डेहरी(रोहतास)(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। डेहरी के एक पैथोलॉजी जांच घर में टेस्ट के दौरान 3 वर्षीय बालिका की मौत मामले की लीपापोती शुरु हो गई है। मंगलवार को देर शाम बालिका की मौत के बाद आधी रात तक जहां आक्रोशित परिजन बच्ची के शव को लेकर क्लीनिक में डेरा डाले रहे।
हद तो यह कि पोस्टमार्टम नहीं कराने की जिद पर अड़े परिजनों ने बिना कानूनी कारवाई के ही पुलिस ने मृत बालिका का अंतिम संस्कार करने दिया। गौरतलब है कि राजपुर निवासी दंपति अखिलेश कुमार व पूजा देवी की 3 वर्षीय इकलौती पुत्री की मौत पैथोलॉजी जांच के दौरान हो गई थी। मौत का कारण कथित अनट्रेंड कर्मी सह मकान बनाने वाले राजमिस्त्री से एनिमा जांच के लिए मलद्वार में केमिकल की अधिक मात्रा डाला जाना कहा गया था। साथ ही एनिमा जांच में प्रयोग किए जाने वाले केमिकल के डब्बे पर मैन्युफैक्चरिंग का वर्ष 2015 अंकित था। केमिकल की अवधि वर्ष 2017 में समाप्त हो गई थी। परिजनों का आरोप था कि इस जहरनुमा केमिकल और अनट्रेंड कर्मी के कारण ही उनकी बच्ची की मौत हुई।
उस वक्त परिजनों ने क्लीनिक व पैथोलॉजी घर पर जमकर हंगामा किया था। इधर कई चिकित्सकों का कहना है कि जब बच्ची का इलाज डॉ. प्रशांत कुमार के यहां हो रहा था तो एनिमा जांच भी उसी चिकित्सक के यहां ही होना चाहिए था। ऐसे में स्वयं जांच न कर पैथोलॉजी जांच केंद्र में भेजना कई सवाल उत्पन्न कर रहा है। आरोप यह भी है कि मोटा कमीशन के चक्कर में कई चिकित्सक अपने मन मुताबिक पैथोलॉजी में मरीजों को भेजते हैं। हालांकि अब तक इस मामले में परिजनों द्वारा प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई गई है। प्रशिक्षु डीएसपी सह नगर थानाध्यक्ष अजीत प्रताप सिंह ने कहा कि अब तक परिजनों द्वारा कोई लिखित आवेदन नहीं दिया गया है। लिखित आवेदन मिलने के बाद ही कारवाई की जाएगी। आष्चर्य की बात यह भी है कि मामले की स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने भी अबतक सुध नहीं ली है।