पटना। विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) ने शुक्रवार को प्रदेश के खनन एवं भूतत्व मंत्री जनक राम के सरकारी आप्त सचिव सह विशेष कार्य पदाधिकारी (ओएसडी) मृत्युंजय कुमार और उनकी महिला मित्र तथा भाई के चार ठिकानों पर एक साथ छापेमारी कर लाखों रुपए से अधिक की चल एवं अचल संपत्ति का खुलासा किया। ओएसड़ी के खिलाफ आय से एक करोड़ ७३ लाख ४९२२ रुपये से अधिक संपत्ति संपत्ति अर्जित करने का मामला दर्ज किया गया था। इसी मामले में शुक्रवार को सुबह मृत्युंजय के अररिया जिले के श्री कृष्णा नगर के खटिया टोला गांव स्थित पैतृक घर‚ राजधानी के श्री कृष्णापुरी स्थित एक फ्लैट‚ महिला मित्र रत्ना चटर्जी के कटिहार स्थित आवास तथा भाई धनंजय कुमार के घर पर एक साथ छापेमारी की गई।
रत्ना के कटिहार स्थित आवास की तलाशी लिये जाने पर लगभग ३० लाख नगद‚ सोने की ३० बिस्किट तथा बड़ी संख्या में पोर्न सीडी एवं अश्लील साहित्य बरामद की गई। इसके अलावा ५० लाख रुपए मूल्य के स्वर्ण आभूषण तथा एलआईसी में निवेश से संबंधित तीन दस्तावेज हाथ लगे‚ जिसका भुगतान प्रति माह ४० हजार रुपए किया जाता है। इसी तरह कई बैंकों के पासबुक भी जब्त किये गये। तलाशी के दौरान पाया गया कि मृत्युंजय कुमार और रत्ना चटर्जी के बैंक खाते से बड़ी राशि का आदान–प्रदान किया गया‚ ताकि भ्रम की स्थिति बन सके तथा नाजायज आमदनी को छुपाया जा सके।
रत्ना चटर्जी के नाम पर सिलीगुड़ी के ज्योति नगर में एक फ्लैट की जानकारी मिली‚ जिसे खरीदने के लिए मृत्युंजय ने अवैध रूप से अर्जित मोटी राशि का भुगतान किया है। इस फ्लैट की कीमत ३३ लाख रुपए है। पटना के पाटलिपुत्र थाना क्षेत्र के लोयला स्कूल के निकट ३२ लाख रुपए का एक प्लॉट का भी पता चला। रत्ना चटर्जी के नाम सिलीगुड़ी के सेवक रोड के प्लेनेट मॉल में एक दुकान भी है। विशेष निगरानी इकाई के अधिकारी के मुताबिक मृत्युंजय कुमार वर्तमान में खनन मंत्री जनक राम के सरकारी आप्त सचिव हैं। पूर्व में वे कटिहार जिला के कई प्रखंडों में बीडीओ रह चुके हैं। इनकी पूर्व पदस्थापना पटना आपदा प्रबंधन एडीएम के रूप में भी रही है।
एसवीयू की टीम पटना में जब मृत्युंजय कुमार के आवास की तलाशी लेने पहुंची‚ तो दंग रह गई। महिला मित्र रत्ना चटर्जी उनके आवास में ही मिल गयी। एसवीयू के मुताबिक‚ मृत्युंजय कुमार का पत्नी से तलाक का मामला चल रहा था। इसी बीच पत्नी आरती की २०१३ में ही मृत्यु हो गई। एसवीयू के मुताबिक‚ रत्ना चटर्जी पहले सीडीपीओ थी। ९ सितम्बर २०११ को किशनगंज के ठरकुरगंज में जब वह सीड़ीपीओ के पद पर तैनात थीं‚ तो निगरानी की टीम ने इन्हें घूस लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार किया था। इसी मामले में उन्हें सेवा से बर्खास्त भी कर दिया गया था। पद से बर्खास्त किये जाने के बाद रत्ना की देखरेख एवं निजी खर्च का वहन मृत्युंजय कुमार ही करते रहे हैं।
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