औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। औरंगाबाद व्यवहार न्यायालय में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश-12 धनंजय कुमार मिश्रा की अदालत ने गुरूवार को हसपुरा थाना कांड संख्या 21/13 में सज़ा के बिंदु पर सुनवाई करते हुए एकमात्र काराधीन अभियुक्त डिंडिर टोले जगदेव नगर निवासी दिनेश राजवंशी को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि सरकार की ओर से एपीपी देवेंद कुमार शर्मा ने बहस में हिस्सा लेते हुए जघन्य कृत्य के लिए मुजरिम को अधिकतम सज़ा देने की मांग की। वहीं बचाव पक्ष से अधिवक्ता अनूप शर्मा ने प्रथम अपराध और छोटे छोटे बच्चे की दुहाई देते हुए अपराधी को कम से कम सज़ा देने की मांग की। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुनाया। न्यायालय ने अभियुक्त को भादंसं की धारा 302 में सश्रम आजीवन कारावास, 25 हजार का जुर्माना, जुर्माना नही देने पर एक वर्ष अतिरिक्त कारावास, धारा 201 में पांच वर्ष कारावास, पांच हजार जुर्माना एवं जुर्माना नही देने पर एक वर्ष अतिरिक्त कारावास की सजा सुनाई। दोनों सज़ाए साथ साथ चलेंगी।
अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि न्यायालय ने आदेश में कहा है कि जुर्माना राशि पीड़िता को दिलाई जाएगी तथा बिहार सरकार से कहा गया है कि पीड़ित परिजनों को उचित प्रतिकर दिलाया जाए। अधिवक्ता ने बताया कि हत्या कर साक्ष्य छुपाने के नौ साल पुराने वाद में सूचक लालचंद राजवंशी ने 21 फरवरी 2013 को प्राथमिकी दर्ज कराई थी। प्राथमिकी में आरोप लगाया था कि अभियुक्त एक दिन पूर्व रात्रि में घर के पीछे दुबक कर बैठा था। मना करने पर गुस्साते हुए सिखाने की बात कहकर चला गया। दूसरे दिन दोपहर में बगीचा में खेल रही सूचक की पांच साल की बेटी को अभियुक्त ने चुड़ा खिलाकर एकांत में ले जाकर हत्या करने के बाद लाश कुएं में फेंक दिया था। काफी खोजबीन के बाद जब सूचक की बेटी रात्रि 8 बजे तक नहीं मिली तो सूचक के पुत्र को अभियुक्त ने बताया था कि जाओ देखो कुआं में डाल दिया हुं। आसपास के लोगों ने मिलकर कुएं से लाश निकाली।मुखिया, सरपंच, पुलिस को खबर की गई। पुलिस आईं तथा लाश और पीड़ित के परिजनों को थाना लाकर प्राथमिकी दर्ज की। मामले में अभियुक्त को 30 अगस्त को दोषी ठहराए जाने पर मृतका के परिजनों में संतोष का भाव था। उन्होंने कहा कि हमें न्यायालय पर पूरा विश्वास था कि अभियुक्त को कड़ी से कड़ी सज़ा मिलेगी।