औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। औरंगाबाद व्यवहार न्यायालय के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश-12 डॉ. दिनेश कुमार प्रधान की अदालत ने सोमवार को मोटर दुर्घटना वाद संख्या-57/17 में सुनवाई करते हुए वाहन मालिक द्वारा गाड़ी को रिलीज करने के लिए दिए गये दस्तावेज में फर्जीवाड़ा पाया।
जिला विधिक संघ के अध्यक्ष सह बजाज एलियांज जेनरल इंश्योरेंस कंपनी लि. के अधिवक्ता रसिक बिहारी सिंह ने बताया कि मोटर दुर्घटना के समय गाड़ी का इंश्योरेंस फेल हो गया था। गाड़ी मालिक ने डेट की गड़बड़ी एक ही पॉलिसी में कर बीमा कंपनी और न्यायालय को गुमराह किया। इसके लिए न्यायालय ने बीमा कंपनी को आदेश दिया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 467, 468, 471 में यह मामला बनता है। आप वाहन मालिक पर प्राथमिकी दर्ज कराए। आदेश की एक कॉपी बीमा कंपनी को प्राथमिकी दर्ज कराने हेतु न्यायालय द्वारा प्रदान किया गया।
अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि 29 नवम्बर 2015 को औरंगाबाद शहर के विराटपुर निवासी संतोष कुमार डिहरी से बाईक से औरंगाबाद लौट रहे थे। इसी दौरान तेज गति से आ रहे हाइवा ने उन्हे धक्का मार दिया जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गये थे। बीएचयू, वाराणसी में इलाज में तीन लाख रूपये खर्च हुए। दावा क्लेम में आवेदक ने 65 प्रतिशत पैर अपंगता की बात कही और जेवर दुकान चलते हुए साल 2015-16 में 2 लाख 73 हजार 857 रूपये आयकर देने की बात कही। इस आधार पर 21 लाख की क्षतिपूर्ति राशि का दावा न्यायालय में पेश किया था। इसी मामले में हाइवा मालिक ने बीमा फेल रहने पर बीमा का फर्जी प्रमाण अदालत में पेश किया जिसे कोर्ट ने फर्जीवाड़ा मानते हुए बीमा कंपनी को प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश दिया।