीकरण ‘मेक’ श्रेणी के तहत रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम करेंगे। इसका उद्देश्य भारतीय उद्योग की अधिक भागीदारी को शामिल करके आत्मनिर्भरता प्राप्त करना है। मंत्रालय का कहना है कि रक्षा प्लेटफार्मों के निर्माण के लिहाज से यह भारतीय उद्योग के लिए एक बड़ा अवसर होगा। स्वदेशी विकास से अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और डीपीएसयू की आयात निर्भरता कम होगी। सरकार का मानना है कि इस फैसले से घरेलू रक्षा उद्योग की डिजाइन क्षमताओं को बढ़ावा मिलने के साथ ही भारत को दुनिया में अलग पहचान मिलेगी।
इससे पहले तीन सूची हो चुकी है जारी
बता दें कि रक्षा मंत्रालय ने रक्षा निर्माण क्षेत्र को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के लिए 27 दिसंबर 2021 को तीसरी सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची जारी करके करीब 2,851 आइटम का विदेशों से आयात करने पर रोक लगा दी थी। इनमें परिवहन विमान, हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर, पारंपरिक पनडुब्बी, मिसाइल और सोनार सिस्टम शामिल हैं।
इससे पहले स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के लिए 101 हथियारों और प्लेटफार्मों की ‘पहली सकारात्मक स्वदेशीकरण’ सूची अगस्त, 2020 में अधिसूचित की गई थी।
टैंक इंजन, रडार, कोरवेट सहित 108 हथियारों और प्लेटफार्मों की दूसरी सूची मई 2021 में जारी की गई थी। दूसरी सूची को दिसंबर, 2025 तक उत्तरोत्तर लागू किए जाने की योजना है।
भारत की रक्षा कंपनियां
रक्षा क्षेत्र के लिए ये उत्पाद सार्वजनिक क्षेत्र की हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, भारत डायनेमिक्स लिमिटेड, बीईएमएल लिमिटेड, मुनिशन्स इंडिया लिमिटेड (MIL), बख्तरबंद वाहन निगम लिमिटेड (अवनी), एडवांस्ड वेपंस एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड (एडब्ल्यूई इंडिया), ट्रूप कम्फर्ट्स लिमिटेड (टीसीएल), यंत्र इंडिया लिमिटेड (YIL), इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड (आईओएल) और ग्लाइडर्स इंडिया लिमिटेड (जीआईएल) के शामिल हैं।
रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में उभर रहा भारत
जाहिर है अब देश में ही भारतीय रक्षा उद्योग मुख्य रूप से सशस्त्र बलों की जरूरतों को पूरा करने के लिए विविध उत्पाद और बाजार के साथ विकसित हुआ है और इन्हीं प्रयासों की वजह से निर्यात में हालिया सफलताओं से प्रेरित होकर, भारत एक उभरते हुए रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में अपनी क्षमता का एहसास करने के लिए तैयार है।
रिसर्च, डेवलपमेंट में भी आगे आ रहा भारत
वहीं सरकार के इस फैसले से इंडियन डिफेंस इंडस्ट्री को अब इसे चैलेंज के तौर पर लेना होगा कि उन्हें इस मौके को जाने नहीं देना है। डीआरडीओ ऐसी सभी प्राइवेट कंपनियों की मदद करता है, रिसर्च, डेवलपमेंट में भी भारत आगे निकलेगा। भारत में क्षमता, स्किल, रिसर्च एंड डेवलपमेंट की कोई कमी नहीं है, इन्हें सिर्फ एक जगह लाने की जरूरत है। अब जब मौका मिला है, तो कर के दिखाना है और आगे बढ़ना है ताकि हम आयात की जगह निर्यात भी कर सकें। इसमें विशेष ध्यान उन उद्योगों को भी रखना है कि क्वालिटी पर ध्यान देना होगा, ताकि जब सेना देसी औजारों का प्रयोग करे तो उसे लगे कि विदेशी के बराबर नहीं बल्कि बहुत बेहतर है। बता दें कि भारत से किसी भी रक्षा हथियार को खरीदने वाले देशों के लिये कई नियमों में भी परिवर्तन करके सरलीकरण किया जा रहा है।
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