अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा H-1B वीजा पर लगाया गया प्रतिबंध 31 मार्च को खत्म हो गया है। आपको बता दें, ट्रंप ने पिछले साल कोरोना महामारी और अमेरिका में लॉकडाउन के दौरान H-1B सहित अन्य गैर-प्रवासी व अस्थाई वीजा के नए आवेदन पर रोक लगा दी थी। सबसे पहले वीजा पर रोक की अधिसूचना अगस्त 2020 तक के लिए थी, जिसे बढ़ाकर फिर दिसम्बर तक कर दिया गया। अंत में एक बार और इस अधिसूचना को 31 मार्च 2021 तक के लिए बढ़ा दिया गया था।
इसके बाद सबकी नजरें नए राष्ट्रपति जो बाइडेन पर टिकी थीं, क्या वो इस आदेश को और बढ़ाएंगे या शून्य हो जाने देंगे। कल 1 अप्रैल को आखिरकार जो बाइडेन ने इस अधिसूचना को खत्म हो जाने दिया।
ट्रम्प ने क्यों लगाया था प्रतिबंध –
H-1B सहित अन्य अस्थायी प्रवासी वीजा पर यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि इससे उन अमेरिकी लोगों को नौकरी मिल सकेगी जो कोरोना के चलते बेरोजगार हो गए हैं। जब देश संकट में है तब देशवासियों की तरफ से आंखें नहीं मूंदी जा सकती और बाहरी नागरिकों की जगह पर अमेरिकी नागरिकों की मदद करनी होगी। हम बड़ी संख्या में बाहर से आने वाले लोगों को अमेरिका में आने की अनुमति नहीं दे सकते, वो भी उस समय जब अमेरिका कोरोना के चलते पहले ही मुश्किल में है।
क्या होता है H-1B वीजा –
L-1 और H-2B वीजा सहित सभी अस्थाई गैर प्रवासी वीजा में से H-1B वीजा सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहता है, जो अमेरिका में काम करने के लिए विदेशी कर्मचारियों को दिया जाता है। यह वीजा अमेरिकी कंपनियों को कुछ क्षेत्रों में विदेशी लोगों को काम पर रखने की अनुमति देता है। अमेरिकी तकनीकी कंपनियों के लिए मुख्यत: भारत और चीन जैसे देशों से प्रत्येक वर्ष हजारों की संख्या में कर्मचारियों की नियुक्ति इसी वीजा पर निर्भर रहती है।
H-1B की एक कंपनी में काम के लिए अधिकतम अवधि 3 वर्ष की होती है, लेकिन कर्मचारी अमेरिका में और लंबा रहने के लिए अपनी कंपनियां बदल लेते हैं।
भारत के लिए क्या है इसके मायने –
अमेरिकी सरकार हर साल अधिकतम 85 हजार H-1B वीजा जारी करती है। इसमें से 65 हजार वीजा विशेष योग्य विदेशी कर्मचारियों दिए जाते हैं और बचे हुए 20 हजार उन कर्मचारियों को दिए जाते हैं, जिन्होंने अपनी उच्च शिक्षा किसी अमेरिकी विश्वविद्यालय से की हो।
भारतीय आईटी कम्पनीज यूएस H-1B का सबसे ज्यादा लाभ लेने वालों में से रहीं हैं और 1990 से हर साल जारी होने वाले H-1B वीजा के आवेदकों में भारतीयों की बढ़ी संख्या में भागीदारी रही है। हालांकि विगत कुछ वर्षों से भारतीय कम्पनियों की L-1 व H-1B जैसे कामकाजी विदेशी वीजा पर निर्भरता कम हुई है। फिर भी ये वीजा भारतीयों में काफी लोकप्रिय हैं।
31 मार्च को आदेश के गैर-प्रभावी होते ही ,जिन H-1B वीजा धारकों की यात्रा पर प्रतिबंध लगा था वो अब फिर से अमेरिका जा सकते हैं और वहां अपना काम शुरू कर सकते हैं। परिणामस्वरूप अब आईटी कम्पनियों के लिए फिर से बढ़ी संख्या में कर्मचारी उपलब्ध होंगे। इस फैसले पर सभी बड़ी अमेरिकी आईटी कम्पनियों के प्रतिनिधियों ने प्रसन्नता जाहिर की है।