खेती-किसानी के मौसम में मुखिया जी खेतों में उतरे, खुद कर रहे धान कबरियां का काम

औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। गांव की सरकार का प्रधान बनते ही मुखिया जी के पांव जमीन पर नही बल्कि लकदक कपड़ो में लग्जरी वाहन से घुमते नजर आते है। विकास योजनाओं की मलाई चाभकर तंदुरुस्त हुए नजर आते है। वही औरंगाबाद में एक ऐसे मुखिया भी मिले जो खेती किसानी के इस मौसम में धान की खेती में जुटे है।

हालांकि अभी औरंगाबाद से वर्षा रानी रुठी हुई है। पूरे जिले में कही भी पर्याप्त मात्रा में बारिश नही हो रही है। इसके बावजूद किसान बुलंद हौसला लिए कृत्रिम साधनों के सहारे धान की खेती करने में जुटे है। खेती-किसानी का हाल जानने के दौरान ही बारूण प्रखंड के खैरा पंचायत में वहां के मुखिया अनील पासवान खेती किसानी में लगे मिल गये। पूछने पर मुखिया ने कहा कि वें है तो किसान ही। पंचायत के ग्रामीणों ने उन्हे मुखिया बनाया है। मुखियागिरी के माध्यम से पंचायत में विकास और लोगो की सेवा कर रहे है लेकिन वे मुखिया बनते ही हवा में उड़ने वालों में से नही है। सब दिन जमीन से जुड़े रहे है, आगे भी जुड़े रहेंगे।

कहा कि उनके पास काम लायक खेत है। मुखिया बनने के पहले से ही हर साल खुद से खेती करते है। अभी उनके खेतों में धान की रोपनी चल रही है। 80 आदमी रोपनी में लगे है। रोपनों को रोपनी के लिए धान का पौध देने के लिए वे खुद ही बिचड़े की क्यारी से कबरियां बनकर बिचड़े उखाड़ रहे है। उसका बंडल बना रहे है और रोपनी के लिए रोपनों को दे रहे है। कहा कि वे किसान है और किसान का मन शरीर में खेत की मिट्टी लगे बिना नही भरता है। वें भी मिट्टी में सनकर खेती में लगे है। उन्होने कहा कि मौसम कितना भी प्रतिकूल क्यों न हो, लेकिन किसान खेती में जुट गया तो वह मेहनत कर धरती के सीने से अपने हिस्से का अन्न उपजा ही लेगा। उन्होने कहा कि आज मिट्टी में लेट रहे है तो क्या हुआ, अच्छा पैदावार होने पर घोड़ा पर भी तो हमही चढ़ेगे।