औरंगाबाद/रफीगंज(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। लोक आस्था के महापर्व चार दिवसीय चैती छठ पर विश्व प्रसिद्ध सौर तीर्थ स्थल देव समेत पूरे औरंगाबाद जिले में गुरुवार को लाखों श्रद्धालुओं एवं छठ व्रतियों ने पवित्र नदियों तथा सरोवरों में अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य दिया। शुक्रवार को उदयाचल सूर्य को अर्ध्य अर्पण के साथ ही लोक आस्था का यह पर्व पूर्ण हो जाएंगा।
चैती छठ पर बिहार के कोने-कोने और पड़ोसी राज्यों-बंगाल, झाारखंड, मध्य प्रदेश, छतीसगढ़ एवं अन्य राज्यों से देव आये करीब दस लाख श्रद्धालुओं एवं छठ व्रतियों ने पवित्र सूर्यकुंड में अस्ताचलगामी सूर्य को अघ्र्य दिया। साथ ही त्रेतायुगीन सूर्य मंदिर में भगवान भाष्कर की पूजा अर्चना कर मन्नतें मांगी। इस दौरान देव नगरी में सूर्य भक्ति की धार्मिक-आध्यात्मिक गंगा प्रवाहित होती नजर आई।
उदीयमान सूर्यदेव को अर्ध्य देने लोग पारंपरिक छठ गीत गाते हुए छठ घाट तक पहुंचे और अघ्र्य दिया। आस्थावान श्रद्धालु नर नारियों ने भगवान भाष्कर को अघ्र्य देकर जीवन में मंगल की कामना की। इस दौरान देव में सुरक्षा के चाक चाौबंद प्रबंध नजर आए। अस्ताचल सूर्य को अर्ध्य अर्पण के बाद अब व्रतियों को उदयाचल सूर्य को अर्ध्य अर्पण के लिए शुक्रवार की प्रातः बेला का इंतजार है।
शुक्रवार को प्रातः बेला में उदयाचल सूर्य को अर्ध्य अर्पण के साथ ही यह व्रत पूर्ण हो जाएगा। हालांकि विश्व प्रसिद्ध सौर तीर्थ स्थल देव में यह आम मान्यता है कि यहां छठ पर्व के दौरान सूर्य अस्त नही होते। इस मान्यता को माननेवाले दूरदराज से आये श्रद्धालु उदयाचल सूर्य को अघ्र्य अर्पण के बाद देर शाम या रात में भी सूर्य को दूसरा अर्ध्य अर्पित कर वापस अपने घर लौट जाते है।
यह भी मान्यता है कि देव आकर छठ व्रत करनेवाले श्रद्धालुओं की सभी मन्नतों को सूर्यदेव पूर्ण करते है और मनोवांछित फल देते है। कहा जाता है कि छठ पर्व के दौरान यहां आनवाले श्रद्धालुओं को यहां सूर्यदेव के साक्षात उपस्थिति की आंतरिक और दिव्य अनुभूति होती है।
रफीगंज मे विभिन्न छठ घाटों पर छठ व्रतियों ने अर्घ दिया। रफीगंज से संवाददाता के अनुसार रफीगंज के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में नदी, तालाब, नहर में छठव्रतियों ने अघ्र्य दिया। शहर के बिजली सब स्टेशन स्थित दूधेश्वरनाथ मंदिर के पास के तालाब, चरकांवां उपरडीह के तालाब, गोरडीहा के तालाब, सिंघी बुजुर्ग गांव के सूर्य तालाब, खडवां के तालाब, दनई, बहादूरपुर, पोगर के सोन कैनाल नहर, तेमुड़ा, कजपा, भदवा, पौथू, बरपा के मदार नदी में छठ व्रतियों ने गाजे-बाजे के साथ जाकर अघ्र्य दिया।